Fiscal Deficit: देश का राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) वित्त वर्ष 2023 में कम होकर जीडीपी के 6.4% रहा। यह केंद्र सरकार के लक्ष्य के मुताबिक है। सरकार ने वित्त वर्ष 2023 में राजकोषीय घाटे को कम करके ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्शन (GDP) के 6.4% पर लाने का लक्ष्य रखा था। इसके पहले वित्त वर्ष 2022 में देश का राजकोषीय घाटा 6.7% रहा था। कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स (CAG) ने बुधवार 31 मई को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023 में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा 17.33 लाख करोड़ रुपये रहा, जो जीडीपी का 6.4 फीसदी है। हालांकि ऐब्सलूट टर्म में, यह 17.55 लाख करोड़ रुपये के संशोधित लक्ष्य से करीब 22,188 करोड़ रुपये कम रहा है।
वित्त वर्ष 2023 के बजट में वित्त मंत्रालय ने राजकोषीय घाटे के पहले 16.61 लाख करोड़ रुपये पर रखने का लक्ष्य रखा था। हालांकि बाद में इस टारगेट को बढ़ा दिया गया था। हालांकि, 2022-23 में भारत की इकोनॉमी के बजट अनुमान से अधिक तेजी के साथ बढ़ने की उम्मीद के चलते, राजकोषीय घाटा को ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्शन (GDP) के प्रतिशत के रूप में 6.4 प्रतिशत पर ही बरकरार देखा गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023 में सरकार का शुद्ध टैक्स रेवेन्यू अनुमानों से 0.5 फीसदी रहा था। जबकि नॉन-टैक्स रेवेन्यू में अनुमानों से 9.3 फीसदी अधिक रहा। इससे सरकार को वित्त वर्ष 2023 के अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिला।
हालांकि विनिवेश के मोर्च पर सरकार को थोड़ी मायूसी लगी। सरकार ने वित्त वर्ष 2023 में विनिवेश के जरिए 60,000 करोड़ रुपये आने का लक्ष्य रखा था, जबकि उसे इससे सिर्फ 46,035 करोड़ रुपये की आय हुई।
इस वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 5.9% पर लाने का लक्ष्य
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को पेश आम बजट में 2023-24 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.9% पर सीमित करने का लक्ष्य रखा है। सरकार अपने राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए बाजार से कर्ज लेती है।