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भारत में अब 5% से भी कम लोग गरीब, गांवों में तेजी से बढ़ रही आय: नीति आयोग CEO

नीति आयोग (NITI Aayog) के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने बताया, "देखिए, तेंदुलकर समिति की एक पुरानी रिपोर्ट थी कि कौन गरीब होने के योग्य हो सकता है। अगर हम इसे इस सर्वे के आंकड़ों के साथ जोड़ते हैं, तो यह पता चलता है कि भारत में अब 5% से भी कम गरीब बचे हैं।”

Moneycontrol Newsअपडेटेड Feb 26, 2024 पर 12:09 PM
भारत में अब 5% से भी कम लोग गरीब, गांवों में तेजी से बढ़ रही आय: नीति आयोग CEO
नीति आयोग की रिपोर्ट अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आई है

देश में अब बस करीब 5 प्रतिशत आबादी ही गरीब है। नीति आयोग (NITI Aayog) के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने कंज्म्पशन एंड एक्सपेंडिचर सर्वे रिपोर्ट जारी करते हुए यह जानकारी दी। सर्वे के मुताबिक, देश के सबसे गरीब 5 प्रतिशत लोगों को मासिक प्रति व्यक्ति उपभोक्ता खर्च ग्रामीण इलाकों में 1,441 रुपये और शहरी इलाकों में 2,087 रुपये है। सुब्रमण्यम ने हमारे सहयोगी News18 को बताया, "देखिए, तेंदुलकर समिति की एक पुरानी रिपोर्ट थी कि कौन गरीब होने के योग्य हो सकता है। अगर हम इसे इस सर्वे के आंकड़ों के साथ जोड़ते हैं, तो यह पता चलता है कि भारत में अब 5% से भी कम गरीब बचे हैं।”

तेंदुलकर समिति का गठन दिसंबर 2005 में योजना आयोग ने किया गया था, जिसे अब नीति आयोग के नाम से जाना है। तेंदुलकर समिति ने दिसंबर 2009 में अपनी रिपोर्ट दी थी, इसमें ग्रामीण इलाकों की गरीब रेखा को उन्हीं कंज्म्पशन (खपत) के आधार पर नए सिरे से तय करने की सिफारिश की गई है, जो मौजूदा शहरी गरीबी रेखा से जुड़ी है। इस तरह 2004-05 में देश की कुल गरीब आबादी 37.2 फीसदी निकाला गया था। जिसमें ग्रामीण इलाकों में गरीबों का अनुपात 41.8 प्रतिशत और शहरी इलाकों में यह 25.7 प्रतिशत था। इन अनुमानों को योजना आयोग ने स्वीकार कर लिया था।

हालांकि, नीति आयोग के हालिया सर्वे से पता चलता है कि भारत के निचले 5 प्रतिशत लोगों का मासिक खर्च - जिसे मासिक प्रति व्यक्ति कंज्यूमर एक्सपेंडिचर भी कहा जाता है - ग्रामीण क्षेत्रों में 1,441 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 2,087 रुपये है। नीति आयोग के सीईओ ने कहा, ''यह डेटा मुझे इस बारे में निश्चित बनाता है।''

हालांकि, उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि भारत में लोग अब खुशहाल हैं। उन्होंने कहा, "इसका मतलब है कि अति गरीबी में रहने वाले लोग अब 5% से भी कम हैं।"

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