Urine Colour: पेशाब का रंग हमारी सेहत से जुड़ी जानकारी देता है। जब भी हम किसी बीमारी की चपेट में आते हैं तो इसका सीधा असर हमारे पेशाब के रंग पर पड़ता है। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे यूरिन या पेशाब का रंग पीला ही क्यों होता है? इस मामले पर बहुत से शोध होते रहे हैं। इसकी कई व्याख्या भी हुई है। लेकिन इस पहेली को पूरा सुलझाना का दावा नई स्टडी में किया गया है। हैरानी की बात यह है कि इस सवाल का जवाब काफी समय से खोजा जा रहा था और वैज्ञानिक इस वजह का पता लगाने में नाकाम हो रहे थे।
दरअसल, वैज्ञानिकों ने इससे जुड़ी एक स्टडी पेश की है। नेचर माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित रिसर्च में वैज्ञानिकों पेशाब के पीले रंग के लिए जिम्मेदार एंजाइम के बारे में जिक्र किया है। यूनिवर्सिटी ऑफ मैरिलैंड में डिपार्टमेंट ऑफ सेल बायोलॉजी और मालिक्यूलर जेनेटिक्स के असिस्टेंट प्रोफेसर का कहना है कि उन्होंने इस गुत्थी को सुलझा लिया है।
इस वजह से पेशाब का रंग होता है पीला
इंसान के प्राकृतिक रूप से निकलने वाले पदार्थों में यूरीन या पेशाब आखिरी है। इसमें बहुत सारा पानी और किडनी और खून से छना हुआ कचरा होता है। इसमें खास तौर से लाल रक्त कोशिकाएं या रेड सेल्स होती हैं जो मर चुकी होती हैं। यही सेल्स हीमोग्लोबिन के जरिए खून में ऑक्सीजन लाने ले जाने का काम करती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि पीले रंग के पेशाब के लिए एंजाइम जिम्मेदार होते हैं। ये एंजाइम Bilirubin reductase या BilR के नाम से जाना जाता है। इसे आंत में बैक्टीरिया बनाता है। जिससे गोल्डन कलर आने लगता है। ऐसे में रिसर्चर्स को अब उम्मीद है कि पेट और लिवर संबंधी बीमारियों को पहले से बेहतर तरीके से समझा और ठीक किया जा सकेगा।
करीब 125 साल पहले वैज्ञानिकों ने यूरिन में पाए जाने वाले यूरोबिलिन तत्व का पता लगाया था। लेकिन यह कैसे बनता है, कहां से आता है, इसके बारे में बहुत ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई थी। अब नई स्टडी में पेशाब के रंग और शरीर में पाई जाने वाली लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) के संबंध के बारे में बात किया गया है। जब रेड ब्लड सेल टूटती हैं तो उनमें से एक नारंगी कलर का पिग्मेंट निकलता है जिसे बिलिरूबिन (bilirubin) कहते हैं।