मोदी सरकार में लगभग दोगुनी हो गई देश की इकोनॉमी, इन 6 आर्थिक सुधारों ने बढ़ा दी विकास की रफ्तार
Budget 2024-2025: मोदी सरकार 2014 में सत्ता में आने के बाद से अबतक कुल 10 पूर्ण बजट और एक अंतरिम बजट पेश कर चुकी है। इस दौरान देश की अर्थव्यवस्था लगभग दोगुनी हो गई है। 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई, तब देश की GDP (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) का साइज 2 ट्रिलियन डॉलर था। आज यह बढ़कर करीब 3.75 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया है
Budget 2024-2025: मोदी सरकार ने GST से लेकर IBC कोड तक, कई बड़े आर्थिक सुधार किए
Budget 2024-2025: मोदी सरकार आगामी 1 फरवरी को अपने दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट पेश करेगी। यह अंतरिम बजट होगा क्योंकि इसके तुरंत बाद देश में लोकसभा चुनाव होने हैं। साल 2014 में सत्ता में आने के बाद से अबतक यह सरकार कुल 10 पूर्ण बजट और एक अंतरिम बजट पेश कर चुकी है। इस दौरान देश की अर्थव्यवस्था लगभग दोगुनी हो गई है। 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई, तब देश की GDP (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) का साइज 2 ट्रिलियन डॉलर था। आज यह बढ़कर करीब 3.75 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया है। ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य भी भारत ने इन्हीं 10 सालों में हासिल किया है।
पिछले 10 सालों में देश की इकोनॉमी किस तेजी से बढ़ी है, इसे आप नीचे दिए टेबल में देख सकते हैं-
साल
GDP का साइज (अरब डॉलर में)
ग्रोथ (% में)
2023
3,750 (अनुमानित)
7.00% (अनुमानित)
2022
3,385.09
7.00%
2021
3,150.31
9.05%
2020
2,671.60
-5.83%
2019
2,835.61
3.87%
2018
2,702.93
6.45%
2017
2,651.47
6.80%
2016
2,294.80
8.26%
2015
2,103.59
8.00%
2014
2,039.13
7.41%
देश की इकोनॉमी बढ़ाने के पीछे कई योजनाओं और बड़े सुधारों को योगदान रहा, जिन्हें पिछले 10 सालों में इस सरकार ने लागू किया। इसमें गुड्स सर्विसेज एंड टैक्स (GST) से लेकर इंसॉल्वेंसी बैंकरप्सी कोड (IBC) तक शामिल है। यहां हम कुछ ऐसे ही प्रमुख योजनाओं के बारे में बता रहे हैं-
1. जीएसटी (GST)
गुड्स सर्विसेज टैक्स (GST), मोदी सरकार के सबसे बड़े आर्थिक सुधारों में से एक है। इसे 1 जुलाई 2017 को संविधान में संशोधन करने के बाद देश भर में लागू किया गया था। पहले केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग दरों पर विभिन्न तरह के टैक्स लगाया करती थीं। इसे हटाकर अब पूरे देश के लिए एक अप्रत्यक्ष टैक्स सिस्टम लागू कर दिया गया है। जीएसटी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि पूरे देश में सामान पर एक ही टैक्स चुकाना पर रहा है। इससे देशभर में सामान की कीमत एक है। साथ ही टैक्स सरंचना में सुधार होने से टैक्स भरना भी अब आसाना हो गया है और इससे टैक्स की चोरी भी रोकी है।
पिछले कई महीनों से जीएसटी कलेक्शन का नया रिकॉर्ड बना रहा है, जो इसकी सफलता को बताता है। पिछले 6 सालों में जीएसटी रजिस्ट्रेशन की संख्या लगभग 65 लाख से बढ़कर लगभग 1.4 करोड़ हो गई है। सालाना 14% की दर से बढ़ोतरी। इस बीच, वित्त वर्ष 2023 में जीएसटी रेवेन्यू बढ़कर 13.25 लाख करोड़ रुपये रहा, जो कोविड से पूर्व वित्त वर्ष 2019 में 8.76 लाख करोड़ था। यानी सालाना 11% की दर से बढ़ोतरी
हालांकि अभी जीएसटी के सामने कई चुनौतियां है। फ्यूल और शराब जैसे ऐसे कई प्रोडक्ट हैं, जो इसके दायरे से बाहर हैं। हालांकि जीएसटी काउंसिल लगातार नए उत्पादों को अपने दायरे में लाने के लिए काम कर रही है। हाल ही में इसने ऑनलाइन गेमिंग और घुड़सवारी को जीएसटी के दायरे में लाया है।
2. इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC)
बैंकों के बढ़ते नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स को देखते हुए मोदी सरकार ने मई 2016 में इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) लागू किया था। तब से बैंकिंग और कॉरपोरेट जगत को बदलने में इस एक्ट ने काफी योगदान दिया। IBC के तहत, सबसे बड़ा बदलाव यह था कि यह दिवालिया होने की स्थिति में कंपनी पर "प्रमोटर के मालिकाना हक" की जगह "क्रेडिटर्स के मालिकाना हक" की व्यवस्था लागू की गई। यह मॉडल किसी डूबती कंपनी को क्रेडिटर्स के कंट्रोल वाले नए मैनेजमेंट को सौंप देता है, जो न सिर्फ क्रेडिटर्स को अधिकतम वसूली दिलाने के काम करता है, बल्कि वह कंपनी को भी दोबारा अपने पैरों पर खड़ा करने की कोशिश करता है। इसलिए तरह यह IBC कोड एक तरह से पब्लिक वेलफेयर का भी काम करता है।
IBC कोड ने उधार लेकर बिजनेस करने वाली कंपनियों में एक तरह का अनुशासन लाया है। प्रमोटर में यह डर बैठा कि अगर उन्होंने डिफॉल्ट किया, तो वह अपनी कंपनी का कंट्रोल खो बैठेंगे। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिवालिया समाधान के मामले में भारत की रैंक 2020 में बेहतर होकर 52 पर पहुंच गई, जो 2017 में 136 थी।
3. पीएलआई स्कीम (PLI Scheme)
मोदी सरकार ने देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 2020–21 में प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव (PLI) योजना लॉन्च की थी। आज इस योजना के दायरे में 14 मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर आते हैं। सरकार ने यह स्कीम ऐसे समय में लॉन्च की थी, जब कोरोना महामारी के चलते बहुत सारी ग्लोबल कंपनियां ने चीन के बाहर भी अपने प्लांट लगाने पर गंभीरता पूर्वक विचार करना शुरू किया था। इस स्कीम से न सिर्फ 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा मिला है, बल्कि देश के एक्सपोर्ट में भी उछाल आया है। PLI स्कीम के चलते ऑर्गनाइज्ड सेक्टर में रोजगार भी बढ़े और इसका MSME इको-सिस्टम को भी मिला। हाल ही में सरकार ने देश में सेमीकंडक्टर लगान के लिए 10 अरब डॉलर की इनसेंटिव योजना का ऐलान किया था।
4. यूपीआई (UPI)
यूपीआई ने देश के फाइनेंशियल सिस्टम में क्रांति ला दी। चाय की टपरी से लेकर शॉपिंग मॉल, यहां तक कि लोगों के खाते में पैसे भेजने के लिए यूपीआई सबसे पसंदीदा विकल्प बन गया है। हालिया सितंबर तिमाही में यूपीआई प्लेटफॉर्म के जरिए 19.65 अरब ट्रांजैक्शन हुए थे, जिसकी वैल्यू करीब 32.5 लाख करोड़ रुपये थी। इसने गैर टेक-सेवी लोगों को भी डिजिटल वर्ल्ड से जोड़ा।
5. JAM ट्रिनिटी
सरकार ने सबसे पहले 2015 के इकोनॉमिक सर्वे में JAM (जन-धन, आधार और मोबाइल नंबर ) को 'हर आँख से आँसू पोंछने' वाली योजना के रूप में जिक्र किया था। इसके तहत सभी लाभार्थियों के जन-धन, आधार और मोबाइल नंबर को एक साथ लिंक किया गया था। इस स्कीम ने सरकार को सब्सिडी में लीकेज रोकने और गरीब लोगों तक योजनाओं का लाभ तेज और सुरक्षित तरीके से पहुंचाने में मदद मिली।
6. रेरा (RERA)
मोदी सरकार ने रियल एस्टेट सेक्टर में रिफॉर्म लाने के लिए साल 2016 में रियल एस्टेट रेगुलेशन अथॉरिटी (RERA) को लागू किया था। इसका उद्देश्य रियल एस्टेट सेक्टर में काले धन के इस्तेमाल और फ्रॉड को रोकना था। RERA के लागू होने से इस सेक्टर में काफी पारदर्शिता आई है, लेकिन अभी भी इसे लंबा सफर करना बाकी है। RERA ने सभी बिल्डर्स के लिए प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले अपने प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य कर दिया है। इसके अलावा कीमत, कंस्ट्रक्शन की क्वालिटी और अन्य फीस जैसे दूसरे मुद्दों का भी समाधान करना चाहता है।