Budget 2024 : फाइनेंस मिनिस्टर Nirmala Sitharaman 1 फरवरी को यूनियन बजट (Union Budget 2024) पेश करेंगी। यह वित्त वर्ष 2024-25 का बजट होगा। 1 फरवरी, 2023 को सीतारमण ने अपने बजट भाषण में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए फिस्कल डेफिसिट का 5.9 फीसदी टारगेट तय किया था। यह वित्त वर्ष 2022-23 के 6.4 फीसदी के टारगेट से काफी कम था। अब निगाहें वित्त वर्ष 2024-25 के फिस्कल डेफिसिट के टारगेट पर टिकी हैं। इसका ऐलान वित्तमंत्री 1 फरवरी को अपने बजट भाषण में करेंगी। इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में फिस्कल डेफिसिट पूरे साल के टारगेट का 39.3 फीसदी रहा। इस दौरान फिस्कल डेफिसिट 7.02 लाख करोड़ रुपये रहा। आखिर फिस्कल डेफिसिट क्या है? फिस्कल डेफिसिट इकोनॉमी के लिए क्यों इतना अहम है? आइए इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
फिस्कल डेफिसिट का मतलब क्या है?
फिस्कल डेफिसिट सरकार की फिस्कल पॉलिसी का अहम हिस्सा है। यह सरकार की इनकम और खर्च के बीच का अंतर है। फिस्कल डेफिसिट से यह पता चलता है कि सरकार को अपने खर्च को पूरा करने के लिए कितना पैसा उधार लेना पड़ेगा। इनकम और खर्च के बीच अंतर जितना ज्यादा होता है, सरकार को उतना ज्यादा पैसे मार्केट से उधार लेने पड़ते हैं। आम तौर पर सरकार टैक्स और दूसरे स्रोतों से हासिल पैसे से अपनी जरूरतें पूरी करती है। दुनिया में शायद ही कोई बड़ा देश होगा, जिसके पास वित्त वर्ष के अंत में सरप्लस पैसा होता है।
फिस्कल डेफिसिट की वजह से सरकार क्यों कर्ज लेती है?
सरकार इनकम और खर्च के बीच के अंतर को पूरा करने के लिए कई स्रोतों से लोन लेती है। सरकार कर्ज लेने के लिए कुछ इंस्ट्र्मेंट्स का इस्तेमाल करती है। इन्हें डेटेड सिक्योरिटीज कहा जाता है। बॉन्ड इसका एक उदाहरण है। इन्हें डेटेड सिक्योरिटीज इसलिए कहा जाता है, क्योंकि एक निश्चित अवधि के बाद ये मैच्योर हो जाते हैं। इसका मतलब है कि एक निश्चिति अवधि के बाद सरकार को डेटेड सिक्योरिटीज से जुटाया गया पैसा लौटाना पड़ता है। सरकार के लिए मार्केट से लोन लेने का काम RBI करता है। सरकार इंडिविजुअल्स से भी कर्ज लेती है। दरअसल, वह सेविंग्स स्कीम में जमा पैसे को कर्ज के रूप में लेती है। उदाहरण के लिए वह पोस्ट ऑफिस सेविंग्स अकाउंट्स, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट्स और PPF में जमा पैसे कर्ज के रूप में लेती है।
FY26 तक फिस्कल डेफिसिट 4.5 फीसदी पर लाने का लक्ष्य
15वें वित्त आयोग (Finance Commission) ने फिस्कल डेफिसिट को वित्त वर्ष 2025-26 तक कम कर 4.5 फीसदी करने का लक्ष्य तय किया था। अभी वित्त वर्ष 20224-25 के लिए फिस्कल डेफिसिट का टारगेट तय नहीं किया गया है। लेकिन, एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार टारगेट कम रखेगी। इकोनॉमिक सर्वे 2023 में FY24 में जीडीपी ग्रोथ 6-6.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था। इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ 7.6 फीसदी रही। यह अनुमान के मुकाबले ज्यादा है।
फिस्कल डेफिसिट का टारगेट 5.9 फीसदी
वित्त वर्ष 2023-24 में फिस्कल डेफिसिट के 5.9 फीसदी के लक्ष्य को ध्यान में रख सरकार ने डेटेड सिक्योरिटीज के जरिए मार्केट से 11.8 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था। बाकी पैसा स्मॉल सेविंग्स स्कीम और दूसरे स्रोतों से जुटाने का प्लान था। यूनियन बजट 2023 में तय लक्ष्य के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 उधार से जुटाया गया कुल पैसा 15.4 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। यूनियन बजट 2023 में सीतारमण ने कहा था कि वित्त वर्ष 2023-24 में उधार को छोड़ सरकार को कुल 27 लाख करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है। इसके मुकाबले सरकार का कुल खर्च 45 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया गया था। टैक्स से कुल 23.3 लाख करोड़ रुपये मिलने का अनुमान जताया गया था।