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Amazon-Future Deal : CCI का एमेजॉन को झटका, फ्यूचर कूपन्स में निवेश को दी मंजूरी रद्द की, 200 करोड़ की पेनल्टी भी लगाई

सीसीआई ने अमेरिकी कंपनी द्वारा रेग्युलेटरी अप्रूवल मांगते समय जानकारियां छिपाने से संबंध में मिली शिकायतों की जांच के बाद यह कदम उठाया है

अपडेटेड Dec 17, 2021 पर 7:30 PM
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अमेजन और फ्यूचर ग्रुप के बीच चल रही लंबी कानूनी लड़ाई

Competition Commission of India : दुनिया की टॉप ऑनलाइन रिटेल कंपनियों में शामिल  एमेजॉन (Amazon) तो शुक्रवार को तगड़ा झटका लगा है। दरअसल, कॉम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) ने 17 दिसंबर को एमेजॉन की भारत के फ्यूचर ग्रुप के साथ हुई डील को निलंबित कर दिया है। सीसीआई ने अमेरिकी कंपनी द्वारा रेग्युलेटरी अप्रूवल मांगते समय जानकारियां छिपाने से संबंध में मिली शिकायतों की जांच के बाद यह कदम उठाया है। सीसीआई ने इस मामले में अमेजन पर 200 करोड़ रुपये की पेनल्टी भी लगाई है।

जांच होने तक निलंबित रहेगी मंजूरी

57 पेज के ऑर्डर में भारत के एंटी ट्रस्ट रेग्युलेटर ने कहा कि एमेजॉन ने 2019 में हुई इस डील के “वास्तविक उद्देश्य और इसके ब्योरे” को छिपाया और “गलत रिप्रिजेंटेशन किया और वास्तविक तथ्यों को छिपाने” की कोशिश की। सीसीआई ने कहा कि अब इस डील की नए सिरे से “जांच करने की जरूरत” है और तब तक संबंधित अप्रूवल “निलंबित रहेगा।”

अमेजन ने दिए गलत स्टेटमेंट, छिपाए इरादे


शिकायतकर्ताओं फ्यूचर कूपंस प्रा. लि. (एफपीसीएल) और कनफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने एमेजॉन पर आरोप लगाया कि उसने एफपीसीएल में 49 फीसदी हिस्सेदारी के अधिग्रहण के माध्यम से पैरेंट कंपनी फ्यूचर रिटेल लि. (Future Retail Ltd) पर अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण स्थापित करने के अपने इरादे का खुलासा नहीं किया। सीसीआई ने अपने ऑर्डर में कहा, कमर्शियल एग्रीमेंट के संबंध में “एमेजॉन ने कॉम्बिनेशन के वास्तविक स्कोप को छिपाया और गलत स्टेटमेंट दिए, जो कॉम्बिनेशन के स्कोप व उद्देश्य से जुड़े हुए थे।”

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एमेजॉन ने कहा था-सीसीआई को डील रद्द करने का अधिकार नहीं

समझा जाता है कि कुछ दिन पहले एमेजॉन ने एजेंसी के सामने दलील दी थी कि उसे डील रद्द करने का कानूनी अधिकार नहीं है, जब क्लीयरैंस पहले ही दी जा चुकी है। इसके बाद यह कार्रवाई की गई है। रॉयटर्स ने कंपनी के हवाले कहा था कि भारतीय कानून में “अप्रूवल को रद्द करने की पावर अपने आप में काफी कठोर है और जब तक यह स्पष्ट रूप से न जाए, वह उपलब्ध नहीं है।”

सीएआईटी ने 15 दिसंबर को जारी एक बयान के माध्यम से एमेजॉन की दलील को खारिज किया था। उसने कहा था कि कंपनी को सीसीआई की किसी प्रोसीडिंग में शामिल नहीं होना चाहिए “अगर उसे लगता है कि एजेंसी को डील रद्द करने का अधिकार नहीं है।”

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एमेजॉन और फ्यूचर ग्रुप के बीच चल रही है कानूनी लड़ाई

सीसीआई का आदेश ऐसे समय में आया है, जब एमेजॉन और फ्यूचर ग्रुप के बीच भारतीय अदालतों एक तगड़ी लड़ाई चल रही है। इसकी मुख्य वजह यह है कि फ्यूचर ग्रुप बीते साल 24,500 करोड़ रुपये में अपनी एसेट्स मुकेश अंबानी के रिलायंस ग्रुप को बेचने पर राजी हो गया था। फ्यूचर ग्रुप ने सीसीआई में शिकायत की थी कि एमेजॉन ने अपने कॉन्ट्रैक्ट का मुख्य हिस्सा छिपाया, जब वह 2019 में उनकी यूनिट फ्यूचर कूपंस प्रा. लि. को खरीदने के लिए अप्रूवल मांग रही थी।

फ्यूचर रिटेल को रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के हाथों बेचने को लेकर एमेजॉन और फ्यूचर महीनों से कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं। एमेजॉन का आरोप है कि फ्यूचर ने बीते साल आरआईएल को अपनी रिटेल एसेट्स बेचकर उसके साथ 2019 में हुए 20 करोड़ डॉलर के इनवेस्टमेंट कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन किया है।

इस वजह से एमेजॉन ने बदला था प्लान

पिछले महीने, एफआरएल के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स ने भी एमेजॉन पर सीसीआई को गुमराह करने का आरोप लगाया था। उसने पहले भारतीय रिटेल कंपनी में सीधे निवेश की बात की थी और बाद में सरकार के प्रेस नोट 2 रूल्स सामने लाने के बाद अपने प्लान में बदलाव कर दिया। ये रूल्स भारत में विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के परिचालन से जुड़े नियमों को सख्त बनाते हैं।

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