बायजूज (Byju's) के बड़े निवेशकों ने कंपनी के फाउंडर बायजू रवींद्रन को हटाने और बोर्ड में बदलाव करने की मांग की है। यह न सिर्फ बायजूज के लिए बड़ा झटका है बल्कि इससे इंडियन स्टार्टअप्स में कॉर्पोरेट गवर्नेंस का मसला सुर्खियों में आ गया है। हालांकि, इसमें नया कुछ नहीं है। स्टार्टअप्स ने अब तक यह नहीं समझा है कि कॉर्पोरेट गवर्नेंस उनकी जिम्मेदारी है। पिछले कुछ महीनों से कंपनी मामलों का मंत्रालय (MCA) स्टार्टअप्स के लिए कॉर्पोरेट गवर्नेंस को अनिवार्य बनाने के लिए गाइडलाइंस तैयार करने के बारे में सोच रहा है। देर से ही सही, लेकिन बायजूज के बड़े निवेशकों ने कड़े फैसले लिए हैं। यह पूरे स्टार्टअप इकोसिस्टम के हित में हो सकता है। उन्हें न सिर्फ कॉर्पोरेंट गवर्नेंस की अनदेखी की वजह से यह कदम उठाना पड़ा बल्कि बायजूज का 25 करोड़ डॉलर की वैल्यूएशन पर राइट्स इश्यू के जरिए फंड जुटाने की कोशिश ने उन्हें कंपनी के खिलाफ खुलकर आ जाने को मजबूर कर दिया।