Exclusive| आर्थिक सर्वेक्षण 2022 में FY23 GDP अनुमान 9% के आसपास रहने की संभावना

इकोनॉमी सर्वे में भारत के घरेलू फार्मा सेक्टर, इस सेक्टर से हुए रिसर्च और डेवलपमेंट और इसके पूरे वैल्यू चैन पर सरकार के नजरिए और आगे की योजनाओं का विवरण हो सकता है.

अपडेटेड Jan 31, 2022 पर 11:44 AM
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आज पेश होने वाले इकोनॉमिक सर्वे 2022 (Economic Survey 2022) में वित्त वर्ष 2022 का जीडीपी 9-9.5 फीसदी रहने का अनुमान है। इसके साथ ही 2023 का जीडीपी अनुमान 9 फीसदी पर रह सकता है।

Union budget 2022-23:CNBC-TV18 को सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक आज पेश होने वाले इकोनॉमिक सर्वे 2022 (Economic Survey 2022) में वित्त वर्ष 2022 का जीडीपी 9-9.5 फीसदी रहने का अनुमान है। इसके साथ ही 2023 का जीडीपी अनुमान 9 फीसदी पर रह सकता है। आज पार्लियामेंट में पेश होने वाले इकोनॉमी सर्वे में इकोनॉमी के लिए महंगाई से जुड़ी चुनौतियों, खपत आधारित ग्रोथ जैसे मुद्दों पर भी फोकस रहने की उम्मीद है । बता दें कि यह मुद्दे कोविड महामारी के पहले से ही नीति नियंताओं के लिए सरदर्द बने हुए हैं।

बता दें कि बजट से पहले हर साल बजट के पहले पेश होने वाले इकोनॉमी सर्वे में कृषि, इंडस्ट्री, इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेस, सामाजिक विकास, रोजगार और यहां तक कि मौसम में हो रहे बदलाव जैसे मुद्दों पर सरकार के विचार और आगे की योजनाओं का विवरण होता है।

इसके साथ ही इस सर्वे में देश के वित्तीय विकास, मौद्रिक प्रबंधन, मुद्रा स्थिति, फाइनेंशियल नीतियों, बैंकिंग और दूसरे सेक्टरों पर पिछले वित्त वर्ष में हुए कामों की समीक्षा भी की जाती है। सरकार पिछले 2 साल से महंगाई पर नियत्रंण और देश में खपत बढ़ाने पर फोकस कर रही है। देश में घरेलू खपत की दर वित्त वर्ष 2020 के लेवल से 3 फीसदी नीचे है। यह जानकारी भारत के जीडीपी पर हाल ही में NSO द्वारा जारी सर्वेक्षण में दी गई है।


कोरोना महामारी के पहले से ही भारत में निजी खपत में सुस्ती आती दिखी है। प्रति व्यक्ति आधार पर देखें तो वित्त वर्ष 2020 में खपत ग्रोथ 2017 के 6.8 फीसदी से घटकर वित्त वर्ष 2020 में 4.4 फीसदी पर आ गई। वित्त वर्ष 2021 में इसमें 10.1 फीसदी का भारी संकुचन देखने को मिला है। ये आंकड़ें Crisil के हाल के रिपोर्ट पर आधारित हैं।

इस बीच खुदरा महंगाई नवंबर 2021 के 4.91 फीसदी से बढ़कर 5.59 फीसद पर आ गई है। आरबीआई नेअपने अनुमान में कहा है कि मंहगाई वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में अपनी पीक पर रहेगी। उसके बाद से फिर इसमें नरमी आनी शुरु होगी।

इकोनॉमिक सर्वे में कहां होगा फोकस

घरेलू इंडस्ट्री को ग्लोबल सप्लाई चैन के साथ इडिग्रेट करने में इस सर्वे में बड़ा फोकस हो सकता है। मनीकंट्रोल ने पहले ही जानकारी दी थी। इस बार के इकोनॉमिक के सर्वे में इंडस्ट्री को घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु सरकार पीएलआई स्कीम पर फोकस बढ़ा सकती है। इसके लिए एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए और घरेलू इंडस्ट्री को पुश देने के लिए सरकार फ्रीट्रेड एग्रीमेंट जैसे मुद्दों पर कदम आगे बढ़ाती नजर आ सकती है। इसके लिए 2022 में कई रणनीतिक कारोबारी भागीदारी करार की बात रखी जा सकती है।

कॉर्मस डिपार्टमेंट वर्तमान में 8 फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत कर रही है। आज आने वाले सर्वे में इकोनॉमी पर रोजगार सेशन पर फोकस हो सकता है। इसके साथ ही देश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के बीच के अंतर को कम करना और इंफ्रास्ट्रक्चर की विकास की बात भी सर्वेक्षण मेंजोरशोर से रखी जा सकती है। 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में 6 लाख से ज्यादा गांव है जबकि 7000 के करीब कस्बे और शहरी क्षेत्र है। कुल 121 करोड़ आबादी में से ग्रामीण आबादी का प्रतिशत 69 फीसदी है जबकि शहरी आबादी 31 फीसदी है।

डेमोग्राफी का अध्ययन करने वालों का मानना है कि इन आंकड़ों में पिछले 10 साल में काफी फेरबदल हुआ है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों से भारी संख्या में शहरी क्षेत्रों में माइग्रेशन हुआ है। आज पार्लियामेंट में पेश होने वाले इकोनॉमी सर्वे में सोशल सेक्टर से जुड़े मुद्दे पर भी बड़ा फोकस हो सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस सर्वे में सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट से जुड़े मुद्दों पर जोर हो सकता है। इसके अलावा मूलभूत जरुरतों जैसे पीने का साफ पानी, शौचालय,बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास पर भी सर्वे में सरकार की नीतियों, योजनाओं और अब तक की प्रगति की समीक्षा हो सकती है।

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जानकारों का यह भी कहना है कि कोरोना काल में 2 साल बितने के बाद इस बात की उम्मीद है कि इकोनॉमी सर्वे में भारत के घरेलू फार्मा सेक्टर, इस सेक्टर से हुए रिसर्च और डेवलपमेंट और इसके पूरे वैल्यू चैन पर सरकार के नजरिए और आगे की योजनाओं का विवरण हो सकता है।

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