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Antibiotics: दूध या जूस के साथ कभी न खाएं एंटीबायोटिक्स दवाएं, नहीं तो बीमारी में पड़ जाएंगे लेने के देने

एंटीबायोटिक्स ऐसी दवाइयां होती हैं। जिन्हें डॉक्टर बैक्टीरियल इंफेक्शन के इलाज के लिए देते हैं। ये दवाएं बैक्टीरिया को मारकर उन्हें बढ़ने से रोकने का काम करते हैं। कई बार खतरनाक बैक्टीरिया काफी ज्यादा हो जाती हैं। तब इम्यून सिस्टम उन्हें सही तरह साफ नहीं कर पाती है। ऐसे में एंटीबायोटिक्स दवाओं का उपयोग बढ़ जाता है

Edited By: Jitendra Singhअपडेटेड Nov 25, 2023 पर 10:16 AM
Antibiotics: दूध या जूस के साथ कभी न खाएं एंटीबायोटिक्स दवाएं, नहीं तो बीमारी में पड़ जाएंगे लेने के देने
हर साल 18-24 नवंबर तक एंटीबायोटिक अवेयरनेस वीक अमेरिका समेत कई देशों में मनाया जाता है।

Antibiotics: जब भी हम किसी तरह के बैक्टीरियल इन्फेक्शन, एलर्जी आदि का सामना करते हैं। तब ऐसी स्थिति में डॉक्टर हमें कुछ एंटीबायोटिक्स दवाएं लेने का सुझाव देते हैं। ये वे दवाएं हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ने और नष्ट करने में मदद करती हैं। इन दवाओं से तुरंत आराम मिलते ही लोग इन्हें काफी असरदार भी मानते हैं। लेकिन इनका अनियमित इस्तेमाल सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इन दिनों एंटीबायोटिक्स दवाओं का चलन तेजी से बढ़ा है। ऐसे में इनके इस्तेमाल के प्रति बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। एंटीबायोटिक्स दवाओं का सेवन दूध या जूस के साथ नहीं करना चाहिए।

दुनियाभर में एंटीबायोटिक जागरूकता सप्ताह (World Antibiotic Awareness Week) मनाया गया। हर साल 18-24 नवंबर तक एंटीबायोटिक अवेयरनेस वीक अमेरिका समेत कई देशों में मनाया जाता है। इस साल यह सप्ताह 'Preventing Antimicrobial Resistance Together' थीम पर मनाया गया। इसको मनाने का मकसद एंटीबायोटिक्स रेजिस्टेंस की चुनौती से निपटना है। एंटीबायोटिक्स के प्रति समझ बढ़ाने और इसका प्रसार करना खास उद्देश्य है।

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को समझना

एंटीबायोटिक शरीर की कुछ खास वायरस से लड़ने में मदद करते हैं। यह सही है कि एंटीबायोटिक दवाएं किसी मरीज की जान बचाने में अहम भूमिका निभाती हैं। पर जिस तरह से स्वास्थ्य के क्षेत्र में इनका धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। तब एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसे में गंभीर बीमारियों की स्थिति में एक बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। यह सेहत के लिए बहुत बड़ा खतरा है। एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की स्थिति में जब रोग फैलाने वाले सूक्ष्मजीव जैसे बैक्टीरिया, कवक, वायरस, और परजीवी रोगाणुरोधी दवाओं के लगातार संपर्क में आने के कारण अपने शरीर को इन दवाओं के अनुरूप ढाल लेते हैं। यह शरीर में आए बदलावों के चलते धीरे-धीरे इन दवाओं के प्रति रेजिस्टेंस ह दवाएं उन पर असर नहीं करती। जब ऐसा होता है तो मनुष्य के शरीर में लगा संक्रमण जल्द ठीक नहीं होता।

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