फिनटेक यूनिकॉर्न भारतपे (BharatPe) को कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) से एक नोटिस मिला है। यह नोटिस इसे कंपनी की तरफ से फाउंडर अश्नीर ग्रोवर (Ashneer Grover) के खिलाफ शुरू की गई कानूनी कार्यवाही के बारे में जानकारी मांगने के लिए भेजा गया है। मनीकंट्रोल को सूत्रों के हवाले से जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक केंद्रीय मंत्रालय ने भारतपे से अश्नीर ग्रोवर के खिलाफ वे सभी सबूत मांगे हैं जो कंपनी ने दीवानी और आपराधिक मामले को लेकर अदालत में दाखिल किए हैं। बता दें कि यह मामला करीब दो साल से चल रहा है।
BharatPe का क्या कहना है?
इसे लेकर फिनटेक कंपनी भारतपे ने एक बयान जारी किया है। कंपनी का कहना है कि रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (RoC) ने लेटर भेजा है जिसमें कुछ अतिरिक्त जानकारियां मांगी गई है। मांगी गई ये जानकारियां चल रही जांच का एक हिस्सा है जो इंटर्नल गवर्नेंस रिव्यू के बाद शुरू हुई थी और जिसे कंपनी ने अपने ऑडिटेड रिजल्ट में सामने लाया था। कंपनी का कहना है कि वह अथॉरिटी के हरसंभव सहयोग कर रही है।
2022 की शुरुआत से ही चल रहा विवाद
चार साल पुरानी कंपनी भारत पे वर्ष 2022 की शुरुआत में ही विवादों में घिर गई थी। उस समय इसके फाउंडर पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने नायका आईपीओ में अलॉटमेंट नहीं मिलने पर अनुचित भाषा का इस्तेमाल किया और कोटक ग्रुप के एक एंप्लॉयी को धमकी भी दी। इस विवाद के बाद अश्नीर ग्रोवर ने भारतपे के मैनेजिंग फाउंडर (MD) के पद से इस्तीफा दे दिया लेकिन कंपनी ने उनकी अगुवाई में जो भी फाइनेंशियल प्रैक्टिसेज हुए थे, उसका फोरेंसिक ऑडिट शुरू कर दिया।
बाद में कंपनी ने अश्नीर ग्रोवर के खिलाफ एक सिविल केस किया। इसमें फर्जी बिलों के जाल और व्यक्तिगत उपयोग के लिए कंपनी के फंड के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया। फर्जी लेन-देन और फेक वेंडर्स के आरोपों के अलावा कंपनी ने अपने मुकदमे में आरोप लगाया कि अश्नीर ग्रोवर ने भारतपे की टेक्निक या कांसेप्ट में कुछ भी योगदान नहीं दिया। इसमें कहा गया है कि कंपनी के साथ अश्नीर ग्रोवर का जुड़ाव 2018 में शुरू हुआ और उस समय उन्होंने 31,920 रुपये का 'मामूली' निवेश किया, जिसके लिए उन्हें 3,192 शेयर मिले।