Cancer CAR-T Therapy: कैंसर का नाम सुनते ही लोगों की रूह कांप उठती है। लेकिन अब भारत में कैंसर का इलाज भी सस्ता हो गया है। भारत में कैंसर के इलाज के लिए एक अत्याधुनिक थेरेपी से देश में एक मरीज को ठीक किया गया है। कुछ महीने पहले ही भारत के दवा नियामक सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (Central Drugs Standard Control Organisation –CDSCO) ने CAR-T Therapy के व्यावसायिक उपयोग को मंजूरी दी थी। 9 साल की ईश्वरी कैंसर से पीड़ित थी। अब इस तकनीक से इलाज के बाद ईश्वरी कैंसर से पूरी तरह से ठीक हो चुकी है।
CAR-T प्रोजेक्ट के हेड डॉ. गौरव नरुला (Gaurav Narula) ने बताया कि इस तकनीक के जरिए इलाज करना बेहद सस्ता है। अमेरिका में इस तकनीक से इलाज करने पर करीब 4 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। वहीं भारत में अब इससे इलाज करने पर 50 लाख रुपये खर्च आएगा। अमेरिका 2017 में ही इस थेरेपी को मंजूरी दे दी गई थी।
जानिए क्या है CAR-T थेरपी
IIT बॉम्बे और टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल ने मिलकर इस थेरपी को विकसित किया है। इससे ब्लड कैंसर का इलाज किया जाता है। यह बी-सेल कैंसर जैसे ल्यूकेमिका, लिम्फोमा के इलाज पर फोकस करता है। सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (Central Drugs Standard Control Organisation –CDSCO) ने अक्टूबर 2023 को इसके कॉमर्शियल इस्तेमाल को लेकर मंजूरी दी थी। एंटीजन रिसेप्टर (CAR) टी सेल थेरेपी कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एक एडवांस तकनीक है। इस तकनीक के जरिए मरीज के शरीर में मौजूद व्हाइट ब्लड सेल्स के टी सेल्स को निकाला जाता है। इसके बाद टी सेल्स और व्हाइट ब्लड सेल्स को अलग करके संशोधित करने के बाद मरीज के शरीर में डाला जाता है। ये प्रक्रिया एक ही बार की जाती है। इसके बाद शरीर में टी सेल्स कैंसर से लड़ने और उन्हें खत्म करने का काम करते हैं।
अभी यह थेरेपी भारत के 10 शहरों के 30 अस्पतालों में मौजूद है। 15 साल से अधिक उम्र वाले मरीज इस थेरेपी के जरिए इलाज करवा सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभी तक 16 मरीजों को सीएआर-टी सेल थेरेपी दी गई है। साल 2012 में सबसे पहले अमेरिका में इस थेरेपी से एक मरीज का इलाज किया गया था, जो सफल रहा। इसके बाद 2014 में भारत में इस तकनीक को विकसित करने का काम IIT मुंबई ने शुरू किया था।