Economic Survey 2022 : अभी भी खर्च से पीछे हट रहे कंज्यूमर, लेकिन एक्सपोर्ट-इंपोर्ट ने दिखाया दम

भले ही इकोनॉमी कोविड-19 से जुड़ी सुस्ती से बाहर निकल आई हो, लेकिन इकोनॉमिक ग्रोथ के लिहाज से अहम मानी जाने वाली प्राइवेट कंजम्प्शन अभी भी महामारी से पहले के स्तरों तक नहीं पहुंच सकी है

अपडेटेड Jan 31, 2022 पर 5:59 PM
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महामारी के चलते घरेलू इनकम घटने से, प्राइवेट स्पेंडिंग में कमी कोई आश्चर्य की बात नहीं है

Economic Survey 2022 : भले ही इकोनॉमी कोविड-19 से जुड़ी सुस्ती से बाहर निकल आई हो, लेकिन इकोनॉमिक ग्रोथ के लिहाज से अहम मानी जाने वाली प्राइवेट कंजम्प्शन (private consumption) अभी भी महामारी से पहले के स्तरों तक नहीं पहुंच सकी है। आर्थिक समीक्षा 2021-22 में यह बात कही गई है।

सोमवार को संसद में पेश समीक्षा में कहा गया, “नए एडवांस एस्टीमेट से पता चलता है कि 2021-22 में प्राइवेट कंजम्प्शन को छोड़कर मांग से जुड़े सभी कम्पोनेंट्स में सुधार देखने को मिला है। महामारी से पहले के स्तरों से तुलना करें तो निर्यात में उल्लेखनीय रिकवरी रही, जिसके बाद सरकारी कंजम्प्शन और ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन का नंबर रहा।”

जीडीपी में प्राइवेट कंजम्प्शन के सबसे ज्यादा योगदान


प्राइवेट कंजम्प्शन से देश में कंज्यूमर्स द्वारा खरीदे गए गुड्स और सर्विसेज पर खर्च की गई धनराशि का पता चलता है। इसमें 2021-22 में 6.9 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस प्रकार प्राइवेट कंजम्प्शन महामारी से पहले के स्तरों की तुलना में 97 फीसदी के स्तर पर है। जीडीपी में प्राइवेट कंजम्प्शन के सबसे ज्यादा योगदान को देखते हुए, इसमें बिना किसी अनुकूल बेस की मदद के 6-7 फीसदी की ग्रोथ रेट खासी अहम है। लेकिन महामारी के चलते घरेलू इनकम घटने से, प्राइवेट स्पेंडिंग की यह स्थिति कोई आश्चर्य की बात नहीं है।

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गुड्स और सर्विसेज के एक्सपोर्ट में खासी बढ़ोतरी

इसके अलावा, सर्वे में कहा गया कि 2021-22 में भारत के गुड्स और सर्विसेज के एक्सपोर्ट में खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई। ग्लोबल स्तर पर सप्लाई से जुड़ी बाधाओं के चलते ट्रेड कॉस्ट बढ़ने के बावजूद 2021-22 में मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट लगातार 8वें महीने 30 अरब डॉलर से ज्यादा रहा। एक्सपोर्ट और इंपोर्ट दोनों ही महामारी से पहले के स्तरों से ऊपर बने हुए हैं, जो तब से 11 फीसदी ज्यादा हैं।

आगे होगी बढ़ोतरी

समीक्षा में कहा गया, “वैक्सीनेशन कवरेज में तेज बढ़ोतरी के साथ आगे प्राइवेट कंजम्प्शन में मजबूत रिकवरी दिखने का अनुमान है।” इसमें तर्क दिया गया कि आईआईपी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे एचएफआई में तगड़ी मजबूती से समर्थन मिलने का भरोसा है।

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समीक्षा महामारी के चलते डिजिटल ट्रांजैक्शन विशेषकर यूपीआई पेमेंट्स में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की ओर संकेत करती है, जो कंज्यूमर सेंटीमेंट में सुधार का भी संकेत है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के डाटा के मुताबिक, दिसंबर में लगभग 8.27 लाख करोड़ रुपये के 456 करोड़ यूपीआई ट्रांजैक्शन हुए, जबकि अक्टूबर में 7.71 लाख करोड़ रुपये के 422 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए थे।

सर्वे में कहा गया, “2021-22 में सरकारी कंजम्प्शन के सबसे ज्यादा योगदान के साथ कुल कंजम्प्शन में 7.0 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है।”

बढ़ रहा है निवेश

ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (जीएफसीएफ) से मापे जाने वाले निवेश के 2021-22 में 15 फीसदी बढ़ने का अनुमान है और यह महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच गया है।

सरकार की कैपेक्स और इंफ्रास्ट्रक्चर स्पेंडिंग बढ़ाने पर जोर की नीतिक से इकोनॉमी में कैपिटल फॉर्मेशन बढ़ गआ और 2021-22 में जीडीपी में निवेश का अनुपात 29.6 फीसदी रहा जो सात साल में सबसे ज्यादा रहा।

MoneyControl News

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First Published: Jan 31, 2022 5:53 PM

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