Go First Issue: बंद हो चुकी विमानन कंपनी गो फर्स्ट (Go First) की कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (CIRP) को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने 60 दिनों के लिए आगे खिसका दिया है। एनसीएलटी ने आज इसकी डेट आगे तब खिसकाई जब इसे बताया गया कि तीन पार्टियों ने गो फर्स्ट को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। एनसीएलटी को यह बात गो फर्स्ट के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (RP) ने बताई है। रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल की तरफ से पेश दिवाकर माहेश्वरी ने अपना एक्सप्रेशन ऑफ इंटेरेस्ट (EoI) दाखिल करते हुए बयाना राशि जमा कर दिया है। इसके चलते गो फर्स्ट के लेंडर्स ने बहुमत से CIRP को आगे बढ़ाने के पक्ष में अपना मत दिया।
रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल के मुताबिक ये तीनों पार्टियां अपना रिजॉल्यूशन प्लान 15 फरवरी तक सबमिट कर सकती हैं। पिछले साल दिसंबर 2023 में यह खुलासा हुआ था कि गो फर्स्ट को खरीदने की होड़ में स्पाइसजेट, शारजाह की स्काई वन कंपनी और अफ्रीका की सैफरिक इनवेस्टमेंट्स इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखा रही हैं।
आखिरी बार बढ़ी डेडलाइन, SpiceJet भी है होड़ में
एनसीएलटी ने गो फर्स्ट के इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस को 60 दिनों के लिए आगे बढ़ाया है और यह विस्तार दूसरी बार मिला है। इससे पहले 23 नवंबर 2023 को एनसीएलटी ने 90 दिनों के लिए इसकी मियाद बढ़ाई थी जो 4 फरवरी को पूरी हो गई। अब 60 दिनों की जो मियाद बढ़ी है, उसकी गिनती 4 फरवरी से होगी। यह विस्तार आखिरी बार है क्योंकि CIRP को 330 दिनों के भीतर पूरा हो जाना है। अगर विमानन कंपनी 330 दिनों के भीतर कोई खरीदार नहीं तलाश पाती है तो यह लिक्विडेट हो सकती है।
Go First मई 2023 में पहुंची थी NCLT
वित्तीय संकटों से जूझ रही गो फर्स्ट पिछले साल 2 मई 2023 को सेक्शन 10 के तहत कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूश प्रोसेस के लिए एनसीएलटी के पास पहुंची थी। 10 मई 2023 को एनसीएलटी ने याचिका स्वीकार कर ली और कंपनी से जुड़े मामलों के लिए एक रिजॉल्यूशल प्रोफेशनल बनाया। हालांकि गोफर्स्ट को विमान लीज पर देने वालों ने एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLAT) में याचिका दायर कर दिया। उनका कहना था कि उनकी संपत्तियों को उनसे लिया जाना गलत है क्योंकि मोरेटोरियम से पहले ही लीज खत्म हो चुका था।
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने विमानन पट्टों को मोरेटोरियम से छूट देने की अधिसूचना जारी की। इसके साथ ही बेंच में बदलाव के कारण मामला टल गया। हालांकि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर कर स्पष्ट किया कि इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 के तहत विमानन पट्टों को स्थगन से छूट देने वाली अधिसूचना लंबित मामलों पर भी लागू होनी चाहिए।