सरकार अगले 10 साल तक रेलवे में खूब पैसा डालेगी। दरअसल, सरकार रेलवे को वर्ल्ड क्लास का बनाना चाहती है। इसके लिए बड़े निवेश की जरूरत है। अभी दुनिया के विकसित देशों के मुकाबले इंडियन रेलवे काफी पीछे है। इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey 2022) में रेलवे की क्षमता बढ़ाने और पैसेंजर का ट्रैवल एक्सपीरियंस बढ़ाने के लिए कई बातें शामिल हैं। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को इकोनॉमिक सर्वे पेश किया। वह मंगलवार को बजट (Budget 2022) पेश करेंगी।
साल 2014 तक रेलवे में पूंजीगत खर्च सिर्फ 45,980 करोड़ रुपये सालाना था। गुड्स और पैसेंजर ट्रेन्स की रफ्तार सुस्त थी। बेहतर पैसेंजर सर्विसेज की बहुत कमी थी। रूट पर ज्यादा ट्रेन्स होने से काफी कंजेशन था। 2014 के बाद रेलवे में निवेश बढ़ाने के गंभीर प्रयास शुरू हुए। इसके चलते वित्त वर्ष 2021-22 में पूंजीगत खर्च बढ़करर 2,15,000 करोड़ रुपये पहुंच गया। यह 2014 के मुकाबले पांच गुना है। सोमवार को पेश इकोनॉमिक सर्वे में ये बातें कही गई हैं।
रेलवे की क्षमता बढ़ाने के लिए कई प्रोजक्ट्स पर काम चल रहा है। इससे आने वाले दिनों में रेलवे देश की ग्रोथ का इंजन बनेगा। नेशनल रेल प्लान में 2030 तक रेलवे नेटवर्क की कैपेसिटी बढ़ाने का प्लान तैयार किया गया है, जो साल 2050 तक की ग्रोथ की जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त होगी। इसके तहत न सिर्फ पैसेंजर डिमांड बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है बल्कि इससे माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी बढ़ाने पर भी जोर है। अभी माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी 26-27 फीसदी है। इसके बढ़ाकर 40-45 फीसदी करने का लक्ष्य तय किया गया है।
इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है, "58 प्रोजेक्ट की पहचान सुपर क्रिटिकल के तौर पर की गई है। इन्हें इस साल दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य है। 68 प्रोजेक्ट्स की पहचान क्रिटिकल के रूप में की गई है। इन्हें मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इससे उन रूट्स पर रेलवे की कैपेसिटी बढ़ जाएगी, जिनका इस्तेमाल मिनरल की ढुलाई के लिए होता है।" इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने पर जोर देने के अलावा रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन पर भी जोर दे रहा है।
अगले साल दिसंबर तक रेलवे अपने पूरे नेटवर्क का इलेक्ट्रिफिकेशन करना चाहता है। साथ ही दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-कोलकाता रूट को आधुनिक बनाने पर फोकस है। इससे इस रूट पर ट्रेंस की स्पीड बढ़कर 160 किलोमीटर प्रति घंटे हो जाएगी। इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि रेलवे देश में तैयार 'कवच' जैसी टेक्नोलॉजी को अपना रहा है। इसके अलावा वंदे मातरम जैसी ट्रेनों के जरिए पैसेंजर को बेहतर एक्सपीरियंस देने पर फोकस है।