Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर रेटिंग एजेंसियों की चिंता भी दूर करने की कोशिश की। उन्होंने रेटिंग एजेंसियों को स्पष्ट संदेश दिया कि सरकार फिस्कल कंसॉलिडेशन रोडमैप की दिशा में बेहतर काम कर रही है। वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा, ' हर रेटिंग एजेंसी के लिए सीधा मैसेज यह है कि हम न सिर्फ फिस्कल कंसॉलिडेशन के रोडमैप के हिसाब से काम कर रहे हैं, बल्कि हमारी परफॉर्मेंस इस रोडमैप से बेहतर है।'
वित्त मंत्री ने अगले वित्त वर्ष के लिए फिस्कल डेफिसिट 5.1 पर्सेंट रहने का टारगेट तय किया है, जो कई लोगों के लिए हैरानी की बात है। यह टारगेट 5.3 पर्सेंट रहने का अनुमान जताया जा रहा था। इसके अलावा, मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2023-24 के लिए फिस्कल डेफिसिट का संशोधित अनुमान 5.8 पर्सेंट बताया गया है, जो पहले तय किए गए टारगेट से थोड़ा सा कम है।
भारत की रेटिंग को लेकर सरकार का ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों- S&P ग्लोबल रेटिंग्स, मूडीज इनवेस्टर सर्विस और फिच रेटिंग्स से मतभेद है, क्योंकि उसे लगता है कि भारत को सबसे निचले स्तर का इनवेस्टमेंट ग्रेड दिया गया है और यह रेटिंग उसकी वास्तविक आर्थिक ताकत के लिहाज से सही नहीं है। मूडीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और भारत के प्राइमरी एनालिस्ट क्रिस्टियन डे गुजमैन (Christian de Guzman) का कहना था, ' सरकार ने इस बजट के जरिये फिस्कल कंसॉलिडेशन लक्ष्यों को लेकर स्पष्ट तौर पर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है।'
हालांकि, उन्होंने सरकार द्वारा फिस्कल टारगेट को पूरा करने को लेकर कुछ आशंकाएं भी जाहिर की हैं। उनका कहना है कि ग्लोबल स्तर पर चुनौतीपूर्ण माहौल की स्थिति में यह लक्ष्य हासिल करना मुश्किल हो सकता है। उनके मुताबिक, बजट में कई तरह के आकस्मिक खर्चों के लिए प्रावधान नहीं किया गया है।