Budget 2024 : फाइनेंस मिनिस्ट्री को वित्त वर्ष 2024-25 में यूरिया आयात बिल में एक-तिहाई फीसदी कमी की उम्मीद है। इसकी वजह यह है कि सरकार नैनो यूरिया और यूरिया के इस्तेमाल पर फोकस बढ़ा रही है। इससे अगले वित्त वर्ष में फर्टिलाइजर सब्सिडी में कमी आ सकती है। एक सरकारी अधिकारी ने इस बारे में बताया। इस वित्त वर्ष में यूरिया इंपोर्ट बिल के 31,000 करोड़ रुपये पहुंच जाने की संभावना है। अधिकारी ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में यूरिया का आयात कम रहेगा। इस वित्त वर्ष में सरकार यूरिया के आयात पर 31,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी। मार्केट डेवलपमेंट एसिस्टेंस और नैनो यूरिया के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर्स और मैन्योर्स यूरिया के विकलप हैं। वित्तमंत्रालय अगले वित्त वर्ष में यूरिया के आयात के लिए 20,000-21,000 करोड़ रुपये का आवंटन कर सकती है।
यूरिया पर सब्सिडी काफी ज्यादा
देश में फर्टिलाइजर्स की कुल खपत में यूरिया की हिस्सेदारी 55-60 फीसदी है। इसके लिए देश में उत्पादित यूरिया और आयातित यूरिया का इस्तेमाल होता है। यूरिया सब्सिडी स्कीम के तहत किसानों को 242 रुपये प्रति 45 किलोग्राम की दर से यूरिया उपलब्ध कराई जाती है। इसमें टैक्स और नीम कोटिंग चार्जेज शामिल नहीं हैं। 45 किलोग्राम के यूरिया के बैग की असल कीमत 2,200 रुपये है।
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मिट्टी की उर्वरा शक्ति बचाए रखने पर फोकस
जून 2023 में यूनियन कैबिनेट ने किसानों और खेती के लिए कई स्कीमों को मंजूरी दी थी। लिबरलाइज्ड मार्केट डेवलपमेंट असिस्टेंस स्कीम के लिए अगले तीन साल के लिए 1,415 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। इस स्कीम के तहत शहरों में कंपोजिटिंग को बढ़ावा दिया जाता है। सरकार का फोकस गोवर्द्धन प्लांट्स के जरिए निकलने वाले खादों के इस्तेमाल पर है। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर खराब असर नहीं पड़ता है।
नैनो यूरिया सस्ता होने के साथ ज्यादा कारगर
लिक्विड नैनो यूरिया एक नाइट्रोजन फर्टिलाइजर है। यह सस्ता है लेकिन ज्यादा प्रभावी है। इसका इस्तेमाल बढ़ने से यूरिया के आयात पर निर्भरता घटा सकती है। नैनो टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से लिक्विड नैनो यूरिया का उत्पादन होता है। यह क्रॉप न्यू्ट्रिएंट्स की क्षमता बढ़ाता है। 2025-26 तक 8 नैनो यूरिया प्लांट्स के चालू हो जाने की उम्मीद है। इनकी उत्पादन क्षमता 44 करोड़ बोतल की होगी, जो 195 लाख टन पारंपरिक यूरिया के बराबर है।