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Byju's की नाकामी के बाद पूरे स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए सख्त नियम बनाने की जरूरत

स्टार्टअप की वैल्यूएशन जब तक बढ़ती रहती है तब तक उसके कामकाज को लेकर सवाल नहीं उठाए जाते। लेकिन, वैल्यूएशन में गिरावट शुरू होने पर शेयरहोल्डर्स और इनवेस्टर्स चौकन्ना हो जाते हैं। साल 2019 में बायजूज की वैल्यूएशन 5.5 अरब डॉलर थी, जो 2022 में बढ़कर 22 अरब डॉलर तक पहुंच गई

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 26, 2024 पर 1:28 PM
Byju's की नाकामी के बाद पूरे स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए सख्त नियम बनाने की जरूरत
बायजू रवींद्रन को हटाने की इनवेस्टर्स की मांग न सिर्फ बायजूज के लिए बड़ा झटका है बल्कि इससे इंडियन स्टार्टअप्स में कॉर्पोरेट गवर्नेंस का मसला सुर्खियों में आ गया है।

बायजूज (Byju's) के बड़े निवेशकों ने कंपनी के फाउंडर बायजू रवींद्रन को हटाने और बोर्ड में बदलाव करने की मांग की है। यह न सिर्फ बायजूज के लिए बड़ा झटका है बल्कि इससे इंडियन स्टार्टअप्स में कॉर्पोरेट गवर्नेंस का मसला सुर्खियों में आ गया है। हालांकि, इसमें नया कुछ नहीं है। स्टार्टअप्स ने अब तक यह नहीं समझा है कि कॉर्पोरेट गवर्नेंस उनकी जिम्मेदारी है। पिछले कुछ महीनों से कंपनी मामलों का मंत्रालय (MCA) स्टार्टअप्स के लिए कॉर्पोरेट गवर्नेंस को अनिवार्य बनाने के लिए गाइडलाइंस तैयार करने के बारे में सोच रहा है। देर से ही सही, लेकिन बायजूज के बड़े निवेशकों ने कड़े फैसले लिए हैं। यह पूरे स्टार्टअप इकोसिस्टम के हित में हो सकता है। उन्हें न सिर्फ कॉर्पोरेंट गवर्नेंस की अनदेखी की वजह से यह कदम उठाना पड़ा बल्कि बायजूज का 25 करोड़ डॉलर की वैल्यूएशन पर राइट्स इश्यू के जरिए फंड जुटाने की कोशिश ने उन्हें कंपनी के खिलाफ खुलकर आ जाने को मजबूर कर दिया।

सालों से बायजूज कॉर्पोरेट गवर्नेंस की अनदेखी कर रही थी

प्राइवेट इक्विटी की दुनिया में जो चीज सबसे अहम है वह है वैल्यूएशन। जब तक किसी स्टार्टअप की वैल्यूएशन बढ़ती रहती है, कोई सवाल नहीं पूछा जाता। जैसे ही वैल्यूएशन गिरती है चारों ओर से सवाल उठने लगते हैं। बायजूज के निवेशकों ने गवर्नेंस, फाइनेंशियल मिसमैनेजमेंट और कंप्लायंस के जो मसले उठाए हैं, वे नए नहीं हैं। सालों से यह कंपनी बुनियादी कॉर्पोरेट नॉर्म की अनदेखी करती आ रही है। ऑडिटेड रिजल्ट्स के ऐलान में देर होती रही। उसने अपने कर्ज चुकाने से इनकार किया। इसके ऑडिटर्स ने रहस्यम तरीके से इस्तीफा दिए। ये सभी शेयरहोल्डर्स के लिए मैनेजमेंट में बदलाव की मांग करने के लिए पर्याप्त कारण थे। इनवेस्टर्स को इन बातों की चिंता थी, लेकिन वे खुलकर सामने आने को तैयार नहीं थे।

वैल्यूएशन घटते ही कंपनी के कामकाज को लेकर सवाल

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