Budget 2024-25: सरकार के खर्चे बढ़ जाते हैं तो कहां से मिलता है और पैसा

Budget 2024-25 : वित्तमंत्री की तरफ से हर साल यूनियन बजट में यह बताया जाता है कि सरकार अगले वित्त वर्ष के दौरान कितना कर्ज लेगी। इसे गवर्ममेंट बॉरोइंग कहते हैं। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2023 को अपने बजट भाषण में कहा था कि सरकार का ग्रॉस मॉर्केट बॉरोइंग अगले वित्त वर्ष में 15.4 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है

अपडेटेड Jan 03, 2024 पर 7:05 PM
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Budget 2024-25 : इस साल सितंबर में सरकार ने कहा था कि वह पूरे वित्त वर्ष के 15.4 लाख करोड़ रुपये के कर्ज के टारगेट में से 6.55 लाख करोड़ रुपये दूसरी छमाही में जुटाएगी।

Budget 2024-25 : आम तौर पर यह माना जाता है कि सरकार के पैसे की कमी नहीं है। इस धारणा की वजह यह है कि सरकार हर साल वेल्फेयर स्कीम, हेल्थ, एजुकेशन सहित कई चीजों पर हजारों करोड़ रुपये खर्च करती है। वह सड़क, पुल, रेलवे, बंदरगाह जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर पर हर वित्त वर्ष में बड़ा निवेश करती है। इसके लिए सरकार अपने रेवेन्यू का इस्तेमाल करती है। सरकार को मुख्य तौर पर दो तरह का रेवेन्यू होता है। पहला है टैक्स रेवेन्यू और दूसरा है नॉन-टैक्स रेवेन्यू। लेकिन, सरकार का रेवेन्यू उसके कुल खर्च से कम होता है। ऐसे में उसे कर्ज लेने को मजबूर होता है। इसका मतलब है कि सरकार की स्थिति भी आपकी और हमारी तरह होती है। उसकी इनकम खर्च के मुकाबले कम होती है। आइए इस पूरे मामले को समझने की कोशिश करते हैं।

इस वित्त वर्ष में 15.4 लाख करोड़ रुपये कर्ज लेने का प्लान

वित्तमंत्री की तरफ से हर साल यूनियन बजट में यह बताया जाता है कि सरकार अगले वित्त वर्ष के दौरान कितना कर्ज लेगी। इसे गवर्ममेंट बॉरोइंग कहते हैं। वित्तमंत्री Nirmala Sitharaman ने 1 फरवरी, 2023 को अपने बजट भाषण में कहा था कि सरकार का ग्रॉस मॉर्केट बॉरोइंग अगले वित्त वर्ष में 15.4 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। इसका मतलब है कि सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान कुल 15.4 लाख करोड़ रुपये कर्ज से जुटाने का प्लान बनाया था। यह वित्त वर्ष 2022-23 के 14.21 लाख करोड़ रुपये के ग्रॉस गवर्नमेंट बॉरोइंग से ज्यादा था।


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बॉन्ड्स के जरिए सरकार जुटाती है कर्ज

यूनियन बजट 2023 में सीतारमण ने कहा था कि तय अवधि में मैच्योर होने वाले सिक्योरिटी के जरिए सरकार 11.8 लाख करोड़ रुपये जुटाएगी। बाकी पैसा स्मॉल सेविंग्स और दूसरे स्रोतों से जुटाया जाएगा। डेटेड सिक्योरिटी का मतलब बॉन्ड से है। सरकार हर साल उधार से पैसे जुटाने के लिए बॉन्ड्स जारी करती है। इसे गवर्नमेंट बॉन्ड कहा जाता है। बैंक, म्यूचुअल फंड्स, इंश्योरेंस कंपनियों सहित कई सरकारी और प्राइवेट फाइनेंशियल गवर्नमेंट बॉन्ड्स में निवेश करते हैं। सरकार यह ध्यान रखती है कि उसके पैसे जुटाने से मार्केट पर किसी तरह का दबाव नहीं पड़े। इसलिए वह पूरे वित्त वर्ष में जुटाए जाने वाले पैसे में से आधा पहली छमाही में जुटाती है और बाकी दूसरी छमाही में जुटाती है।

इस वित्त वर्ष में फिस्कल डेफिसिट का टारगेट 5.9 फीसदी

इस साल सितंबर में सरकार ने कहा था कि वह पूरे वित्त वर्ष के 15.4 लाख करोड़ रुपये के टारगेट में से 6.55 लाख करोड़ रुपये दूसरी छमाही में जुटाएगी। यह पैसा बॉन्ड्स के जरिए जुटाने का प्लान था। सरकार ने यह भी कहा था कि वह इसमें से 20,000 करोड़ रुपये सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड्स के जरिए जुटाएगी। सरकार हर साल बजट में फिस्कल डेफिसिट का टारगेट जारी करती है। इससे यह पता चलता है कि सरकार का कुल खर्च उसके कुल रेवेन्यू से कितना ज्यादा होगा और सरकार को इस अंतर को पूरा करने के लिए कितना पैसा कर्ज लेना पड़ेगा। इस वित्त वर्ष के लिए सरकार ने फिस्कल डेफिसिट का 5.9 फीसदी टारगेट रखा है।

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First Published: Dec 30, 2023 4:47 PM

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