Budget 2022: डिजिटल रुपया और डिजिटल एसेट्स में क्या अंतर है, इन पर किस तरह टैक्स लगेगा? खुद वित्तमंत्री ने दिया है इसका जवाब

आरबीआई शुरू से ही प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज के खिलाफ रहा है। उसका मानना है कि ये देश की सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता के लिए खतरनाक हैं

अपडेटेड Feb 02, 2022 पर 10:48 AM
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अगर कोई करेंसी केंद्रीय बैंक की तरफ से जारी नहीं की गई है, तो वह करेंसी नहीं है। क्रिप्टोकरेंसी इसका उदाहरण है। इसे डिजिटल एसेट्स कहा जा सकता है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतामरमण (Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को पेश बजट (Budget 2022) में सरकार के डिजिटल करेंसी (Digital Currency) लॉन्च करने की योजना के बारे बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) डिजिटल करेंसी लॉन्च करेगा। इसे इसी साल यानी 2022 में लॉन्च कर दिया जाएगा। उन्होंने डिजिटल एसेट्स पर लगने वाले टैक्स के बारे में भी बताया। यह भी बताया कि डिजिटल करेंसी और डिजिटल एसेट्स में क्या फर्क है। दरअसल डिजिटल करेंसी और डिजिटल एसेट्स को लेकर लोगों में काफी कनफ्यूजन है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

डिजिटल रुपया और डिजिटल करेंसी में क्या फर्क है?

एक करेंसी को करेंसी तभी माना जाता है, जब इसे किसी देश के केंद्रीय बैंक की तरफ से जारी किया जाता है। अगर कोई करेंसी केंद्रीय बैंक की तरफ से जारी नहीं की गई है, वह करेंसी नहीं है। क्रिप्टोकरेंसी इसका उदाहरण है। इसे डिजिटल एसेट्स कहा जा सकता है।

इस पर टैक्स के नियम क्या हैं?


पहले हमें यह समझ लेना होगा कि जो करेंसी अभी जारी नहीं की गई है, उस पर हम टैक्स नहीं लगाने जा रहे हैं। आरबीआई डिजिटल करेंसी जारी करने वाला है। कोई भी चीज जो इससे बाहर है, वह इंडिविजुअल द्वारा क्रिएट किया गया एसेट्स है। और ऐसे एसेट्स के ट्राजेक्शंस से होने वाले प्रॉफिट पर 30% टैक्स लगेगा। इसके अलावा इसके हर ट्रांजेक्शन पर 1 फीसदी टीडीएस भी लागू होगा।

यहां देखें वीडियो:

डिजिटल रुपया क्या है?

क्रिप्टो या डिजिटल करेंसीज की धूम दुनियाभर में है। अगले वित्त वर्ष यानी 1 अप्रैल से शुरू होने वाले फाइनेंशियल ईयर में भारत की अपनी डिजिटल करेंसी होगी, जो मौजूदा करेंसी का डिजिटल रूप होगा।

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के रेगुलेशन को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। सीबीडीसी एक डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है। लेकिन इसकी तुलाना प्राइवेट वर्चुअल करेंसी या क्रिप्टोकरेंसी से नहीं की जा सकती, जिसका बीते दशक में खूब विस्तार हुआ है। प्राइवेट वर्चुअल करेंसीज किसी व्यक्ति के कर्ज या लायबिलिटी को रीप्रजेंट नहीं करते, क्योंकि इसका कोई इश्यूअर नहीं है। ये मनी नहीं हैं और पक्के तौर पर करेंसी नहीं हैं।

आरबीआई शुरू से ही प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज के खिलाफ रहा है। उसका मानना है कि ये देश की सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता के लिए खतरनाक हैं।

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First Published: Feb 02, 2022 10:47 AM

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