ठप पड़ी एयरलाइन गो फर्स्ट (Go First) का भविष्य संदिग्ध दिख रहा है। दरअसल, इस एयरलाइन के दोनों संभावित खरीदारों ने ऐसे पेमेंट सिस्टम का प्रस्ताव दिया है, जो इंजन मैन्युफैक्चरर प्रैट एंड व्हिट्नी (Pratt & Whitney) के साथ चल रहे मुकदमे के नतीजों पर आधारित होगा। गो फर्स्ट को दो बिड मिली हैं, जिनमें एक बिड स्पाइसडजेट (SpiceJet) के चीफ अजय सिंह और बिजी बी एयरवेज (Busy Bee Airways) के निशांत पित्ती के कंसोर्शियम की है, जबकि दूसरी शारजाह की इकाई स्काई-वन (Sky One) से मिली है।
मामले से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि इन दोनों बिडर्स में से किसी ने भी तत्काल पेमेंट के तौर पर मोटी रकम देने की पेशकश नहीं की है, ताकि एयरलाइन की कॉरपोरेट रिजोल्यूशन प्रोसेस (CIRP) कॉस्ट को कवर किया जा सके। सूत्रों के मुताबिक, यह लागत तकरीबन 600 करोड़ रुपये हो सकती है और देश के इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) सिस्टम के तहत बकाया रकम की रिकवरी के लिहाज से इसे प्राथमिकता सूची में रखा जाता है।
सीएनबीसी-टीवी18 (CNBC-TV18) को सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक, अजय सिंह-निशांत पित्ति कंसोर्शियम से अपफ्रंट पेमेंट के तौर पर 290 करोड़ रुपये का ऑफर मिला है। एक सूत्र ने बताया कि इसके अलावा, कंसोर्शियम ने प्रैट एंड व्हाइटनी के खिलाफ आर्बिट्रेशन की कार्यवाही के तहत लेनदारों की तमाम बकाया रकम का भुगतान करने का प्रस्ताव पेश किया है।
सूत्रों के मुताबिक, स्काई वन ने लेंडर्स को 410 करोड़ रुपये तत्काल भुगतान करने का ऑफर दिया है, जबकि बाकी 25 पर्सेंट पेमेंट वित्तीय लेनदारों को किए जाएंगे। दोनों में से किसी ने अपने ऑफर में यह नहीं बताया है कि प्रैट एंड व्हाइटनी से कितनी रिकवरी का अनुमान है और सेटलमेंट कब होने की अनुमान है।