जर्मनी के मेले में भारत की खिलौना कंपनियों को मिले करोड़ों के ऑर्डर, जानिए डिटेल

देश का खिलौना निर्यात 2014-15 में 9.61 करोड़ डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 32.57 करोड़ डॉलर हो गया है। सरकार टॉय इंडस्ट्री के लिए बेहतर मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम बनाने के लिए चौतरफा सहायता प्रदान कर रही है। यही वजह है कि देश में खिलौनों के आयात में भी 52 फीसदी की कमी आई है

अपडेटेड Feb 04, 2024 पर 6:29 PM
Story continues below Advertisement
जर्मनी के मेले में भारत की खिलौना बनाने वाली कंपनियों को करोड़ों रुपये के ऑर्डर मिले हैं।

जर्मनी के मेले में भारत की खिलौना बनाने वाली कंपनियों (Indian toy makers) को करोड़ों रुपये के ऑर्डर मिले हैं। दरअसल, जर्मनी के न्यूरमबर्ग में पांच दिन का इंटरनेशनल टॉय फेयर (International Toy Fair) आयोजित किया गया, जिसमें हिस्सा लेने वाली भारत की खिलौना कंपनियों को करोड़ों रुपये के ऑर्डर मिले हैं। खिलौना एक्सपोर्टर्स ने यह जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय कंपनियों ने मेले में हाई क्वालिटी वाले प्रोडक्ट्स शोकेस किए। उनके अनुसार, अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और जर्मनी जैसे देशों के खरीदारों ने उनके प्रोडक्ट्स में रुचि दिखाई और अच्छी संख्या में ऑर्डर दिए।

2000 से अधिक एग्जीबिटर्स ने लिया हिस्सा

न्यूरमबर्ग इंटरनेशनल टॉय फेयर तीन फरवरी को संपन्न हुआ। दुनिया के सबसे बड़े खिलौना मेलों में शामिल इस आयोजन में 65 से अधिक देशों के 2000 से अधिक एग्जीबिटर्स शामिल हुए। ग्रेटर नोएडा स्थित लिटिल जीनियस टॉयज प्राइवेट लिमिटेड के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (CEDO) नरेश कुमार गौतम ने कहा, "हमारे प्रोडक्ट्स को भारी सराहना मिली। चाहे वह लकड़ी के एजुकेशन टॉय हों या ‘सॉफ्ट टॉयज’। चीनी खिलौनों के प्रति एक मजबूत चीन विरोधी भावना थी और भारतीय खिलौनों की सराहना की गई। इसमें लगभग 60 फर्मों ने हिस्सा लिया।"


दो चीनी कंपनियों ने JV में दिखाई दिलचस्पी

उन्होंने कहा कि दो चीनी कंपनियों ने खिलौना बनाने के लिए भारत में लिटिल जीनियस के साथ ज्वाइंट वेंचर स्थापित करने में दिलचस्पी दिखाई है। गौतम ने कहा, "ज्वाइंट वेंचर नेशनल और इंटरनेशनल दोनों बाजारों की जरूरतों को पूरा करेगा।"

उन्होंने कहा कि मेले में विदेशी खरीदारों ने भारतीय कंपनियों को चीनी कंपनियों के साथ कंपटीशन करने के लिए प्राइसिंग में और अधिक कंपटीटिव बनने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि ऑर्डर पूरा करने के लिए कंपनी को अपना विनिर्माण बढ़ाना होगा और हम जल्द ही यह काम शुरू करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि क्वालिटी से जुड़े नियमों और कस्टम ड्यूटी में कटौती जैसे सरकारी उपायों से इस सेक्टर को तेज गति से बढ़ने में मदद मिली है।

खिलौनों का निर्यात बढ़ा, तो आयात में आई कमी

देश का खिलौना निर्यात 2014-15 में 9.61 करोड़ डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 32.57 करोड़ डॉलर हो गया है। सरकार टॉय इंडस्ट्री के लिए बेहतर मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम बनाने के लिए चौतरफा सहायता प्रदान कर रही है। यही वजह है कि देश में खिलौनों के आयात में भी 52 फीसदी की कमी आई है। 2014-15 में यह 33.25 करोड़ डॉलर से घटकर 2022-23 में 15.87 करोड़ डॉलर पर आ गया है।

Shubham Singh Thakur

Shubham Singh Thakur

First Published: Feb 04, 2024 6:29 PM

हिंदी में शेयर बाजारस्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंसऔर अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।