Budget 2022: निर्मला सीतारमण बजट में इन घोषणाओं से आम आदमी को दे सकती हैं राहत
इकोनॉमी को मजबूत बनाने के साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर और रोजगार बढ़ावा देने वाले उपायों पर फोकस करने की जरूरत है। रोजगार के मौके बढ़ाने से इकोनॉमी रिकवरी की रफ्तार तेज करने में मदद मिलेगी
इकोनॉमी को मजबूत बनाना जरूरी है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सरकार को फिर से राजकोषीय स्थिति में सुधार के उपायों पर फोकस करना चाहिए। पिछले दो साल से कोरोना की महामारी से निपटने के लिए सरकार ज्यादा खर्च कर रही है। इसका असर सरकार की तिजोरी पर पड़ा है।
बजट (Budget 2022) पेश होने में करीब एक हफ्ते का समय बचा है। यह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) का चौथा बजट होगा। इस बजट से स्टॉक मार्केट (Stock Market), आम आदमी और अर्थशास्त्रियों को बड़ी उम्मीदें हैं। पिछले साल के सीतारमण के बजट को स्टॉक मार्केट ने बहुत पसंद किया था। कोरोनी की दूसरी लहर के बाद और तीसरी लहर के बीच यह बजट आ रहा है। इसलिए यह बजट कोरोना की मार से बेहाल इकोनॉमी और आम आदमी की दर्द पर मरहम लगा सकता है। आइए उन 10 उपायों के बारे में जानते हैं, जिनसे इकॉनॉमी (Economy) में मजबूती के साथ ही आम आदमी को बड़ी राहत मिलेगी।
1. स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि
सैलरीड क्लास इस बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) में वृद्धि की उम्मीद कर रहा है। कोरोना ने लोगों का मेडिकल खर्च बढ़ाया है। इधर, महंगाई खासकर पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी का जीना मुहाल कर दिया है। इससे खासकर मध्यम वर्गीय परिवारों का घरेलू बजट बिगड़ गया है। इसलिए स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाने की जरूरत है। वित्त मंत्री इसे 50,000 रुपये से बढ़ाकर सालाना 75,000 रुपये कर सकती हैं।
2. हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी में कमी
मेडीक्लेम पॉलिसी (Mediclaim) प्रीमियम पर जीएसटी की दर कम करने की जरूरत है। अभी यह 18 फीसदी है। इसे घटाकर 5 फीसदी किया जाना चाहिए। इससे लोगों के बीच हेल्थ पॉलिसी की मांग बढ़ेगी। अभी 18 फीसदी टैक्स के चलते प्रीमियम बहुत बढ़ जाता है। इससे कई लोग हेल्थ पॉलिसी लेने से कतराते हैं। इस बार बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बारे में ऐलान कर सकती हैं।
3. इकोनॉमी को मजबूत बनाने वाले उपाय
इकोनॉमी को मजबूत बनाना जरूरी है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सरकार को फिर से राजकोषीय स्थिति में सुधार के उपायों पर फोकस करना चाहिए। पिछले दो साल से कोरोना की महामारी से निपटने के लिए सरकार ज्यादा खर्च कर रही है। इसका असर सरकार की तिजोरी पर पड़ा है। उधर, टैक्स कलेक्शन में भी कमी का सामना करना पड़ा है। हालांकि, हालात अब ठीक हो रहे हैं। ऐसे में सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर और रोजगार बढ़ाने को प्राथमिकता में शामिल करने की जरूरत है।
4. वेल्थ टैक्स की वापसी
इकोनॉमिस्ट्स फिर से वेल्थ टैक्स (Wealth Tax) लगाने के पक्ष में हैं। उनका मानना है कि वेल्थ और इनहेरिटेंस टैक्स लगाने से समाज में तेजीज से बढ़ती आर्थिक असमानता को पाटने में मदद मिलेगी। कोरोना की महामारी का सबसे ज्यादा असर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के पर पड़ा है। इसके चलते गरीब और अमीर के बीच की खाई बहुत बढ़ गई है। वेल्थ और इनहेरिटेंस टैक्स लगाने से इस अंतर को कुछ हद तक दूर किया जा सकता है।
5. वर्क फ्रॉम होम के लिए अलग से डिडक्शन
कोरोना की महामारी साल 2020 में शुरू हुई थी। उस साल मार्च में लॉकडाउन लगने के बाद बड़ी संख्या में लोग वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) के लिए मजबूर हो गए। वर्क फ्रॉम होम (WFH) अब तक जारी है। खासकर प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले करोड़ों लोग घर से काम कर रहे हैं। इसके चलते इंटरनेट, बिजली, फर्नीचर सहित कई खर्चें बढ़ गए हैं। इसलिए वर्क फ्रॉम होम करने वाले लोगों के लिए बजट में अलग से डिडक्शन का ऐलान किया जा सकता है।
6. इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए रियायतें
सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल (Electric Vehicles) के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहती है। इससे तेजी से बढ़ रहे पेट्रोल और डीजल के इस्तेमाल में कमी आएगी। इससे पेट्रोलियम के आयात पर निर्भरता घटेगी। अगर सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल के लोन को प्रायरिटी लेंडिंग (Priority Lending) की कैटेगरी में लाती है तो इससे ईवी का इस्तेमाल बढ़ेगा। इस कदम से लोगों को इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने के लिए सस्ते दर पर लोन मिल सकेगा। ऑटो इंडस्ट्री का मानना है कि सरकार को ईवी (EV) से जुड़े रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए ज्यादा फंड का भी आवंटन करना चाहिए।
7. मनरेगा के लिए ज्यादा आवंटन
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इस बार मनरेगा (Mgnrega) के आवंटन में बड़ी वृद्धि करनी चाहिए। साल 2020 में लॉकडाउन शुरू होने के बाद से बड़ी संख्या में शहरों से लोग अपने गांव लौट गए थे। इनमें से कई लोग अब भी अपने गांव रह रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए मनरेगा इनकम का एक बड़ा जरिया है। इससे उन्हें साल में कम से कम 100 दिन रोजगार की गारंटी मिलती है।
8. एसटीटी में कमी
शेयरों की खरीद-फरोख्त पर लगने वाले सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) में कमी करने की जरूरत है। ब्रोकरेज फर्मों ने इस बारे में वित्त मंत्री को अपनी राय बताई है। उनका मानना है कि एसटीटी की वजह से एक्टिव ट्रेडर्स का मुनाफा घट जाता है। सिर्फ ब्रोकरेज फर्म जेरोधा के कस्टमर्स एसटीटी, स्टैंप ड्यूटी और जीएसटी के रूप में सालाना 2,500 करोड़ रुपये चुकाते हैं। एसटीटी को 2004 में लगाया गया था। तब वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने एलटीसीजी खत्म करने का एलान किया था। फिर बाद में एलटीसीजी भी लागू कर दिया गया। इसलिए सीटीटी को खत्म करने की जरूरत है।
9. रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर पर फोकस
सरकार को रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर पर फोकस करने की जरूरत है। इसकी वजह यह है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार देश में पारंपरिक ईंधन (कोयला, पेट्रोल, डीजल आदि) के इस्तेमाल को घटाना चाहती है। इसके लिए रिन्यूएबल एनर्जी की कैपेसिटी बढ़ाने की जरूरत है। इसलिए सरकार को इस सेक्टर में आरएंडडी को बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही इस सेक्टर में इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने वाली पॉलिसी का ऐलान भी बजट में किया जा सकता है।
10. स्टार्टअप के लिए अट्रैक्टिव पॉलिसी
स्टार्टअप्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। आज का युवा कुछ नया करना चाहता है। वह नौकरी तलाश करने की जगह नौकरी के मौके बनाना चाहता है। इसे बढ़ावा देने के लिए सरकार स्टार्टअप्स के लिए अट्रैक्टिव पॉलिसी का ऐलान कर सकती है। स्टार्टअप कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था का मानना है कि स्टार्टअप को स्थापना के 10 साल तक स्टार्टअप का दर्जा जारी रहना चाहिए।