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समीर निगम ने PhonePe को विदेशी फर्म बताए जाने का विरोध किया, कहा-खास वजह से फोनपे Flipkart को बेचना पड़ा

फोनपे के को-फाउंडर समीर निगम ने कहा कि फोनपे की शुरुआत इंडिया में हुई थी। बाद में इसे फ्लिपकार्ट को बेचना पड़ा। वॉलमार्ट के फ्लिपकार्ट को खरीदने के बाद फोनपे भी अमेरिकी रिटेल कंपनी का हिस्सा बन गई

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 22, 2024 पर 2:36 PM
समीर निगम ने PhonePe को विदेशी फर्म बताए जाने का विरोध किया, कहा-खास वजह से फोनपे Flipkart को बेचना पड़ा
फ्लिपकार्ट ने 2016 में फोनपे का अधिग्रहण किया था। उसके बाद उसने पेमेंट फर्म के पूरे बिजनेस को इंडिया से सिंगापुर ट्रांसफर कर दिया था।

PhonePe के को-फाउंडर और सीईओ समीर निगम ने कहा है कि फोनपे की शुरुआत इंडिया में हुई थी। उन्होंने इसे विदेशी स्वामित्व वाली कंपनी बताए जाने का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि फोनपे ने इंडिया में अरबों डॉलर टैक्स चुकाए हैं। उन्होंने उन स्थितियों के बारे में भी बताया है, जिसमें फोन को कुछ साल पहले Flipkart को बेचने का फैसला लेना पड़ा। इसका 2016 में फ्लिपकार्ट में विलय हुआ था। निगम ने कहा कि कॉम्पिटिटिव प्रेशर खासकर Paytm जैसी मजबूत फंडिंग सपोर्ट वाली कंपनियों से मुकाबले को देखते हुए फ्लिकपार्ट में विलय का फैसला लेना पड़ा।

मजबूरी में लिया गया फोनपे को फ्लिपकार्ट को बेचने का फैसला

निगम ने कहा कि फोनपे की शुरुआत इंडिया में हुई थी। दूसरी कंपनियों से मुकाबले के लिए मैंने पूरी कंपनी फ्लिपकार्ट को बेच दी। उन्होंने कहा कि हमें यूपीआई के लिए असीम संभावनाओं में भरोसा था। हम एक प्रतिष्ठित कंपनी बनाने के लिए फ्लिपकार्ट के फाउंडर्स बंसल्स से सुरक्षा चाहते थे। निगम ने हाल में हाई संसदीय समिति की रिपोर्ट पर मनीकंट्रोल के सवालों के जवाब में ये बातें कहीं। संसदीय समिति की रिपोर्ट में इंडिया के फिनटेक इकोसिस्टम में वॉलमार्ट की फोनपे और गूगल जैसी विदेशी स्वामित्व वाली कंपनियों के प्रभुत्व पर चिंता जताई गई है।

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