वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के बजट (Budget 2022) भाषण में 'छाता' के जिक्र ने हमें चौंका दिया। दरअसल, स्टैंडर्ड डिडक्शन, इनकम टैक्स स्लैब, सेक्शन 80सी के जिक्र का इंतजार कर रहे लोगों ने शायद ही अम्ब्रेला के बारे में सोचा होगा। वित्त मंत्री ने कहा था, "अम्ब्रेला पर ड्यूटी बढ़ाकर 20 फीसदी की जा रही है। अम्ब्रेला के पार्ट्स पर एग्जेम्प्शंस को वापस लिया जा रहा है।"
बजट में अम्ब्रेला पर इस ऐलान को सुनते ही कई लोगों ने ट्विटर का रुख किया। वे छाता महंगा होने को लेकर अपनी शिकायत दर्ज कराने लगे। कुछ ने तो मिडिल क्लास पर इसके पड़ने वाले असर का विश्लेषण तक कर डाला।
सवाल है कि आखिर अम्ब्रेला बजट भाषण का हिस्सा कैसे बना? देश की अम्ब्रेला इंडस्ट्री कितनी बड़ी है और क्या इस ऐलान से छाता की कीमतें बढ़ेंगी? आइए इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
अम्ब्रेला मार्केट का आकार
देश में अम्ब्रेला मार्केट का ज्यादातर हिस्सा असंगठित क्षेत्र में है। इस वजह से इसके मार्केट साइज का सही अंदाजा लगाना मुश्किल है। लेकिन, इस उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि इसका बाजार करीब 2,000 करोड़ रुपये का हो सकता है। कोरोना से पहले देश में छाता की बिक्री सालाना 1.20 लाख करोड़ के आसपास रही है।
अम्ब्रेला का सबसे बड़ा बाजार केरल में है। इस राज्य में इसकी सालाना बिक्री करीब 700 करोड़ रुपये है। इस मार्केट में दो कंपनियों की ज्यादा हिस्सेदारी है। इनमें जॉन्स अम्ब्रेला और पॉपीज अम्ब्रेला शामिल हैं। देश में अम्ब्रेला के दूसरे बड़े ब्रांड्स में-मुंबई का सागर संस शामिल है, जो हैपी ब्रांड नाम से छाता बेचता है। मैसूर का सन अम्ब्रेलाज, कोलकाता का सिटीजन अम्ब्रेलास इसके दूसरे बड़े ब्रांड्स हैं।
अम्ब्रेला बनाने वाली घरेलू कंपनियों ने ड्यूटी बढ़ाने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इससे घरेलू अम्ब्रेला इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा। अभी चीन से सस्ते आयात के कारण अम्ब्रेला इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान हो रहा है।
ऑल इंडिया अम्ब्रेला फेडरेशन के सेक्रेटरी एवं सागर संस के फाउंडर राजेश चोपड़ा ने सीएनबीसी-टीवी18 को बताया, "फिनिश्ड अम्ब्रेला पर इंपोर्ट ड्यूटी 10 से बढ़ाकर 20 फीसदी करना एक स्वागतयोग्य कदम है। इसकी वजह है कि सस्ते छातों से घरेलू इंडस्ट्री को नुकसान हो रहा था। अब चीन से आने वाले अम्ब्रेला पर 10 फीसदी ज्यादा ड्यूटी चुकानी होगी। हम बजट में इस मसले के समाधान के लिए वित्तमंत्री का शुक्रगुजार हैं।"
बजट भाषण का हिस्सा कैसे बना?
आइए अब जानते हैं कि अम्ब्रेला कैसा बजट भाषण का हिस्सा बना। दरअसल, अम्ब्रेला इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने सरकार को अपनी मांग के बारे में बताया था। उन्होंने कोविड की मार से बचाने और घरेलू अम्ब्रेला इंडस्ट्री के लिए मदद की अपील की थी। कोरोना की बहुत मार छाता उद्योग पर पड़ी है। लॉकडाउन के चलते लोग घरों से बाहर नहीं निकले। इसका असर अम्ब्रेला की बिक्री पर पड़ा। केरल में पॉपी अम्ब्रेलास के डेविस थायिल ने कहा कि लगातार दो सीजन बिक्री नहीं होने से हमारे लिए अपने वजूद को बनाए रखना मुश्किल हो गया है।