Zee Entertainment News: बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (Zee Entertainment Enterprises Ltd-ZEEL) के कुछ पूर्व निदेशकों को समन भेजा है। यह समन जी एंटरटेनमेंट के फंड की हेराफेरी से जुड़ी जांच से जुड़ा हुआ है। मनीकंट्रोल को यह जानकारी सूत्रों के हवाले से मिली है। जानकारी के मुताबिक कंपनी के दो पूर्व स्वतंत्र निदेशकों को समन भेजकर सेबी के सामने अपना बयान देने को कहा गया है। इन दोनों निदेशकों ने 2021 के आस-पास कंपनी के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था। शेयरों की बात करें तो सेबी की जांच का असर शेयरों पर दिखा और आज इसके शेयर 14 फीसदी से अधिक टूट गए। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक सेबी ने अपने शुरुआती अनुमान से 10 गुना से भी अधिक 24.1 करोड़ डॉलर ( 2 हजार करोड़ रुपये) की हेराफेरी पकड़ी है। वहीं जी के प्रवक्ता ने कंपनी के अकाउंटिंग में गड़बड़ियों के आरोपों से इनकार किया है।
SEBI ने बढ़ाया जांच का दायरा
सूत्रों के मुताबिक सेबी ने जांच का दायरा भी बढ़ा दिया है और अब वह उन संस्थाओं की भी जांच कर रहा है जिन्होंने हालिया वर्षों में ZEEL के साथ कारोबार किया है। इसमें मुंबई की उन दो प्रमुख प्रोडक्शन हाउसों के भूमिका की भी जांच हो रही है जिनका इस्तेमाल पैसे निकालने के लिए किया गया था। सेबी जी और प्रमोटर्स के निजी कंपनियों के बीच के लेन-देन की भी जांच कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक सेबी ने स्वतंत्र निदेशकों समेत कुछ पूर्व निदेशकों को सेबी के सामने पेश होने को कहा है। उन्हें उस समय के डॉक्यूमेंट्स भी लाने को कहा गया है, जब वे कंपनी के बोर्ड में थे।
Zee के डायरेक्टर्स को क्या थी जानकारी, हो रही जांच
पिछले साल अगस्त में सेबी ने प्रमोटरों सुभाष चंद्रा और उनके बेटे पुनीत गोयनका के खिलाफ एक अंतरिम फैसला सुनाया था। इसके तहत उन्हें लिस्टेड कंपनियों में कोई भी निदेशक पद संभालने से रोक दिया गया। सेबी ने आरोप लगाया कि प्रमोटर्स ने अपने फायदे के लिए कंपनी से अवैध रूप से 200 करोड़ रुपये निकाले। इस पैसे का इस्तेमाल एस्सेल ग्रीन मोबिलिटी और पैन इंडिया इंफ्रा प्रोजेक्ट्स जैसी प्रमोटरों की निजी कंपनियों के कर्ज के लिए कोलैटोरल यानी गारंटी के तौर पर इस्तेमाल किया गया। लेंडर्स को यह कोलैटोरल लेटर ऑफ कंफर्ट (एलओसी) के जरिए दी गई थी। सेबी ने यह भी माना कि इसके लिए जी के बोर्ड से मंजूरी भी नहीं ली गई।
अक्टूबर में सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) ने सेबी के अंतरिम आदेश को पलट दिया। हालांकि अभी इस मामले में आखिरी फैसला नहीं आया है। वहीं सेबी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या जी के डायरेक्टर्स को LoC के बारे में पता था? अगर किसी निदेशक को एलओसी के बारे में पता था, तो उसे कंपनी के बोर्ड के साथ साझा किया जाना चाहिए था। सवाल यह भी है कि क्या बोर्ड का कोई सदस्य भी इसमें शामिल है?