Budget 2022 : जानिए अभी क्या है आपका Income Tax Slabs, यहां जानिए हर डिटेल
फिलहाल टैक्सपेयर्स को टैक्स के दो विकल्प उपलब्ध हैं, जिनमें एक पुराना है और दूसरा बजट 2020-21 में लागू किया गया था। नया विकल्प पिछले बजट यानी आम बजट 2020-21 में लागू किया गया था। टैक्सपेयर इनमें से किसी एक विकल्प को चुन सकते हैं। नए विकल्प में कई टैक्स डिडक्शंस का लाभ नहीं मिलता है
भारत में टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स के दो विकल्प उपलब्ध हैं
Income Tax Slabs in India : वित्त मंत्री निर्मला सीतारण मंगलवार को आम बजट 2022-23 पेश करने जा रही हैं। टैक्सपेयर्स उनसे कई सौगात मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। बीते साल यानी आम बजट 2021-22 में सरकार ने टैक्स स्लैब में कोई कोई बदलाव नहीं किया। इसीलिए, उससे पिछले बजट यानी आम बजट 2020-21 में लागू आयकर स्लैब के दो विकल्प अभी भी बने हुए हैं।
टैक्सपेयर्स के लिए हैं दो विकल्प
वित्त मंत्रालय ने बजट 2020-21 में सैलरी क्लास के लिए आयकर के दो विकल्प दिए थे। ये विकल्प अभी भी प्रभावी हैं। टैक्सपेयर अपना इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय इन दोनों मे से किसी एक विकल्प को चुन सकते हैं। इन दो विकल्पों में से एक विकल्प पुराना/मौजूदा टैक्स स्लैब है और दूसरा विकल्प है नया टैक्स स्लैब, जो बजट 2020 में लाया गया।
नए विकल्प में कई कर छूट हुईं खत्म
नए विकल्प में दरों के अलावा बड़ा फर्क यह है कि इसमें विभिन्न तरह की छूटों यानी डिडक्शन खत्म कर दिए गए थे, जबकि पुराने/मौजूदा टैक्स स्लैब में विभिन्न तरह के डैक्स डिडक्शंस का लाभ मिल रहा है। साथ ही सभी मामलों में टैक्स देनदारी के साथ 4 फीसदी हेल्थ एंड एजुकेशन सेस लगता है। आइए इन दोनों टैक्स स्लैब के बारे में विस्तार से जानते हैं।
बजट 2020-21 में लाया गया नया टैक्स स्लैब
आम बजट 2020-21 में लाए गए टैक्स स्लैब में दरें तो कम हैं, लेकिन इसमें सेक्शन 80सी के तहत मिलने वाली व अन्य दूसरे टैक्स डिडक्शंस को खत्म कर दिया गया है। बजट 2020-21 में लाए गए टैक्स स्लैब में 2.5 लाख रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं है। 2.5 लाख से 3 लाख रुपये तक की आय पर 5 फीसद की दर से टैक्स है। साथ ही यू/एस 87ए के तहत 12,500 रुपये की कर छूट प्राप्त है।
3-5 लाख रुपये तक की आय पर
3 लाख से 5 लाख रुपये तक की आय पर भी पिछले स्लैब की तरह ही 5 फीसदी की दर से टैक्स है और यू/एस 87ए के तहत 12,500 रुपये की कर छूट प्राप्त है। इस तरह इस टैक्स स्लैब में 5 लाख रुपये तक की आय तक 87ए के तहत टैक्स छूट मिलने से कोई टैक्स देनदारी नहीं बनेगी।
5 से 7.5 लाख और उससे ऊपर के स्लैब पर
5 से 7.5 लाख रुपये की आय पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है। 7.5 से 10 लाख रुपये की आय पर 15 फीसद की दर से टैक्स है। 10 से 12.50 लाख रुपये की आय पर 20 फीसद की दर से टैक्स है। 12.5 लाख से 15 लाख रुपये की आय पर 25 फीसद की दर से टैक्स है। इसके बाद 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसद की दर से टैक्स है।
टैक्स के दूसरे विकल्प में क्या है
बजट 2020-21 में लाए गए टैक्स स्लैब में आयकर दरें 60 साल की आयु तक के टैक्सपेयर्स, 60 साल से 80 साल की आयु तक के सीनियर सिटीजंस और 80 साल की आयु से अधिक के सुपर सीनियर सिटीजंस के लिए एक समान है।
पुराने/नए टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स की दरें (60 साल से कम के आयु वर्ग)
यहां भी 2.5 लाख रुपये की आय पर कोई कर देय नहीं है। 2.5 लाख से 5 लाख तक की आय पर 5 फीसदी की दर से टैक्स है। 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये की आय पर 20 फीसदी की दर से टैक्स है। 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसद की दर से टैक्स है। इस आयु वर्ग के टैक्स स्लैब में 2.5 से 5 लाख रुपये की आय पर 87ए के तहत टैक्स छूट भी प्राप्त है।
पुराने/नए स्लैब के अनुसार दरें (60 से 80 वर्ष आयु वर्ग के लिए)
यहां 3 लाख तक की आय पर कोई कर देय नहीं है। 3 से 5 लाख रुपये की आय पर 5 फीसदी की दर से टैक्स है। 5 से 10 लाख रुपये की आय पर 20 फीसदी की दर से टैक्स है। 10 लाख से अधिक की आय पर 30 फीसदी की दर से टैक्स है। इस आयु वर्ग में 3 से 5 लाख तक की आय पर 87ए के तहत टैक्स छूट भी प्राप्त है।
पुराने/नए टैक्स स्लैब के अनुसार दरें ( 80 वर्ष से अधिक के आयु वर्ग के लिए)
यहां 5 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है। 5 से 10 लाख तक की आय पर 20 फीसद टैक्स है। 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसदी टैक्स है।
5 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं
पुराने/मौजूदा आयकर स्लैब में सेक्शन 80 सी के तहत निर्दिष्ट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करके अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स डिडक्शंस का लाभ लिया जा सकता है। इस तरह कर छूट मिलने से पुराने/मौजूदा आयकर स्लैब में भी पांच लाख तक की आय पर कोई टैक्स देनदारी नहीं बनेगी।
नए टैक्स स्लैब के विकल्प से जुड़ी शर्ते
नई कर व्यवस्था में रियायती दरों का विकल्प चुनने वाले करदाता को मौजूदा/पुरानी कर व्यवस्था में उपलब्ध कुछ डिडक्शंस और कटौती को छोड़ना होगा। ऐसी एचआरए, एलटीए, ट्रांसफर अलाउंस, एजुकेशन, होम लोन पर ब्याज, प्रोफेशनल टैक्स सहित 70 डिडक्शंस शामिल हैं, जिनकी अनुमति नए टैक्स स्लैब में नहीं है।