Economic Survey 2022 : ज्यादा लिक्विडिटी और इनसॉल्वेंसी प्रोसेस (insolvency process) के अटकने से फाइनेंसियल सिस्टम के लिए लॉन्ग टर्म रिस्क बढ़ेंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को लोकसभा में पेश आर्थिक समीक्षा 2021-22 में यह अनुमान जाहिर किया गया। रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने कोरोनावायरस महामारी (coronavirus pandemic) के चलते दबाव के बीच बैंकिंग सिस्टम को मदद करने के लिए बाजार को बड़ी मात्रा में लिक्विडिटी उपलब्ध कराई थी, वहीं सरकार ने इनसॉल्वेंसी प्रोसेस पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी थी।
लिक्विडिटी सपोर्ट वापस लेना, इनसॉल्वेंसी प्रोसेस फिर शुरू करना जरूरी
संसद में पेश समीक्षा में कहा गया, सपोर्ट 2021-22 में जारी रखा गया है और सरकार ने इकोनॉमी के उबरने के साथ कुछ लिक्विडिटी सपोर्ट वापस लेने और इनसॉल्वेंसी प्रॉसेस को फिर से शुरू करने की अनुमति दे दी है। इसमें कहा गया, “ऐसा करना जरूरी है, क्योंकि अत्यधिक लिक्विडिटी और इनसॉल्वेंसी प्रोसेस के अटकने से लॉन्ग टर्म रिस्क पैदा होते हैं।”
सरकार को डिफॉल्ट से बचने में कामयाबी मिली
समीक्षा में कहा गया कि इनसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग्स पर मोरेटोरियम के साथ, इकोनॉमी और विशेष रूप से एमएसएमई को फाइनेंसियल सपोर्ट देने के लिए सेफ्टी नेट के रूप से सरकारी गारंटियों का इस्तेमाल किया गया, जिससे सरकार को बड़े स्तर पर डिफॉल्ट से बचने में कामयाबी मिली।
फरवरी-मई, 2020 के दौरान मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी एमपीसी ने पॉलिसी रेपो रेट में 115 बेसिस प्वाइंट्स (बीपीएस) की कटौती की गई। तब से एमपीसी ने पॉलिसी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है।