वित्तमंत्री निर्मला सीतामरण ने मंगलवार को बजट पेश कर दिया। इसमें उन्होंने टैक्सपेयर्स को राहत देने की कोशिश की है। हालांकि, टैक्स स्लैब के बुनियादी ढांचे में कोई बदलाव नहीं किया गया है। स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट भी नहीं बढ़ाई गई है। आइए जानते हैं बजट 2022 में टैक्सपेयर्स को क्या मिला है।
इनकम टैक्स रिटर्न रिवाइज करने की सुविधा
इसमें सबसे पहला है कि टैक्सपेयर्स अपडेटेड इनकम टैक्स रिटर्न संबंधित एसेसमेंट ईयर के दो साल के अंदर फाइल कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें अतिरिक्त रकम पर टैक्स चुकाना होगा। वित्त मंत्री ने कहा है कि यह नया प्रोविजन है। इससे टैक्स से जुड़े विवादों की संख्या को बढ़ने से रोकने में मदद मिलेगी।
इस ऐलान को इनकम टैक्स रिफॉर्म्स के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है। आईटीआर फाइल करने के कई महीनों बाद बाद किसी टैक्सपेर्यस को ऐसा लग सकता है कि वह अपनी किसी इनकम के बारे में आईटीआर में बताना भूल गया है। अब ऐसा होने पर उसके पास उसे ठीक करने के लिए दो साल की अवधि होगी। इससे ईमानदार टैक्सपेयर्स को फायदा होगा।
क्रिप्टोकरेंसी के मुनाफे पर 30 फीसदी टैक्स
वित्तमंत्री ने एक बड़ा ऐलान यह किया है कि क्रिप्टोकरेंसी जैसी वर्चुअल करेंसी से हुए मुनाफे पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा। इसकी उम्मीद बजट में पहले से की जा रही थी। कहा जा रहा था कि बजट में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार अपना रुख साफ कर सकती है। वित्तमंत्री ने क्रिप्टोकरेंसी शब्द का इस्तेमाल अपने बजट में कुछ नहीं कहा। उन्होंने इतना कहा कि वर्चुअल करेंसी के ट्रांसफर पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा।
राज्य सरकार के कर्मचारियों पर एनपीएस कंट्रीब्यूशन पर ज्यादा डिडक्शन
राज्य सरकार के कर्मचारियों को एनीपीएस में योगदान पर राहत दी गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एनपीएस में उनके कंट्रिब्यूशन पर टैक्स डिडक्शन को 10 फीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी कर दिया है। वित्तमंत्री ने कहा कि हमारे इस ऐलान से करोड़ों टैक्सपेयर्स को फायदा होगा।
डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर पर टीडीएस
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को पेश बजट में टीडीएस के मामले में भी एक ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर में पेमेंट्स पर 1 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर सरचार्ज का नियम बदला
वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर 15 फीसदी सरचार्ज लागू होगा। यह प्रावधान सभी तरह के एसेट्स पर लागू होगा। अभी यह प्रावधान सिर्फ लिस्टेड शेयर और म्यूचुअल फंड्स की यूनिट्स पर लागू होता है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी लिस्टेड शेयर और इक्विटी फंड के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर सरचार्ज की सीमा 15 फीसदी तय है। लेकिन, दूसरे एसेट्स से लॉन्ग टर्म कैपिटल पर सरचार्ज की सीमा तय नहीं थी। यह टोटल इनकम के हिसाब से लगता था। वित्तमंत्री का बजट में जो इस बारे में ऐलान आया है, उससे यह फर्क खत्म हो गया है।