Union Budget 2024: उम्मीद से उलट चुनावों से पहले आए इस बजट में सरकार ने लोकलुभावन वादें नहीं किए। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) का फोकस इकोनॉमी को 7 फीसदी ग्रोथ के रास्ते पर रहा। सरकार का फोकस अपनी वित्तीय स्थिति ठीक करने पर भी है। बजट में मॉनेटरी पॉलिसी के मामले में RBI को पूरा स्पेस दिया गया है, जो स्वागतयोग्य है। वित्तमंत्री का बजट भाषण एक घंटे से कम का था। यह पिछले कुछ सालों में सबसे छोटा बजट भाषण है। वित्तमंत्री ने संकेत दिए कि सरकार को फिर से सत्ता में लौटने का पूरा भरोसा है। इसलिए रेवड़ियां बांटने वाले ऐलान नहीं किए गए।
बुनियादी सुविधाओं पर फोकस
एनडीए सरकार ने लोगों को सशक्त बनाने की अपनी कोशिशों के बारे में बताया। बिजली, शौचालय, बैंकिंग, रसोई गैस के मामले में स्थिति बेहतर हुई है। लोगों को घर और पीने का पानी उपलब्ध कराने में सफलता मिली है। इसका फायदा 50 करोड़ से ज्यादा लोगों को हुआ है। आज आबादी का यह हिस्सा ग्रोथ का हिस्सा बन रहा है। इस बात से वित्तमंत्री का भरोसा बढ़ा है कि 2019 के उलट अंतरिम बजट से पहले विपक्षा बिखरा दिख रहा है। पांच साल पहले विपक्ष ने कुछ राज्यों में जीत हासिल कर देश का ध्यान अपनी ओर खींचा था।
स्कीम का पैसा सीधे लोगों तक पहंच रहा
तब बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए की सरकार सावधानी बरतती दिखी थी। उसने अंतरिम बजट में किसानों के लिए आर्थिक मदद की स्कीम का ऐलान किया था। लोअर मिडिल क्लास को टैक्स में रियायत दी गई थी। पांच साल बाद स्थितियां पूरी तरह से अलग हैं। इनफ्लेशन 7.8 फीसदी तक पहुंच जाने के बाद अब नीचे आ रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 में ग्रोथ 7.3 फीसदी रहने का अनुमान है। पिछले 10 साल में एनडीए सरकार ने आधार के इस्तेमाल से लोगों को 34 लाख करोड़ रुपये पहुंचाएं हैं। इससे 2.75 लाख करोड़ रुपये गलत हाथों में पहुंचने से रोकने में मदद मिली है।
महिलाएं सरकार की पॉलिसी के ंकेंद्र में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार अपनी सरकार बनने के बाद स्वतंत्रता दिवस पर दिए अपने भाषण में हर घर में शौचालय उपलब्ध कराने का वादा किया था। एनडीए सरकार ने अपनी पॉलिसी के केंद्र में महिलाओं को बनाए रखा है। पिछले सितंबर में सरकार ने महिला आरक्षण बिल पारित कराया। इससे एक्स-फैक्टर को टारगेट करने के एनडीए के संकल्प का पता चलता है। हाल में कर्नाटक और मध्य प्रदेश सहित कुछ राज्यों में हुए चुनावों में देखा गया कि बड़ी संख्या में महिलाएं भाजपा और कांग्रेस को वोट देने के लिए मतदान केंद्रों तक पहुंचीं। मतदाताओं के दिल और दिमाग को जीतने की लड़ाई शुरू हो चुकी है।
अनिल पद्मनाभन एक वरिष्ठ पत्रकार हैं। (यहां व्यक्त विचार उनके निजी विचार हैं। यह इस पब्लिकेशन का विचार व्यक्त नहीं करते हैं।)