APRIL WPI DATA: महंगाई को मोर्चे पर सरकार के लिए एक और राहत भरी खबर आई है। रिटेल महंगाई के बाद अब अप्रैल थोक महंगाई दर (WPI) में भी गिरावट देखने को मिली है। अप्रैल में देश की थोक महंगाई दर मार्च के 1.34 फीसदी से घटकर -0.92 फीसदी पर आ गई है। जुलाई 2020 के बाद पहली बार WPI (थोक महंगाई) निगेटिव रही है। महीने दर महीने आधार पर पर अप्रैल में प्राइमरी आर्टिकल WPI 2.40 फीसदी से घटकर 1.60 फीसदी पर रही है। वहीं, फ्यूल एंड पावर WPI मार्च के 8.96 फीसदी से घटकर 0.93 फीसदी पर रही है। अप्रैल में मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर मासिक आधार पर -0.77 फीसदी से घटकर -2.4 फीसदी पर रही है।
अप्रैल में थोक महंगाई 34 महीनों के निचले स्तर पर रही
अप्रैल में थोक महंगाई 34 महीनों के निचले स्तर पर रही है। महीने दर महीने आधार पर अप्रैल में देश में आलू की थोक महंगाई मार्च के -23.67 फीसदी से बढ़कर -18.66 फीसदी पर रही है। इसी तरह प्याज की थोक महंगाई मार्च के -36.83 फीसदी से बढ़कर -18.41 फीसदी पर रही है। जबकि अंडे, मांस की थोक महंगाई मार्च के 1.36 फीसदी से घटकर 0.77 फीसदी पर रही है। अप्रैल में सब्जियों की थोक महंगाई मार्च के -2.22 फीसदी से बढ़कर -1.50 फीसदी पर रही है। अप्रैल में कोर WPI मार्च के -0.3 फीसदी से घटकर -1.8% फीसदी पर रही है।
WPI महंगाई में पिछले कुछ समय से गिरावट जारी
गौरतलब है कि WPI महंगाई पिछले कुछ समय से गिर रही है और मार्च में यह आंकड़ा घटकर 1.34 प्रतिशत रह गया था। वहीं, फरवरी में यह 3.85 फीसदी और जनवरी में 4.73 फीसदी पर रही थी। WPI में गिरावट का रिटेल कीमतों पर भी पॉजिटिव प्रभाव पड़ने की संभावना है। बता दें कि भारत में रिटेल महंगाई में अप्रैल में तेज गिरावट देखने को मिली है और ये 4.70 फीसदी पर आ गई है जो 18 महीने का इसका सबसे निचला स्तर है।
आरबीआई की एमपीसी अपनी मौद्रिक नीतियों को तय करते समय रिटेल महंगाई के आंकड़ों को ध्यान में रखती है। अप्रैल में महंगाई कम होने का मतलब है कि आरबीआई जून की अपनी नीति बैठक में ब्याज दरों कोई बदलाव न करने की अपनी नीति पर कायम रह सकता है। हालांकि ये इस बात पर निर्भर करेगा तब महंगाई की चाल कैसी रहेगी।