Budget 2024: मोदी राज में कितनी बढ़ी सोने की चमक? दो बार ₹25000 के नीचे चला गया था भाव

Budget 2024: सोना केवल श्रृंगार की चीज भर नहीं है। यह निवेश का एक विकल्प भी है और इसका इस्तेमाल औद्योगिक उद्देश्यों के लिए भी होता है। चूंकि सोने की कीमत लगातार उछलती ही जा रही है तो यह कहना गलत नहीं है कि इसमें रिटर्न भी अच्छा है। मोदी राज में जुलाई और अगस्त 2015 के दौरान एक वक्त ऐसा भी आया, जब देश के सराफा बाजारों में सोने की कीमत 25000 रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे चली गई

अपडेटेड Jan 13, 2024 पर 4:30 PM
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Budget 2024-25: देश में अब गोल्ड ज्वैलरी और गोल्ड आइटम्स पर हॉलमार्किंग अनिवार्य है

Budget 2024: 'कनक कनक तें सौ गुनी, मादकता अधिकाय...' हिंदी के प्रसिद्ध कवि बिहारी के दोहे की ये पंक्तियां कितनी सटीक हैं। बिहारी कहते हैं कि कनक यानि सोने में, कनक यानि धतूरे से 100 गुना ज्यादा नशा है। बात तो सही है। सोना, गोल्ड...नाम सुनते ही कैसे आंखों में चमक आ जाती है। वाकई सोने (Gold) की चमक जैसी और कोई चमक नहीं। ऐसे में अगर बात भारतीयों की हो तो उनके 'स्वर्ण प्रेम' को तो कोई टक्कर दे ही नहीं सकता। लगभग हर भारतीय महिला गोल्ड ज्वैलरी के साथ अपने श्रृंगार को पूर्ण पाती है। और केवल महिला ही क्यों...कई भारतीय पुरुष ऐसे हैं जो खास मौकों पर सोने की अंगूठी या चेन पहनते हैं, वहीं कुछ तो ऐसे हैं जो रोज ही इन्हें पहने दिखते हैं।

वैसे गौर करने वाली बात यह भी है कि सोना केवल श्रृंगार की चीज भर नहीं है। यह निवेश का एक विकल्प भी है और इसका इस्तेमाल औद्योगिक उद्देश्यों के लिए भी होता है। निवेश के लिहाज से अक्सर दबाव वाले, अनिश्चितता से भरे माहौल में सोना ज्यादा सुरक्षित लगने लगता है। और चूंकि सोने की कीमत लगातार उछलती ही जा रही है तो यह कहना गलत नहीं है कि इसमें रिटर्न भी अच्छा है। अब पिछले 10 वर्षों को ही ले ​लीजिए।

10 वर्षों में 126% चढ़ गई कीमत


भारत में नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) के आने के बाद से सोने ​के हाजिर भाव में (Spot Gold Price) में 126 प्रतिशत की मजबूती देखी गई है। मोदी सरकार का पहला कार्यकाल मई 2014 से शुरू हुआ। नरेंद्र मोदी ने 26 मई 2014 को भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। उस वक्त देश में फिजिकल गोल्ड की कीमत 27000-28000 रुपये प्रति 10 ग्राम के बीच थी। लेकिन मई 2023 में यह कीमत 60000-61000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई। 12 जनवरी 2024 को तो दिल्ली के सराफा बाजार में सोने की कीमत 63280 रुपये प्रति 10 ग्राम थी, यानि अब तक लगभग 126 प्रतिशत का उछाल।

अगर गोल्ड फ्यूचर्स पर नजर डालें तो मई 2014 में कीमत 26863 रुपये प्रति 10 ग्राम पर थी। मई 2023 तक यह 60198 रुपये प्रति 10 ग्राम थी। 12 जनवरी 2024 को फरवरी माह में आपूर्ति वाले कॉन्ट्रैक्ट का भाव 62219 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया। यानि, मई 2014 से अब तक 131 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी।

जब ₹25000 से नीचे गई कीमत...

देश में जुलाई 2015 के दौरान एक वक्त ऐसा भी आया, जब सराफा बाजार में सोने की कीमत मुंबई में 25000 रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे और कोलकाता में 24000 रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे चली गई। हालांकि दिल्ली और चेन्नई में कीमत 25200 रुपये प्रति 10 ग्राम से ऊपर थी। इसके बाद 2015 के अगस्त माह में कीमत एक बार फिर 25000 रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे पहुंच गई।

केडिया कमोडिटीज के मुताबिक, मोदी सरकार के कार्यकाल में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जैसी पहलों ने न केवल सुरक्षित निवेश को बढ़ावा दिया है, बल्कि सोने के आयात (Gold Import) में भी कटौती की है। इससे भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) मजबूत हुआ है। त्योहार की परंपरा और निवेश का विकल्प, इन दोनों रूपों में सोने का सांस्कृतिक और आर्थिक दोनों परिदृश्यों पर स्थायी प्रभाव है।

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सोने की कीमत पर असर डालने वाले अहम फैक्टर्स

सोने की कीमत पर महंगाई, भारतीय करेंसी की वैल्यू में उतार-चढ़ाव, ​डिमांड में कमी-वृद्धि, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने की कीमत में उतार-चढ़ाव, डॉलर की कीमत में कमजोरी और सप्लाई संबंधी मुद्दों जैसे गोल्ड इंपोर्ट पर लिमिटेशंस का असर पड़ता है। अगर डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी रुपये की वैल्यू गिरती है तो गोल्ड इंपोर्ट के लिए देश से ज्यादा मात्रा में करेंसी बाहर जाती है। वजह, इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन डॉलर में होते हैं। वहीं अगर डॉलर में कमजोरी आती है तो वैश्विक निवेशक, सोने को सुरक्षित मानते हुए इसमें निवेश बढ़ा देते हैं। नतीजा, सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ जाती हैं, जिनका असर भारत में भी दिखता है। दरअसल सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमतें भारत सहित दुनिया भर में सोने की कीमतों के लिए एक बेंचमार्क के रूप में काम करती हैं। इसीलिए अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उतार-चढ़ाव से घरेलू बाजारों में भी सोने की कीमत में तेजी या कमी दर्ज की जाती है।

नोटबंदी और Covid19: सोने की जर्नी में नहीं किए जा सकते नजरअंदाज

पिछले 10 वर्षों की अगर बात हो ही रही है तो नोटबंदी को कैसे भूला जा सकता है। 8 नवंबर 2016 को देश में नोटबंदी हुई, जिसके तहत 1000 रुपये के नोट और 500 रुपये के पुराने नोटों को बंद कर दिया गया। सरकार ने लोगों के पास मौजूद इन नोटों को चलाने/खर्च करने, बैंक में डिपॉजिट करने के लिए कुछ वक्त दिया था, साथ ही यह भी बताया था कि नोट कहां चलाए जा सकते हैं। विकल्पों में सोने की खरीद भी शामिल थी। मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी के ऐलान के बाद तुरंत ही सोने की खरीद में बंपर उछाल आया और कीमत 3 साल के हाई पर पहुंच गई। 9 नवंबर 2016 को देश में सोने की कीमत 31700 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार जा चुकी थी। लेकिन फिर यह डर पैदा हुआ कि आयकर विभाग, सोने का इस्तेमाल कर मनी लॉन्ड्रिंग करने वाले ज्वैलर्स पर शिकंजा कसेगा। लिहाजा कीमत गिरकर देश के प्रमुख बाजारों में 27350 रुपये प्रति 10 ग्राम तक लुढ़क गई।

कोविड 19 आने के बाद सोने की कीमत में बड़ी तेजी देखी गई। साल 2020 और 2021 में इसने नई ऊंचाइयां छुईं। कोविड19 के दौरान जब विश्व लॉकडाउन और कारोबारी गतिविधियों में मंदी की मार झेल रहा था, तो निवेशकों ने अन्य विकल्पों के बजाय सोने में निवेश करना सुरक्षित जाना। लिहाजा इसकी अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ीं, जिनका असर भारत के बाजारों पर भी पड़ा और यहां भी सोना महंगा होता चला गया।

मोदी कार्यकाल में गोल्ड की खरीद-फरोख्त से जुड़े अहम डेवलपमेंट

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड: भारत में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) स्कीम को मोदी सरकार ने नवंबर 2015 में लॉन्च किया। मकसद था, फिजिकल गोल्ड की खरीद में कमी लाना ताकि गोल्ड इंपोर्ट कम हो। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के तहत RBI, भारत सरकार के परामर्श से विभिन्न राउंड्स में गोल्ड बॉन्ड में निवेश का मौका देता है। साथ ही वक्त-वक्त पर इस स्कीम के लिए नियम व शर्तें नोटिफाई करता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड 2023-24 सीरीज-3, 18-22 दिसंबर के बीच खुली थी। वहीं सीरीज-4 के लिए 12-16 फरवरी की तारीख तय है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के तहत 1 ग्राम सोने में भी निवेश किया जा सकता है। गोल्ड बॉन्ड की साल 2015 में आई पहली किस्त 8 वर्ष के मैच्योरिटी पीरियड के साथ नवंबर 2023 में मैच्योर हो गई। पहली किस्त के तहत परचेज प्राइस 2684 रुपये प्रति ग्राम सोना यानि कि 26840 रुपये प्रति 10 ग्राम सोना पर फिक्स किया गया था। गोल्ड बॉन्ड की हर यूनिट 99.9 प्रतिशत शुद्ध 1 ग्राम सोने की वैल्यू के बराबर है।

गोल्ड ज्वैलरी की खरीद पर GST: देश में इनडायरेक्ट टैक्स के मामले में एक बड़े रिफॉर्म के तौर पर 1 जुलाई 2017 को GST (Goods and Services Tax) लागू हुआ। उत्पाद शुल्क, सर्विस टैक्स और VAT (Value Added Tax) जैसे एक दर्जन से ज्यादा लोकल टैक्सेज को हटाकर केवल एक टैक्स, GST को इफेक्टिव किया गया। इसके अलग-अलग टैक्स स्लैब्स के दायरे में विभिन्न प्रोडक्ट्स और सर्विसेज कवर होते हैं, जिनमें से एक गोल्ड ज्वैलरी भी है। गोल्ड ज्वैलरी की खरीद पर 3 प्रतिशत की दर से GST लगता है। GST आने से पहले गोल्ड ज्वैलरी की खरीद पर 1 प्रतिशत सर्विस टैक्स, 1 प्रतिशत VAT और 0.5 प्रतिशत का सेस लगता था, यानि कि कुल 2.5 प्रतिशत का टैक्स। लेकिन अब टैक्स की दर 3 प्रतिशत है। इसने भी सोने की खरीद महंगी बनाई है।

पेमेंट ऐप्स से डिजिटल गोल्ड में निवेश: आज केवल 1 रुपये में भी सोना खरीदा जा सकता है। कैसे, डिजिटल गोल्ड की बदौलत। पिछले कुछ वर्षों में देश में डिजिटल गोल्ड में निवेश ने जोर पकड़ा है। डिजिटाइजेशन और डिजिटल पेमेंट्स पर सरकार के जोर, ऑनलाइन सोना खरीदने में आसानी, कम बजट में भी गोल्ड में निवेश की सुविधा जैसे फैक्टर्स के कारण सोने की इस फॉर्म ने पॉपुलैरिटी बटोरी है, खासकर युवाओं के बीच। गूगल पे, पेटीएम, फोनपे जैसे ऐप्स की मदद से कोई भी आसानी से शुद्ध सोने में डिजिटल मोड के माध्यम से निवेश कर सकता है। सोने की यह फॉर्म, निवेशकों को फिजिकल गोल्ड जैसे ही फायदे उपलब्ध कराती है। पैसे लगाने वाला जब चाहे पेमेंट्स ऐप की मदद से सोना खरीद सकता है, जब चाहे बेच सकता है और चाहे तो फिजिकल गोल्ड में डिलीवरी भी पा सकता है। गोल्ड की बाइंग और सेलिंग रेट, मार्केट में उस वक्त गोल्ड की रेट के अनुरूप ही होती है। खरीदा गया सोना, सेफगोल्ड और MMTC-PAMP India के डिजिटल वॉल्ट में सेफ रहता है। वर्तमान में कई ज्वैलरी कंपनियां भी डिजिटल गोल्ड में निवेश की सुविधा उपलब्ध करा रही हैं।

गोल्ड हॉलमार्किंग: देश में अब गोल्ड ज्वैलरी और गोल्ड आइटम्स पर हॉलमार्किंग अनिवार्य है। ज्वैलर्स बिना हॉलमार्क की गोल्ड ज्वैलरी और आइटम्स नहीं बेच सकते हैं। हॉलमार्किंग 16 जून 2021 तक स्वैच्छिक थी। उसके बाद मोदी सरकार ने चरणबद्ध तरीके से इसे अनिवार्य किया। 23 जून 2021 को लागू पहले चरण में गोल्ड हॉलमार्किंग को 256 जिलों में अनिवार्य किया गया और 4 अप्रैल 2022 को लागू दूसरे चरण में 32 और जिलों को जोड़ा गया। इसके बाद तीसरा चरण 8 सितंबर 2023 से लागू हुआ, जिसमें 55 और जिलों में गोल्ड हॉलमार्किंग अनिवार्य की गई। 1 जुलाई 2021 से सरकार ने गोल्ड ज्वैलरी पर BIS हॉलमार्क साइन्स को रिवाइज कर दिया। 1 अप्रैल 2023 से देश में 6 अंकों के अल्फान्यूमैरिक HUID (विशिष्ट पहचान संख्या) की मौजूदगी वाली हॉलमार्क्ड गोल्ड ज्वैलरी और गोल्ड आइटम्स की बिक्री की ही इजाजत है। गोल्ड हॉल​मार्किंग, सोने की शुद्धता का प्रमाण है।

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किन-किन इंडस्ट्रीज में होता है सोने का इस्तेमाल

सोने की यूनीक प्रॉपर्टीज इसे कई तरह की इंडस्ट्रीज के लिए वैल्यूएबल बनाती हैं। यह हीट और इलेक्ट्रिसिटी का एक एक्सीलेंट कंडक्टर है। इस कारण से यह इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्रीज में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। जैसे कि प्रिंटेड सर्किट के तौर पर ओर ट्रांजिस्टर्स में। कंप्यूटर, कैलकुलेटर, टीवी, टेलिफोन और फायर डिटेक्टर्स के सर्किट आमतौर पर गोल्ड प्लेटेड होते हैं। यह एंटी लॉक ब्रेक और एयरबैग डिप्लॉयमेंट सिस्टम्स के तहत कारों में भी इस्तेमाल होता है। इसके अलावा इसे डेंट्रिस्ट्री, एयरोस्पेस, डिफेंस, स्पेस, टेक्नोलॉजी, केमिकल इंडस्ट्रीज, चुनिंदा मेडिकल डिवाइसेज, और कुछ फूड प्रोडक्ट्स में भी इस्तेमाल किया जाता है।

Ritika Singh

Ritika Singh

First Published: Jan 13, 2024 8:30 AM

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