Budget 2024 : पिछले 10 साल बॉन्ड मार्केट (Bonds Market) के लिए बहुत अहम रहे हैं। मार्केट का वॉल्यूम बढ़ा है। रिटेल पार्टिसिपेंट्स की संख्या भी बढ़ी है। बीते 10 साल में गवर्नमेंट सिक्योरिटीज (G-Sec) और कॉर्पोरेट बॉन्ड्स के आउटस्टैंडिंग अमाउंट की ग्रोथ 165 फीसदी रही है। कॉर्पोरेट्स बॉन्ड्स का आउटस्टैंडिंग अमाउंट 16.49 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 44.16 लाख करोड़ रुपये हो गया है। गवर्नमेंट सिक्योरिटीज का आउटस्टैंडिंग अमाउंट 5.79 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 15.43 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इस दौरान RBI और SEBI ने बॉन्ड मार्केट में रिटेल पार्टिसिपेशन बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें 2020-21 के बजट में कुछ खास गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में विदेशी निवेशकों को बगैर किसी लिमिट निवेश की इजाजत देने का ऐलान शामिल है। 2015-16 के बजट में रोड, रेल और सिंचाई परियोजनाओं के वास्ते टैक्स-फ्री इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड्स का ऐलान किया गया था।
इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्रीन बॉन्ड की शुरुआत
2023-24 के बजट में म्युनिसिपल बॉन्ड्स जारी करने के लिए अपनी क्रेडिटवर्दिनेस में सुधार करने वाले शहरों को इनसेंटिव देने का ऐलान किया गया। 2021 से 2023 के बीच इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्रीन बॉन्ड्स की शुरुआत हुई। पिछले 10 साल में कई बजटों में बॉन्ड्स से जुड़े ऐलान से बॉन्ड मार्केट को मजबूत बनाने में मदद मिली है। इस मार्केट में रिटेल पार्टिसिपेशन बढ़ा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार बॉन्ड मार्केट में रिटेल पार्टिसिपेशन बढ़ाना चाहती है। इसके लिए सरकार और रेगुलेटर्स के लेवल पर लगातार उपाय किए जा रहे हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर डेट फंड का ऐलान
यूनियन बजट 2016 में सरकार ने रोड, रेल और सिंचाई के लिए टैक्स-फ्री इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड का ऐलान किया था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये बॉन्ड्स काफी सुरक्षित हैं। सरकारी संस्थाओं की तरफ से ये नॉन-कनवर्टिबल डिबेंचर्स जारी किए जाते हैं। इन्हें इंफ्रा से जुड़े सेक्टर की परियोजनाओं के वास्ते पैसे जुटाने के लिए जारी किया जाता है। इंडिविजुअल और संस्थागत निवेशकों को इनमें निवेश करने की इजाजत है। यूनियन बजट 2022 में सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर डेट फंड का ऐलान किया था। इसका मकसद इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में विदेशी निवेश को आकर्षित करना था।
ए रेटिंग वाले बॉन्ड में निवेश की इजाजत
यूनियन बजट 2018 में वित्तमंत्री ने रेगुलेटर्स को 'एए' की जगह 'ए' रेटिंग वाले बॉन्ड्स में निवेश करने की इजाजत देने की गुजारिश की थी। वित्तमंत्री ने यह भी कहा था कि सरकार IFSC स्थित सभी फाइनेंशियल सर्विसेज के रेगुलेशन के लिए एक यूनिफायड अथॉरिटी बनाएगी। IFSC का मकसद इंडियन कंपनियों की तरफ से किए जाने वाले ऐसी सभी सर्विसेज और ट्रांजेक्शन को इंडिया लाना है जो अब तक विदेश के फाइनेंशियल सेंटर्स में किए जाते रहे हैं।
खास सरकारी सिक्योरिटीज में NRI को निवेश की इजाजत
सरकार ने बॉन्ड मार्केट की गहराई बढ़ाने के लिए बजट 2021 में एक बड़ा ऐलान किया था। सरकार ने कुछ खास तरह की सरकारी सिक्योरिटीज को NRI के निवेश के लिए ओपन कर दिया था। इसके बाद RBI 'फुली एक्सेसिबल रूट' नाम से एक अलग चैनल शुरू किया था। इसके जरिए NRI को 1 अप्रैल, 2020 से खास सरकारी बॉन्ड्स में निवेश करने की इजाजत दी गई थी। इसके बाद से बॉन्ड्स में विदेश निवेश बढ़ा है। हाल में जेपी मॉर्गन के ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में इंडियन गवर्नमेंट के बॉन्ड्स को शामिल करने के फैसले का भी बड़ा असर पड़ने की उम्मीद है।