Budget 2022: निर्मला सीतारमण के बजट में उत्तर प्रदेश और चुनावी राज्यों को क्या मिलने वाला है

बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए यह बड़ी राहत की बात है कि चुनावी माहौल में बजट की बारीकियों को लेकर पहले से बहुत कम टिप्पणी हो रही है

अपडेटेड Jan 31, 2022 पर 4:58 PM
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को लोकसभा में 2021-22 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेंगी

हर्ष वर्धन त्रिपाठी

देश का बजट आने के ठीक दसवें दिन देश के सबसे बड़े राज्य में जनता अपने जनप्रतिनिधियों को चुनने की शुरुआत कर देगी। एक फ़रवरी को देश का बजट आएगा और पहले चरण में उत्तर प्रदेश की 58 सीटों के लिए मतदान होना है। कुल सात चरणों में देश के सबसे बड़े प्रदेश की सभी 403 सीटों पर चुनाव होगा और इसकी के साथ अलग-अलग चरणों में उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर की जनता भी अपने जनप्रतिनिधियों को चुनेगी।

आदर्श आचार संहिता लागू होने की वजह से भले ही चुनाव वाले प्रदेशों की सरकारें कोई एलान नहीं कर सकती हैं, लेकिन देश के बजट में उन राज्यों की योजनाओं को तेज़ी देने के लिए बड़े प्रावधान की उम्मीद ज़रूर की जा सकती है। नरेंद्र मोदी सरकार का हर बजट बड़े आर्थिक सुधारों के इर्द गिर्द ही रहता है, लेकिन इस बजट में ऐसे किसी बड़े आर्थिक सुधार का संकेत या उसके लिए प्रावधान होने की गुंजाइश ना के बराबर दिखती है।


बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए यह बड़ी राहत की बात है कि चुनावी माहौल में बजट की बारीकियों को लेकर पहले से बहुत कम टिप्पणी हो रही है और, वायरस काल के दुष्प्रभावों को देखते हुए जनता सरकार से बहुत अधिक उम्मीदें लगाकर नहीं बैठी है।

बजट से पहले वित्त मंत्री जी के लिए एक अच्छी बात यह भी है कि, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत की तरक़्क़ी की रफ़्तार 9 प्रतिशत के ऊपर रहने का अनुमान लगाया है। साथ ही जीएसटी से राजस्व वसूली भी अच्छी रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के औद्योगिक सुधार के साथ सामाजिक योजनाओं के ज़रिये बजट प्रावधानों से अलग-अलग वर्गों तक पहुंचने की नीति का विस्तार इस बजट में भी देखने को मिल सकता है।

उज्ज्वला योजना के ज़रिये कमजोर वर्ग के लोगों तक रसोई गैस का सबसे बड़ा चुनावी फ़ायदा पहले 2017 और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिल चुका है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री गरीब शहरी और ग्रामीण आवास योजना भी उत्तर प्रदेश सहित सभी चुनावी राज्यों में प्रभावी दिख सकती है। अभी तक उत्तर प्रदेश में क़रीब 43 लाख आवास बन चुके हैं। कोरोना वायरस की दूसरी लहर में कुछ दिनों को छोड़ दें तो यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बेहतर प्रबंधन किया।

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इसमें सभी ज़िलों में मेडिकल कॉलेज खोलने की केंद्र की योजना को तेज़ी से राज्य सरकार का लागू करना भी रहा। एक फ़रवरी को पेश होने वाले बजट में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं पर बड़े प्रावधान में चुनावी राज्यों की हिस्सेदारी स्पष्ट दिख सकती है। देश में स्मार्ट शहरों की योजना का जोर शोर से प्रचार हुआ, लेकिन अभी तक स्मार्ट सिटी के तौर पर किसी शहर को सरकार प्रमुखता से सामने नहीं रख सकी है। इस बजट में स्मार्ट सिटी की अब तक की उपलब्धियों के साथ आगे की योजना को प्रमुखता से सरकार बता सकती है। उत्तर प्रदेश के धार्मिक, सांस्कृतिक विरासत वाले शहरों- अयोध्या, काशी, मथुरा, प्रयागराज में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत बजट प्रावधान बढ़ाया जा सकता है। प्रयागराज कुम्भ के साथ स्मार्ट सिटी परियोजना के कई काम तेज़ी से पूरे हुए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र सरकार की योजनाओं के जरिये पिछड़े, कमजोर वर्गों तक पहुंचने की रणनीति पर काम करते रहे हैं। इस बजट में भी चुनावी राज्यों को ध्यान में रखते हुए सामाजिक योजनाओं पर प्रावधान बढ़ाया जा सकता है। नेशनल इंफ़्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के ज़रिये बुनियादी विकास की परियोजनाओं में तेज़ी की बात भी बजट में सुनने को मिल सकती है। बुंदेलखंड डिफ़ेंस कॉरीडोर के साथ उत्तर प्रदेश के शहरों को हवाई सेवा से जोड़ने का भी बजट में प्रमुखता से उल्लेख किया जा सकता है।

न्यायालय की ओर से चारधाम हाइवे परियोजना के रास्ते में लगा अड़ंगा दूर होने के बाद इस पर तेज़ी से काम पूरा करना बजट में सरकार की प्राथमिकता में दिखेगा। कृषि क़ानूनों को नये सिरे से लागू करने का जोखिम फ़िलहाल सरकार नहीं लेती दिख रही है, लेकिन अलग-अलग राज्यों के लिहाज़ से खेती-किसानी के लिए कुछ नये प्रावधान बजट में अवश्य दिखेंगे। विशेषकर पंजाब के किसानों को धान और गेहूं के अलावा नई फसल के लिए भी विशेष योजना का एलान इस बजट में हो सकता है, जिससे धीरे-धीरे पंजाब के किसानों को एमएसपी के दायरे से बाहर वाली नक़दी फसलों की तरफ़ प्रेरित किया जा सके।

किसानों की आमदनी दोगुना करने के मोदी सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि, कृषि क़ानूनों को लागू किया जाए, लेकिन अब मोदी सरकार सीधे तौर पर इसे लागू करने से बचते हुए राज्यों के ज़रिये आधुनिक क़ानूनों के लिहाज़ से किसानों को तैयार करने का खाका भी बजट में पेश कर सकती है। कृषि उत्पादक संगठनों को तैयार करने पर केंद्र सरकार ने पहले ही पाँच वर्ष का लक्ष्य तय किया है।

सड़क, रेलवे और हवाई क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं के मामले में उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर के लिए बजट प्रावधान देखने को मिल सकते हैं। अभी मणिपुर में 75 वर्ष में पहली कार्गो ट्रेन पहुंचने को भारतीय जनता पार्टी राज्य के चुनाव में बड़ा मुद्दा बना रही है। वंदे भारत ट्रेनों का बड़ा हिस्सा चुनावी राज्यों को मिल सकता है।

दिल्ली से उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी तक प्रस्तावित बुलेट ट्रेन के बारे में भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट में बात कर सकती हैं। चुनावी राज्यों में नये शहरों में मेट्रो ट्रेन का एलान भी किया जा सकता है। मोदी सरकार को यह बात अच्छे से ध्यान में है कि, उत्तर प्रदेश सहित इन पाँच राज्यों के चुनाव को साधने के लिए बजट में इन राज्यों का भला होता दिखना अति आवश्यक है और यह होता हुआ दिखेगा।

(लेखक राजनीतिक मामलों के जानकार और हिंदी ब्लॉगर हैं)

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First Published: Jan 31, 2022 4:58 PM

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