Budget 2022: आगामी यूनियन बजट में रिटेल हाउसिंग को मिल सकता है बूस्टर डोज, सरकार उठा सकती है कुछ नए कदम - जोसेफ थॉमस

कोविड के बाद स्थितियां सामान्य होने के साथ ही केंद्रीय बैंक अब बढ़ती महंगाई और भारी लिक्विडिटी को नियंत्रण में लाने की कोशिश में लगेंगे जिसके चलते हमें दुनियाभर में ब्याज दरें बढ़ती नजर आएंगी। ऐसे में बाजार में करेक्शन स्वाभाविक है और हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए.

अपडेटेड Jan 24, 2022 पर 4:38 PM
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पिछले 2 साल में बाजार से निवेशकों को अब तक अप्रत्याशित रिटर्न मिला है और इस तरह के रिटर्न हर दम नहीं मिलते।

Union Budget 2022: बाजार की आगे की चाल दशा, दिशा , देश की इकोनॉमी और आगामी बजट पर बात करते हुए Emkay Wealth Management के जोसेफ थॉमस ने मनीकंट्रोल से कहा कि अक्सर बजट को बाजार में उतार-चढ़ाव के लिए एक बड़ा ट्रिगर माना जाता है। अगर बाजार बजट के प्रस्तावों और अनुमानों को सही पाता है तो फिर उसपर इसका पॉजिटीव असर होगा। स्टॉक मार्केट पर इस पर बात का असर पड़ता है कि बजट के प्रस्ताव कंपनियों को कितना प्रभावित करेंगे और कौन से ऐसे प्रावधान है जिससे कंपनियों की अर्निंग में तेजी आती दिख सकती है।

जोसेफ थॉमस का मानना है कि 1 फरवरी को आने वाले यूनियन बजट 2022-23 में रिटेल हाउसिंग को राहत भरी खबर सुनने को मिल सकती है। हाउसिंग एक बेसिक जरुरत है। देश की एक बड़ी जनसंख्या की यह जरुरत पूरी की जानी बाकी है । पिछले कुछ बजट में हाउसिंग पर काफी जोर दिया गया है। आनेवाले सालों में सरकार हाउसिंग से जुड़ी अपनी स्कीमों के कार्यान्वयन और इसके प्रभाव बढ़ाने के लिए कुछ नए कदम उठा सकती है।

जब उनसे पूछा गया कि क्या राज्यों में हो रहे चुनावों को देखते हुए बजट में पॉपुलिस्ट टोन हावी रहेगा या फिर यह ग्रोथ ओरिएंटेड रहेगा तो उन्होंने कहा कि पॉपुलिस्ट और ग्रोथ ओरिएंटेड बजट में अंतर करना बहुत मुश्किल का काम है। सामान्य तौर पर भारत में यूनियन बजट और राज्यों के बजट में इन दोनों का समावेश होता है। पॉपुलिस्ट बजट का मतलब सामान्य तौर पर यही होता कि आम आदमी को कर और बचत दरों पर तत्काल राहत मिले। वहीं ग्रोथ ओरिएंटेड बजट का मतलब है कि लंबी अवधि में मिलने वाला फायदा सभी पक्षों को मिलता है।


इस बातचीत में उन्होंने कहा कि कंपनियों को कर में मिलने वाली छूट इसी श्रेणी में आती है। मैं यह कहना चाहूंगा कि पिछले कुछ बजट से सोशल डेवलपमेंट पर फोकस रहा है। जिससे पूरे समाज को फायदा होता है। जब भी इलेक्शन होते हैं तब सोशल सेक्टर पर सरकारी खर्च बढ़ जाता है। इसलिए इलेक्शन के समय में हमें इस बजट में ऐसा होता दिख सकता है। इस बजट में सरकार लॉन्ग और शॉर्ट टर्म दोनों तरह के ग्रोथ के बीच संतुलन स्थापित करती नजर आ सकती है।

उन्होंने आगे कहा कि इस बजट में सरकार लोकल मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई स्कीम को विस्तार देती नजर आ सकती है। इसके अलावा विनिवेश पर भी सरकार का क्या नजरिया रहता है इस पर नजर बनी रहेगी। सरकार की विनिवेश नीति अक्सर पटरी से उतरी नजर आती है। ये एक चिंता का विषय है। एलआईसी का आईपीओ जल्द ही आ सकता है और जो विनिवेश योजानाएं 2021 में परवान नहीं चढ़ सकी हैं उन पर अब सरकार कितनी तेजी से काम करेगी इस पर नजरें रहेंगी। इसके अलावा फिस्कल कंसोलिडेशन को लेकर सरकार का क्या नजरिया होता है इस पर देशी और विदेशी दोनों निवेशकों की नजरें रहेंगी।

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जब उनसे पूछा गया कि क्या 2022 में मार्केट डबल डिजिट रिटर्न दे सकता है और क्या निफ्टी 2022 में 21000 के ऊपर बंद होगा ? तब उन्होंने कहा कि पिछले 2 साल में बाजार से निवेशकों को अब तक अप्रत्याशित रिटर्न मिला है और इस तरह के रिटर्न हर दम नहीं मिलते। लॉन्ग टर्म में रिटर्न सामान्य स्थिति पर लौट आता है। ऐसे में निवेशकों को बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं पालनी चाहिए। अगले साल 2022 में हमें 15-20 फीसदी का रिटर्न मुमिकन है। हमे यह ध्यान रखना चाहिए कि कोविड के बाद स्थितियां सामान्य होने के साथ ही केंद्रीय बैंक अब बढ़ती महंगाई और भारी लिक्विडिटी को नियंत्रण में लाने की कोशिश में लगेंगे जिसके चलते हमें दुनियाभर में ब्याज दरें बढ़ती नजर आएंगी। ऐसे में बाजार में करेक्शन स्वाभाविक है और हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए।

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First Published: Jan 24, 2022 4:34 PM

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