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कोम्बुचा चाय से ब्लड शुगर होगा डाउन, जानिए क्या कहती है रिसर्च

Kombucha Tea: डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है। इसे सिर्फ बेहतर डाइट और लाइफ स्टाइल के जरिए कंट्रोल कर सकते हैं। कोम्बुचा चाय इसके लिए सबसे बढ़िया इलाज साबित हुई है। कोम्बुचा चाय बैक्टीरिया और यीस्ट से बनाई जाती है। चीन में 200 ईसा पूर्व से इसका इस्तेमाल हो रहा है। वहां की पारंपरिक चिकित्सा में भी इसका इस्तेमाल होता है

Edited By: Jitendra Singhअपडेटेड Nov 23, 2023 पर 2:42 PM
कोम्बुचा चाय से ब्लड शुगर होगा डाउन, जानिए क्या कहती है रिसर्च
कोम्बुचा की चाय सुबह-सुबह पीने से ब्लड शुगर फ्लश आउट हो जाएगा।

Kombucha Tea: देश में डायबिटीज के मरीज से तेजी से बढ़ रहे हैं। हर उम्र के लोग डायबिटीज की चपेट में आ रहे हैं। इसलिए कम उम्र से ही इससे बचाव की कोशिश करना चाहिए। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए लाइफस्टाइल और डाइट को दुरुस्त रखना चाहिए। इसके अलावा कुछ और सामान्य प्रयास से ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar) को कंट्रोल किया जा सकता है। एक रिसर्च के मुताबिक, डायबिटीज (Diabetes) का रिस्क कम करने में कोम्बुचा टी (Kombucha Tea) काफी फायदेमंद होती है। कोम्बुचा कई बीमारियों से इंसान को बचा सकता है।

इतना ही नहीं कोम्बुचा से कैंसर का जोखिम भी बहुत कम हो जाता है। कोम्बुचा फर्मेंटेड चाय है। जिसका इस्तेमाल हजारों साल से किया जाता है। कोम्बुचा एक तरह की ग्रीन टी है। इसका फायदा इसलिए भी दोगुना है क्योंकि यह प्रोबायोटिक्स भी होता है। कोम्बुचा में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। जिससे पेट में हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद मिलती है।

कोम्बुचा टी से ब्लड शुगर होगा कंट्रोल

वाशिंगटन डीसी में जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ हेल्थ के शोधकर्ता ने अपनी स्टडी में पाया है कि कोम्बुचा (kombucha) की चाय पीने से ब्लड शुगर लेवल में सुधार हो सकता है। यह टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए सबसे बेस्ट ड्रिंक में से एक है। कोम्बुचा टी के सेवन के बाद कार्बोहाइड्रैट का डाइजेशन बहुत धीमा हो जाता है। जिसके कारण ब्लड शुगर भी धीरे-धीरे रिलीज होता है। इसका एब्जोर्ब्सन भी हो जाता है। स्टडी में आगे कहा गया है कि चीन में मिलने वाली कोम्बुचा चाय ब्लड शुगर लेवल में सुधार कर सकती है। यह बैक्टीरिया और यीस्ट से फर्मेटेड होती है। बता दें कि कोम्बुचा चाय बैक्टीरिया और यीस्ट से बनाई जाती है। चीन में 200 ईसा पूर्व से इसका इस्तेमाल हो रहा है। वहां की पारंपरिक चिकित्सा में भी इसका इस्तेमाल होता है।

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