वेदांता लिमिटेड (Vedanta) के बोर्ड ने नवंबर में राजनीतिक दलों के लिए 200 करोड़ रुपये के चंदे को मंजूरी दी है। कंपनी ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, राजस्थान और मिजोरम में विधानसभा चुनावों से पहले इस प्रस्ताव को अप्रुव किया है। एक रिपोर्ट में आज 25 जनवरी को यह जानकारी दी गई है। बोर्ड ने 57 करोड़ रुपये की अन-यूटिलाइज लिमिट को बहाल करने के लिए भी अपनी मंजूरी दे दी, जिसे पिछले साल जून में राजनीतिक दलों को दान के रूप में जारी करने की मंजूरी दी गई थी।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में बोर्ड के प्रस्ताव की एक कॉपी का हवाला देते हुए यह दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा चुनावी बॉन्ड बिक्री की 29वीं किश्त एग्जीक्यूट करने से दो दिन पहले 4 नवंबर को यह प्रस्ताव पारित किया गया था।
कथित तौर पर प्रस्ताव में कहा गया है कि 200 करोड़ रुपये और 57 करोड़ रुपये की दो अप्रुव्ड लिमिट्स मार्च 2025 तक वैलिड हैं। यह डोनेशन सीधे या इलेक्टोरल ट्रस्ट के माध्यम से और इलेक्टोरल बॉन्ड के सब्सक्रिप्शन सहित किसी भी रूप में किया जा सकता है। हालांकि, मनीकंट्रोल इस दावे की पुष्टि नहीं कर सका।
रिपोर्ट के अनुसार बोर्ड के प्रस्ताव ने "चेयरमैन और वाइस चेयरमैन" को "इंडिविजुअल पॉलिटिकल पार्टी को भुगतान किए जाने वाले पॉलिटिकल कंट्रीब्यूशन की मात्रा" तय करने के लिए ऑथराइज किया है। वर्तमान में कंपनी के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन अनिल अग्रवाल और एग्जीक्यूटिव वाइस चेयरमैन नवीन अग्रवाल हैं।
पिछले कुछ सालों में कॉरपोरेट्स को राजनीतिक चंदे का बड़ा हिस्सा इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से दिया गया है। 2018 में शुरू की गई इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम व्यक्तियों या कॉरपोरेट्स को गुमनाम फंडिंग की सुविधा देती है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के अनुसार, 2018 और 2022 के बीच इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को दान के रूप में अनुमानित 13,791 करोड़ रुपये जारी किए गए थे।