नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) को बिल्डरों से 7,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया वसूल होने की उम्मीद है। अथॉरिटी ने अटके हुए इन रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिए एस्क्रो खाते (Escrow Accounts) खोलना शुरू कर दिया है। इस मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने यह जानकारी दी। इन खातों को बिल्डर और अथॉरिटी दोनों की ओर से संयुक्त रूप से चलाया जाएगा। इससे बिल्डरों के लिए पैसों को अन्य परियोजनाओं या कार्यों के लिए ट्रांसफर करना मुश्किल हो जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां डेवलपर्स ने फंड को दूसरे परियोजनाओं में ट्रांसफर कर दिया, जिससे नोएडा में परियोजनाओं में देरी हुई और इनकी ओर से अथॉरिटी को लैंड कॉस्ट पेमेंट देने में भी चूक हुई।
नोएडा अथॉरिटी के चीफ फाइनेंस कंट्रोलर स्वतंत्र कुमार ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य बिल्डर की ओर से पैसों के गलत इस्तेमाल को हतोत्साहित करना, पारदर्शिता सुनिश्चित करना और डेवलपर्स से बकाया वसूलना है।
उन्होंने कहा, “नोएडा में 59 प्रमोटर हैं जिन्हें एस्क्रो खाते खोलने हैं। गैर-मुकदमेबाजी वाले बिल्डर का अथॉरिटी पर 7,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। हमारा लक्ष्य इस सिस्टम के जरिए यह बकाया वसूल करना है। अब तक, हमने पिछले 15 दिनों में चार प्रमोटरों के एस्क्रो खातों को प्रॉसेस किया है और मंजूरी दी है।" कुमार ने मनीकंट्रोल को बताया कि लगभग 55 और बिल्डर्स ने अभी भी खाते नहीं खोले हैं और हम उन पर इन खातों को खोलने के लिए दबाव डाल रहे हैं।
एस्क्रो खाता कैसे काम करता है?
एस्क्रो खाते से जुड़े सिस्टम को समझाते हुए उन्होंने कहा कि एस्क्रो खाते की शर्तों के अनुसार, किसी परियोजना से आए कुल कलेक्शन का 50 प्रतिशत इस खाते में डाला जाना चाहिए। कुमार ने कहा, "उदाहरण के लिए, यदि कोई प्रमोटर किसी परियोजना में खरीदारों से 100 करोड़ रुपये एकत्र करता है, तो 50 करोड़ रुपये इस एस्क्रो खाते में डाल दिए जाएंगे और हम अपना पेमेंट वहां से ले सकते हैं।"
एस्क्रो खाते में डाली जाने वाली राशि अलग-अलग मामलों के आधार पर अलग-अलग होगी। उन्होंने कहा, यह किसी परियोजना के बकाया और खरीदारों से ली जाने वाली राशि पर निर्भर करेगा।
अधिकारियों ने कहा कि यह योजना 2018 में शुरू की गई थी। इसके तहत डेवलपर्स को एक एस्क्रो खाता खोलना था ताकि घर खरीदारों से लिए गए पैसों का दुरुपयोग न हो और परियोजना में देरी न हो। लेकिन इसे प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जा सके।
कुमार ने कहा, “अब अथॉरिटी ने इस मोर्चे पर कड़ा रुख अपनाया है और प्रत्येक प्रमोटर पर एक एस्क्रो खाता खोलने के लिए दबाव डाल रही है। अथॉरिटी देरी से चल रहे परियोजनाओं के प्रमोटरों को ऐसे खाते खोलने के लिए नोटिस जारी कर रही है, ताकि परियोजनाओं की समय से डिलीवरी सुनिश्चित की जा सके और बकाया वसूल किया जा सके।”