भुवन भास्कर
भुवन भास्कर
टैक्स के मोर्चे पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने आम करदाताओं को निराश किया है। हर बार की तरह जो नौकरीपेशा लोग आयकर में कुछ राहत की उम्मीद लगाए बैठे थे, उन्हें मुस्कुराने का कोई कारण वित्त मंत्री ने नहीं दिया। फिर भी, बजट की कुछ घोषणाएं ऐसी जरूर आई हैं, जिन्हें टैक्स रिजीम के लिहाज से महत्वपूर्ण कहा जा सकता है।
सांत्वना के लिए वित्त मंत्री ने एक राहत की घोषणा जरूर की कि यदि कोई करदाता अपनी किसी आमदनी का जिक्र रिटर्न में करना भूल जाए, तो उसे उस एसेसमेंट ईयर के बाद 2 वर्षों तक अपने रिटर्न को अपडेट करने का मौका मिलेगा। पहले ऐसे मामले आर्बिट्रेशन में चले जाते थे और करदाताओं को उससे निकलने में खासी मशक्कत करनी पड़ती थी। लेकिन अब आम करदाता ऐसी गलती होने पर राहत की सांस ले सकते हैं। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उन घोषणाओं की एक कड़ी माना जा सकता है, जिसमें नागरिकों पर ज्यादा से ज्यादा भरोसा कर कम्प्लायंस बढ़ाने की रणनीति की हिमायत की जाती है।
बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) सरचार्ज की ऊपरी सीमा 15% तय की गई है। अब तक यह सिर्फ शेयर बाजारों में लिस्ट शेयरों और म्यूचुअल फंडों पर लागू था, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ाकर सभी एसेट क्लास तक कर दिया गया है। खास तौर पर रियल एस्टेट सेक्टर के लिए यह घोषणा सकारात्मक होगी और मकानों के रिसेल मार्केट को प्रोत्साहन मिलेगा।
टैक्स से जुड़ी एक अन्य घोषणा में वित्त मंत्री सीतारमन ने कहा कि दिव्यांगों के अभिभावक उनके लिए एक बीमा योजना ले सकेंगे। फिलहाल जारी नियमों के मुताबिक ऐसी बीमा योजना पर किसी दिव्यांग के अभिभावक सिर्फ तभी टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं यदि बीमा योजना लेने वाले की मृत्यु पर एकमुश्त रकम अथवा एन्युटी का भुगतान दिव्यांग को होने वाला हो। लेकिन ऐसी स्थिति भी आ सकती है जब किसी दिव्यांग व्यक्ति को अपने अभिभावक के जीवनकाल में ही उस एकमुश्त रकम या एन्युटी की आवश्यकता हो। सीतारमन ने पुराने नियम में बदलाव करते हुए अभिभावकों को उस स्थिति में भी टैक्स छूट क्लेम करने की सुविधा दे दी, जब उनके जीवनकाल में ही बीमित दिव्यांग को रकम दी जाए बशर्ते कि अभिभावक की उम्र 60 वर्ष से ऊपर हो।
डिजिटल परिसंपत्तियों के हस्तांतरण पर होने वाले भुगतान के ऊपर बजट में 1% TDS कटौती की भी घोषणा की। डिजिटल एसेट के तहत क्रिप्टो, NFT, और सरकार की ओर से 2023 में जारी होने वाली डिजिटल करेंसी शामिल होगी। यह एक प्रगतिशील कदम है जो आधिकारिक क्रिप्टो करेंसी को मौद्रिक तंत्र में शामिल कराने में मदद करेगी। सिर्फ 1% TDS के साथ सरकार ने यह इरादा भी जाहिर कर दिया है कि इसका उद्देश्य राजस्व कमाना नहीं है, बल्कि डिजिटल करेंसी और एसेट पर रेगुलेटर का नियंत्रण पक्का करना है। TDS कटने से डिजिटल एसेल का पूरा ट्रेल सरकार के पास होगा और अभी क्रिप्टो करेंसी पर जो आरोप लगते हैं, उनका निराकरण किया जा सकेगा।
हालांकि एक अन्य बजटीय प्रस्ताव से सरकार ने क्रिप्टो की कमाई करने वालों पर भी टैक्स का शिकंजा कस दिया है। इस प्रस्ताव के मुताबिक डिजिटल एसेट के हस्तांतरण से जो कमाई होगी, उस पर 30% का टैक्स लगेगा। शेयर, कमोडिटी, रियल एस्टेट म्यूचुअल फंड से यदि तुलना करें तो यह काफी ज्यादा है। जहां अन्य एसेट पर छोटी अवधि और लंबी अवधि की दो श्रेणियों में क्रमशः 15% और 10% टैक्स लगता है, वहीं क्रिप्टो करेंसी की ट्रेडिंग पर सीधे 30 प्रतिशत का टैक्स लगाया गया है। ऐसा कर सरकार ने एक तरह से यह संकेत भी दिया है कि भले ही वह डिजिटल करेंसी जारी कर रही है, लेकिन इसकी ऑनलाइन ट्रेडिंग को वह फिलहाल बढ़ावा देने के मूड में नहीं है।
राष्ट्रीय पेंशन स्कीम (NPS) में राज्य सरकार के कर्मचारियों को जरूर वित्त मंत्री ने तोहफा दिया है। अब तक केंद्र सरकार के कर्मचारियों द्वारा NPS में डाली गई रकम पर टैक्स छूट की सीमा 14% थी, लेकिन राज्य सरकार के कर्मचारी सिर्फ 10% रकम पर ही कर छूट क्लेम कर सकते थे। अब बजट 2022 में राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए भी छूट क्लेम करने की अधिकतम सीमा 14% कर दी गई है।
कोऑपरेटिव सोसायटी के लिए भी बजट में राहत दी गई है, जो अब तक 18% मिनिमम अल्टरनेट टैक्स (MAT) ब्रैकेट में थे, लेकिन अब उन पर इस टैक्स के बोझ को घटा कर 15% कर दिया गया है। साथ ही स्टार्टअप कंपनियों को भी लगातार तीन साल तक दी गई टैक्स रिडेम्पशन की सुविधा एक और साल के लिए बढ़ा दी गई है।
(लेखक कृषि और आर्थिक मामलों के जानकार हैं)
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