Economic Survey 2022 : निर्मला सीतारमण ने इकोनॉमिक सर्वे पेश किया, फिस्कल 22 में 9.2% ग्रोथ का अनुमान, जानिए इसकी मुख्य बातें
इकोनॉमिक सर्वे में अर्थव्यवस्था को लेकर कई अहम बातों का ऐलान किया गया है। खास बात यह है कि यह सर्वे तब तैयार किया गया है, जब देश में मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) का पद खाली था।
बजट से एक दिन पहले इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाता है। इसे वित्त मंत्री पेश करता है। इसे बनाने में देश की मुख्य आर्थिक सलाहकार की सबसे ज्यादा भूमिका होती है।
आर्थिक सर्वे 2021-22 पेश हो गया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को इसे पेश किया। इसमें 9.2 फीसदी ग्रोथ का अनुमान जताया गया है। इसकी उम्मीद पहले से की जा रही थी। अब इस बात पर मुहर लग गई है कि कोरोना की मार के बाद से देश की अर्थव्यवस्था तेज ग्रोथ के रास्ते पर लौट रही है। आर्थिक सर्वे में अगले वित्त वर्ष में ग्रोथ रेट 8 से 8.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। यूनियन बजट (Union Budget 2022) मंगलवार को पेश होगा। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इसे दिन में 11 बजे लोकसभा में पेश करेंगी।
इकोनॉमिक सर्वे से शेयर बाजार खुश
इकोनॉमिक सर्वे आने के बाद शेयर बाजार में जबर्दस्त तेजी दिखी है। सेंसेक्स (Sensex) 1000 अंक से ऊपर जा चुका है। सुबह में शेयर बाजार मजबूत खुले थे। इकोनॉमिक सर्वे में ग्रोथ के ज्यादा अनुमान से बाजार खुश नजर आया है। इसकी वजह यह है कि ज्यादा ग्रोथ से डिमांड बढ़ेगी, जिसका सीधा असर कंपनियों के परफॉर्मेंस पर पड़ेगा।
एग्री सेक्टर और इंडस्ट्रियल ग्रोथ से मिलेगा सहारा
सर्वे में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान एग्री सेक्टर की ग्रोथ 3.9 फीसदी रहेगी। इस वित्त वर्ष में इंडस्ट्रियल ग्रोथ 11.8 फीसदी रहेगी। इसमें यह भी कहा गया है कि इस वित्त वर्ष में नवंबर तक आईपीओ के जरिए 89,000 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाए गए हैं।
बेकाबू नहीं होगी महंगाई
इस सर्वे में महंगाई दर (Inflation Rate) कंट्रोल में रहने की उम्मीद जताई गई है। यह इकोनॉमी के लिए अच्छी बात है। अगर महंगाई दर काबू में रहती है तो रिजर्व बैंक पर रेपो बढ़ाने का बहुत ज्यादा दबाव नहीं होगा। इससे कर्ज महंगा नहीं होगा।
इकोनॉमी चैलेंज से निपटने में सक्षम
आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि इकोनॉमी के सभी इंडिकेटर्स यह बता रहे हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था चुनौतियों से निपटने के लिहाज से मजबूत स्थिति में है। इसे एग्री और इंडस्ट्रियल ग्रोथ से सपोर्ट मिल रहा है। चालू वित्त वर्ष में जुलाई से सितंबर अवधि में इकोनॉमी की रफ्तार तेज हुई है। इससे यह कोरोना से पहले के स्तर पर आने में कामयाब रही है।
वैक्सीनेशन ड्राइव का दिखा पॉजिटिव असर
सर्वे ने कहा है कि बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन ड्राइव, सप्लाई साइड में सुधार, रेगुलेशंस में नरमी, शानदार एक्सपोर्ट ग्रोथ और खर्च बढ़ाने के लिए फिस्कल स्पेस के चलते इकोनॉमी को सहारा मिल रहा है। इससे कैपिटल एक्सपेंडिंग बढ़ाने में मदद मिली है।
कोरोना के खतरनाक होने की उम्मीद नहीं
हालांकि, सर्वे यह साफ कर दिया है कि उसके सभी अनुमान इस बात पर निर्भर करेंगे कि आगे कोरोना के चलते इकोनॉमी के सामने बहुत बड़ी बाधा नहीं आने जा रही है। इसके अलावा मानसून के भी सामान्य रहने की उम्मीद जताई गई है।
क्रूड ऑयल प्राइस 70 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान
इसमें वैश्विक बाजार में क्रूड की कीमत 70-75 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान जताया गया है।हमारी अर्थव्यवस्था पर क्रूड प्राइसेज का बहुत असर पड़ता है। क्रूड महंगा होने पर हमारे लिए मुश्किलें बढ़ जाती हैं। भारत अपनी जरूरत के 80 फीसदी क्रूड ऑयल का आयात करता है। अभी क्रू़ड ऑयल 90 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है।
इकोनॉमिक सर्वे में अर्थव्यवस्था को लेकर कई अहम बातों का ऐलान किया गया है। खास बात यह है कि यह सर्वे तब तैयार किया गया है, जब देश में मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) का पद खाली था। हालांक, इकोनॉमिक सर्वे से ठीक पहले सरकार ने इस पद नियुक्ति कर दी है। वी ए नागेश्वर नए मुख्य आर्थिक सलाहकर नियुक्त हुए हैं।
इससे पहले सरकार ने आर्थिक वृद्धि दर का पहला अग्रिम अनुमान पेश किया था। इसमें भी ग्रोथ रेट 9.2 फीसदी रहने की बात कही गई थी। अब इकोनॉमिक सर्वे में भी ग्रोथ का इतना ही अनुमान जताया गया है। हालांकि, यह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिसंबर में जारी ग्रोथ के अनुमान के मुकाबले थोड़ा कम है। फिर भी, कोरोना के बाद भारत की ग्रोथ दुनिया में सबसे तेज रहने की उम्मीद है। कई आर्थिक आंकड़ों से इस बात के सबूत मिले हैं।
कोरोना की महामारी से उबर रही हमारी अर्थव्यव्सथा के लिए इकोनामिक सर्वे में कई अहम बातें कही गई हैं। इसमें यह बताया गया है कि इकोनॉमी निगेटिव ग्रोथ रेट के दौर से बाहर निकल गई है। लेकिन, तेज ग्रोथ को बनाए रखने के लिए कई अहम कदम उठाने होंगे।