PhonePe के को-फाउंडर और सीईओ समीर निगम ने कहा है कि फोनपे की शुरुआत इंडिया में हुई थी। उन्होंने इसे विदेशी स्वामित्व वाली कंपनी बताए जाने का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि फोनपे ने इंडिया में अरबों डॉलर टैक्स चुकाए हैं। उन्होंने उन स्थितियों के बारे में भी बताया है, जिसमें फोन को कुछ साल पहले Flipkart को बेचने का फैसला लेना पड़ा। इसका 2016 में फ्लिपकार्ट में विलय हुआ था। निगम ने कहा कि कॉम्पिटिटिव प्रेशर खासकर Paytm जैसी मजबूत फंडिंग सपोर्ट वाली कंपनियों से मुकाबले को देखते हुए फ्लिकपार्ट में विलय का फैसला लेना पड़ा।