इंश्योरेंस कंपनियों की मांग है कि आगामी बजट में इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत इंश्योरेंस प्रीमियम पेमेंट के लिए 1 लाख रुपये की अलग डिडक्शन लिमिट तय की जानी चाहिए। इसके अलावा इंश्योरेंस कंपनियों की यह भी मांग है कि हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट पर लागू होने वाले वर्तमान 18 फीसदी जीएसटी को घटाकर 5 फीसदी पर लाना चाहिए। जिससे की यह प्रोडक्ट आम आदमी के लिए ज्यादा किफायती हो सकें।
HSBC OBC Life Insurance के तरुण रस्तोगी का कहना है कि इंडस्ट्री को लंबे समय से इस बात का इंतजार है कि पॉलिसी मेकर लोगों को लाइफ इंश्योरेंस लेने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से सेक्शन 80C के तहत इंश्योरेंस प्रीमियम पेमेंट पर मिनिमम 1 लाख रुपये के अलग डिडक्शन का एलान करेंगे।
गौरतलब है कि लाइफ इंश्योरेंस एक लॉन्ग टर्म साल्यूशन है और इसको सेक्शन 80C के प्रावधानों का लाभ हासिल है। वर्तमान में सभी फाइनेंशियल खरीदों को 1,50,000 की सीमा वाले आयकर कटौती सेक्शन (80C) के तहत क्लब कर दिया गया है।
Edelweiss Tokio Life Insurance के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर Subhrajit Mukhopadhyay का कहना है कि हमारी यह मांग है कि इस बार के बजट में लाइफ इंश्योरेंस पर जुटाए गए प्रीमियम पर टैक्स छूट के लिए एक अलग सेक्शन बनाया जाना चाहिए।
Future Generali India Life Insurance के Chinmay Bade का कहना है कि लाइफ इंश्योरेंस एक तरह की सोशल सिक्योरिटी है। इसलिए सेक्शन 80Cके तहत इस पर मिलने वाले 1.5 लाख की छूट सीमा की समीक्षा की जरुरत है।
बताते चलें कि IRDAI की 2022-21 की एनुअल रिपोर्ट के मुताबिक देश में इंश्योरेंस का प्रसार देश की जीडीपी का 4.2 फीसदी है जबकि पूरी दुनिया के औसत पर नजर डालें तो यह दुनिया की जीडीपी का 7.4 फीसदी है। मार्च 2021 तक देश में गैर लाइफ इंश्योरेंस का प्रसार मुश्किल से 1 फीसदी पर था।
जानकारों का कहना है कि कोविड महामारी जैसे स्थिति में हेल्थ इंश्योरेंस समय की जरुरत बना चुका है। ऐसे में देश में हेल्थ इंश्योरेंस के प्रसार को बढ़ावा देने के लिए इस पर लागू टैक्सों पर छूट मिलनी चाहिए। सरकार को हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर लागू 18 फीसदी जीएसटी को घटाने की जरुरत है। इससे लोगों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्लान सस्ते होगे और आम लोगों के बीच हेल्थ इंश्योरेंस का प्रसार बढ़ेगा।
Reliance General Insurance के सीईओ राकेश जैन का कहना है कि आगामी बजट में सरकार को हेल्थकेयर सुविधाओं जैसे डायग्नोस्टिक सेंटर, स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वेलनेस सेंटर को इंफ्रास्ट्रक्चर की श्रेणी में लाने पर विचार करना चाहिए। इससे इन सेक्टरों में बाहर से पूंजी आना आसान हो जाएगा। उन्होंने कहा कि देश के लोगों को अच्छी और किफायती हेल्थकेयर सुविधा देने के लिए इंश्योरेंस और हेल्थकेयर सेक्टर को एक साथ विकास करना होगा।