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Budget 2022: बजट में भारतीय बाजार को आर्कषक बनाने वाले किसी भी कोशिश को बाजार से मिलेगा थम्स अप- सोनम श्रीवास्तव

चुनाव के मौमस की वजह से इस बार की यूनियन बजट में एग्रीकल्चर और ग्रामीण सेक्टर को ज्यादा फोकस मिलता दिख सकता है। इसके अलावा हमें इस बजट में मनरेगा जैसे योजनाओं पर फोकस बढ़ता नजर आ सकता है.

MoneyControl Newsअपडेटेड Jan 26, 2022 पर 11:51 AM
Budget 2022: बजट में भारतीय बाजार को आर्कषक बनाने वाले किसी भी कोशिश को बाजार से मिलेगा थम्स अप- सोनम श्रीवास्तव
अब तक आए कंपनियों के नतीजों से मार्जिन पर दबाव और ग्रामीण मांग में गिरावट के संकेत मिले हैं जिसको देखते हुए बाजार में अभी 3-5 फीसदी की और गिरावट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

Budget 2022-23:Wright Research की सोनम श्रीवास्तव ने आगामी बजट, देश की इकोनॉमी और मार्केट पर मनीकंट्रोल से एक लंबी बातचीत की। इस बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि फाइनेंस की दुनिया में कोई भी पॉजिटीव सरप्राइस मार्केट सेटिमेंट को बूस्ट देता है। इस आधार पर देखें तो आगामी यूनियन बजट में वित्त मंत्री ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय घाटे पर उम्मीद से हटकर कोई रणनीति अपनाती है तो यह बाजार के लिए एक सरप्राइस होगा। जिससे मार्केट सेंटिमेंट में जबरदस्त उछाल देखने को मिल सकता है।

इस बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि विनिवेश की पाइपलाइन की सफाई के लिए अगर कोई ठोस कदम उठाया जाता है और एलआईसी के पब्लिक इश्यू में तेजी लाने के लिए कोई एलान होता है तो यह बाजार के लिए एक बहुत बड़ा बूस्टर डोज साबित होगा। इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलेशन और उससे जुड़े कर कानूनों पर अगर कोई ठोस फैसला लिया जाता है तो यह भी बाजार के लिए एक अच्छा संकेत होगा।

अगर बजट में ग्रोथ को बढ़ाने के लिए कदम उठाए जाते हैं तो बजट के दिन बाजार में जोरदार उछाल देखने को मिल सकता है। अगर बजट में कोई ऐसी पॉलिसी आती है जो भारतीय बाजार को दूसरे उभरते बाजारों की तुलना में ज्यादा आकर्षक बनाती है तो इससे बाजार खुश होगा।

बाजार पर बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि इस हफ्ते की गिरावट में निफ्टी पिछले कुछ हफ्तों की अपनी सारी बढ़त गवांता नजर आया है। निफ्टी में यह गिरावट दुनिया के दूसरे बाजारों में आई गिरावट की तरह ही रही है। यूएस फेड द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी, बॉन्ड खरीद प्रोग्राम में टेपरिंग और आरबीआई द्वारा कुछ कारणों से फिस्कल पॉलिसी में कठोरता लाने की वजह से बाजार के सेटिमेंट पर प्रतिकूल असर पड़ा है। इसके अलावा अब तक आए कंपनियों के नतीजों से मार्जिन पर दबाव और ग्रामीण मांग में गिरावट के संकेत मिले हैं जिसको देखते हुए बाजार में अभी 3-5 फीसदी की और गिरावट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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