इकोनॉमिक सर्वे 2022 आ चुका है। इसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में पेश किया। इसके साथ ही ससंद का बजट सत्र (Budget Session) शुरू हो चुका है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सुबह 11 बजे संसद को संबोधित किया। मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट 2022 लोकसभा में पेश करेंगी। हर साल इससे पहले इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey 2022) आता है। आइए जानते हैं कि इकोनॉमिक सर्वे में आपको क्या देखने की जरूरत है।
इकोनॉमिक सर्वे में चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि का अनुमान शामिल होता है। इसमें यह भी बताया जाता है कि अर्थव्यवस्था के ग्रोथ के रास्ते की बड़ी चुनौतियां क्या हैं और इनका हल क्या है। इकोनॉमिक सर्वे में चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में इकोनॉमिक ग्रोथ के लिए बेहतर अनुमान जताया गया है।
इकोनॉमिक सर्वे में आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान के अलावा अर्थव्यवस्था के अलग-अलग सेक्टर के हालात का जिक्र होता है। आपको इस बारे में जानना चाहिए। इससे पता चलेगा कि इकोनॉमी का कौन सा सेक्टर सबसे ज्यादा मुश्किल में है और किसमें चुनौतियां अपेक्षाकृत कम हैं। इससे आपको इन्वेस्टमें स्ट्रेटेजी बनाने में मदद मिलेगी। दूसरा, इकोनॉमिक सर्वे में रोजगार के हालात के बारे में व्यापक विश्लेषण है।
आपको इकोनॉमी में कंजम्प्शन की स्थिति पर भी नजर रखनी चाहिए। इकोनॉमिक सर्वे में इसका पूरा ब्योरा होता है। इस बार के इकोनॉमिस सर्वे में बताया गया है कि कंजम्प्शन के लिहाज से तस्वीर बहुत अच्छी है। इससे पता चलता है कि इकोनॉमी की रिकवरी का आधार कितना मजबूत है। इकोनॉमी की रिकवरी में सबसे बड़ी भूमिका कंजम्प्शन यानी खपत की होती है। आपको इकोनॉमिक सर्वे में कृषि सेक्टर के विश्लेषण को भी समझना होगा। इसकी वजह यह है कि कृषि ऐसा सेक्टर है, जिस पर कोरोना वायरस की सबसे कम मार पड़ी है। मुश्किल वक्त में जीडीपी में इसका योगदान खास मायने रखता है। इकोनॉमिक सर्वे में कृषि सेक्टर की तस्वीर अच्छी रहने का संकेत मिलता है।
आर्थिक सर्वे में यह शामिल होता है कि ग्रोथ बढ़ाने के लिए सरकार किन सेक्टर पर ज्यादा फोकस करेगी। दरअसल वित्त वर्ष 2023-24 तक इंडिया को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने के लक्ष्य को देखते हुए यह काफी अहम है। सरकार पहले से इंफ्रास्ट्रक्चर, एग्रीकल्चर और सर्विस सेक्टर पर ज्यादा ध्यान दे रही है। अगले दो वित्त वर्ष के दौरान उसका फोकस उन सेक्टर पर होगा जो 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य को हासिल करने में मददगार होंगे।