Budget 2022: गोल्ड इंडस्ट्री को निर्मला सीतारमण के बजट से हैं ये तीन उम्मीदें

अक्सर टैक्स बचाने के लिए पुराने गोल्ड को ग्रे मार्केट में बेचा जाता है। अगर गोल्ड पर कैपिटल गेंस टैक्स को हटा दिया जाए तो लोगों को ग्रे मार्केट में सोना बेचने की जरूरत नहीं रह जाएगी

अपडेटेड Jan 31, 2022 पर 4:44 PM
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सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में इन्वेस्टमेंट बढ़ाने के लिए मैच्योरिटी पीरियड से पहले सोने से पैसे निकालने पर टैक्स के नियम को हटा देना चाहिए। इसके अलावा सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर मिलने वाला इंट्रेस्ट भी टैक्स-फ्री होना चाहिए।

गोल्ड इंडस्ट्री को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के बजट से 3 बड़ी उम्मीदें हैं। सीतारमण 1 फरवरी को बजट (Budget 2022) पेश करेंगी। यह उनका चौथा बजट होगा। कोरोना की मार से बेहाल अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को सीतारमण से टॉनिक की जरूरत है। उधर, अलग-अलग सेक्टर्स ने भी वित्तमंत्री को अपनी डिमांड्स के बारे में बताया है। गोल्ड इंडस्ट्री का मानना है कि सरकार को बजट में तीन उपाय करने की जरूरत है। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।

ऑगमोन्ट गोल्ड फॉर ऑल का कहना है कि सरकार को एक बुलियन बैंक बनाना चाहिए। साथ ही पुराने सोने और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को बेचने हुए मुनाफे को टैक्स से छूट मिलनी चाहिए। कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स भी खत्म करने की जरूरत है। ऑगमोन्ट गोल्ड सोने का एक रिफाइनिंग-टू-रिटेल प्लेटफॉर्म है। ऑगमोन्ट की रिसर्च हेड रेनिशा चैनानी ने कहा,"अभी देश में कोई बुलियन बैंक नहीं है। बैंकों के साथ गोल्ड इंडस्ट्री के हर ट्रांजेक्शन को बुलियन बैंक के जरिए करने की जरूरत है।"

बुलियन बैंक नहीं होने से इस इंडस्ट्री से जुड़े पक्षों-जैसे रिफाइनर्स और ज्वैलर्स के लिए बैंकिंग मुश्किल हो जाती है। उदाहरण के लिए अगर कोई ज्वेलर मेटल की अपनी होल्डिंग पर कर्ज लेना चाहता है तो उसे पहले इसे रुपये में कनवर्ट करना पड़ता है। फिर यह पैसा बैंक में रखना पड़ता है, फिर उसे लोन मिलता है। इसका दूसरा रास्ता यह है कि उसे इस काम के लिए इंटरनेशनल बुलियन बैंक के पास जाना होगा। बुलियन बैंक शुरू हो जाने से ज्वैलर्स अपनी मेटल होल्डिंग पर लोन ले सकेगा।


अभी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को लंबी अवधि के इन्वेस्टमेंट के रूप में देखा जाता है। इसकी वजह यह है कि पांच से 8 साल की अवधि पूरी होने से पहले इन्हें बेचने पर टैक्स लगता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में इन्वेस्टमेंट बढ़ाने के लिए मैच्योरिटी पीरियड से पहले सोने से पैसे निकालने पर टैक्स के नियम को हटा देना चाहिए। इसके अलावा सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर मिलने वाला इंट्रेस्ट भी टैक्स-फ्री होना चाहिए।

अक्सर टैक्स बचाने के लिए पुराने गोल्ड को ग्रे मार्केट में बेचा जाता है। अगर गोल्ड पर कैपिटल गेंस टैक्स को हटा दिया जाए तो लोगों को ग्रे मार्केट में सोना बेचने की जरूरत नहीं रह जाएगी। इससे सरकार को सोन की खरीद और बिक्री पर 3 फीसदी जीएसटी की रकम भी हासिल होगी।

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First Published: Jan 31, 2022 4:44 PM

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