भारत ने लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर के इंपोर्ट पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। सरकार ने इस सिलसिले में 3 अगस्त को नोटिस जारी किया है। इसका कदम का मकसद लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना है। नोटिस में कहा गया है, 'अब प्रतिबंधित कैटगरी से जुड़े इंपोर्ट के लिए वैध लाइसेंस होने पर ही इन आइटम का इंपोर्ट करना मुमकिन होगा।'
अप्रैल-जून तिमाही में इलेक्ट्रॉनिक्स इंपोर्ट (लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर) सालाना आधार पर 6.25 पर्सेंट की बढ़ोतरी के साथ 19.7 अरब डॉलर रहा। देश के कुल मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक्स इंपोर्ट की हिस्सेदारी 7 से 10 पर्सेंट है। इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री से जुड़े संगठन MAIT के पूर्व डायरेक्टर जनरल अली अख्तर जाफरी ने बताया, 'इस कदम का मकसद भारत में इन आइटम्स की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना है।'
भारत प्रॉडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव के जरिये तकरीबन दो दर्जन से भी ज्यादा सेक्टरों में लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है। सरकार ने आईटी हार्डवेयर मैन्युफैक्चरिंग में बड़े निवेश को आकर्षित करने के मकसद से 2 अरब डॉलर के मैन्युफैक्चरिंग इंसेंटिव के लिए समयसीमा बढ़ा दी है। इंसेंटिव स्कीम में लैपटॉप, टैबलेट, पर्सनल कंप्यूटर, सर्वर आदि प्रॉडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग शामिल है।
ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन में भारत के ताकत बनने के मकसद से यह इंसेंटिव स्कीम बेहद अहम है। डेल (Dell), एसर (Acer), सैमसंग (Samsung), एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स (LG Electronics), एपल इंक (Apple Inc), लेनोवो (Lenovo) और एचपी इंक (HP Inc) उन कंपनियों में शामिल हैं, जो भारतीय बाजार में लैपटॉप बेच रही हैं। इन लैपटॉप का बड़ा हिस्सा चीन से इंपोर्ट हो रहा है।
एमके ग्लोबल (Emkay Global) में अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने बताया, 'इस कदम का मकसद उन सामानों के लिए इंपोर्ट का विकल्प तैयार करना है, जिन्हें बड़े पैमाने पर इंपोर्ट किया जाता है।'
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश के कुल सालाना इंपोर्ट में लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर की हिस्सेदारी तकरीबन 1.5 पर्सेंट है और इनमें से आधा इंपोर्ट चीन से होता है।