Telangana Elections: कांग्रेस, बीजेपी या फिर BRS? हैदराबाद की 32 सीटों पर कौन मारेगा बाजी, ओवैसी ने 9 सीटों पर ठोंका ताल
Telangana Elections 2023: तेलंगाना विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक दिलचस्प लड़ाई हैदराबाद राजधानी क्षेत्र में आने वाली 32 विधानसभा सीटों पर दिखाई दे रही है। ये सीटें किसी भी पार्टी को सत्ता दिलाने या उससे दूर रखने में अहम भूमिका निभाने वाली है। पिछली बार इनमें से अधिकतर सीटें BRS के खाते में गई थीं और उसने राज्य में सरकार बनाई थीं। लेकिन क्या इस बार BRS दोबारा अपने प्रदर्शन को दोहरा पाएगी?
Telangana Elections 2023: ओवैसी की पार्टी AIMIM हैदराबाद की 9 सीटों पर चुनाव लड़ रही है
Telangana Elections 2023: तेलंगाना विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक दिलचस्प लड़ाई हैदराबाद राजधानी क्षेत्र में आने वाली 32 विधानसभा सीटों पर दिखाई दे रही है। ये सीटें किसी भी पार्टी को सत्ता दिलाने या उससे दूर रखने में अहम भूमिका निभाने वाली है। फिलहाल इनमें से अधिकतर सीटों पर कांग्रेस, बीजेपी और सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (BRS, पूर्व में तेलंगाना राष्ट्र समिति) के भयंकर त्रिकोणीय मुकाबले का संकेत मिल रहा है। पिछली बार इनमें से अधिकतर सीटें BRS के खाते में गई थीं और उसने राज्य में सरकार बनाई थीं। लेकिन क्या इस बार BRS दोबारा अपने प्रदर्शन को दोहरा पाएगी? यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है।
9 सीटों पर मुकाबला चतुष्कोणीय
इन 32 में से कम से कम 9 सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय नहीं, बल्कि चतुष्कोणीय हो गया है। असदद्दुीन ओवैसी की अगुआई वाली पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) इन सभी नौ सीटों पर चुनाव लड़ रही है।हैदराबाद के ओल्ड सिटी इलाके को AIMIM का गढ़ कहा जाता है। AIMIM ने 2018 के चुनाव में 7 सीटें जीती थीं और इस बार भी वह इन सीटों पर अपनी जीत बरकरार रहने की उम्मीद कर रही है। इसके चलते हैदराबाद इलाके में मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया।
हालांकि जहां तक राज्य के बाकी हिस्सों की बात है, तो यहां अब कांग्रेस और बीआरएस के बीच एक सीधी और कड़वाहट भरी लड़ाई दिख रही है। अधिकतर ओपिनियन पोल और सर्वे में कांग्रेस को तेजी से अपनी पकड़ बढ़ाते हुए दिखाया जा रहा है। कम से राज्य की 70 सीटों पर मुख्य मुकाबला इन्हीं 2 पार्टियों के बीच दिख रहा है।
मुस्लिम वोटों पर रहेगी नजर
करीब 15 साल पहले आंध्र प्रदेश से आकर नामपल्ली में बसने वाले शंकर राव ने कहा, "हैदराबाद इलाके में काफी शहरी सीटें भी हैं। ऐसे में यहां नतीजे राज्य के बाकी हिस्सों से अलग होते हैं। इस बार मुस्लिम वोट शिफ्ट हो सकते हैं और कांग्रेस को फायदा होने की संभावना है।"
साल 2018 के पिछले चुनाव की बात करें, तो इस चुनाव में कांग्रेस का तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के साथ गठबंधन करने का प्रयोग बुरी तरह फेल हुआ था। इस चुनाव में बीआरएस को 88 सीटें मिली थीं, और कांग्रेस को सिर्फ 19 सीटें मिली थीं। हालांकि
कर्नाटक में मिली हालिया जीत और सत्ता विरोधी मूड से इस बार कांग्रेस का जोश हाई दिख रहा है। हाल के महीनों में पार्टी का राज्य में तेजी से उभार देखा गया। कांग्रेस खुद को सत्तारूढ़ बीआरएस के खिलाफ मुख्य विपक्षी ताकत के रूप में पेश कर रही है। वहीं बीआरआस इस चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने की कोशिश में है।
TDP के चुनाव नहीं लड़ने से कांग्रेस को हो सकता है फायदा
हैदराबाद राजधानी क्षेत्र में 24 शहरी और 8 अर्ध-शहरी विधानसभा सीटें है। इसमें हैदराबाद शहर से लेकर पूर्ववर्ती रंगा रेड्डी जिले में फैला आईटी कॉरिडोर तक शामिल है। यहां काफी सारी इंडस्ट्रीज हैं और यहां की आबादी काफी विविध है। इसमें आंध्र प्रदेश से आकर हैदराबाद में बसी एक बड़ी आबादी के साथ दूसरे राज्यों के प्रवासी भी शामिल हैं। चूंकि इस चुनाव में TDP ने भाग नहीं लेने का ऐलान किया है, ऐसे में यह माना जा रहा है आंध्र छोड़कर अब तेलंगाना में बस चुके मतदाताओं की काफी संख्या कांग्रेस की ओर रुख कर सकती है। इनके अलावा अभिनेता से राजनेता बने पवन कल्याण की अगुआई वाली जन सेना पार्टी की भी नजरें इन सीटों पर है।
साल 2014 के चुनाव में हैदराबाद इलाके की अधिकतर सीटें TDP ने जीती थीं। लेकिन 2018 में BRS ने 32 में से 21 सीटें हासिल कर हुए TDP का वोट बेस खिसका दिया। इसके अलावा AIMIM को 7, कांग्रेस को तीन और बीजेपी को एक सीट मिली थी।
हैदराबाद राजधानी क्षेत्र में हैदराबाद शहर की 15 सीटों के अलावा पट्टनचेरू (संगारेड्डी जिला), मेडचल, मलकाजगिरी, कुथबुल्लापुर, कुकटपल्ली, उप्पल, (सभी मेडचल मल्काजगिरी जिला), और शहरी क्षेत्र में एलबी नगर, राजेंद्रनगर, सेरीलिंगमपल्ली (सभी रंगा रेड्डी) शामिल हैं। अर्ध-शहरी सीटों में इब्राहिमपट्टनम, महेश्वरम, चेवेल्ला, शादनगर (सभी रंगा रेड्डी जिला), जदचेरला (महबूबनगर जिला), पारगी, तांदूर और विकाराबाद (सभी विकाराबाद जिला) विधानसभा शामिल हैं।
BJP ने जन सेना पार्टी से किया गठबंधन
हालांकि चुनाव की तारीखें नजदीक आने के साथ कई सीटों पर मुकाबला दोतरफा होने की उम्मीद है क्योंकि बीजेपी तेजी से जमीन खोती दिखाई दे रही है। शहरी सीटों के अलावा बाकी जगहों पर BJP कमजोर स्थिति में दिख रही है। BJP के साथ गठबंधन में, जन सेना पार्टी (JSP) आठ सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इनमें कुकटपल्ली, उप्पल, एलबी नगर, मलकाजगिरी, सेरीलिंगमपल्ली, पाटनचेरू, कुथबुल्लापुर और सनथनगर शामिल है।
गोशामहल विधानसभा में भाजपा मजबूत है, जहां उसने अपने विवादित नेता राजा सिंह को दोबारा उम्मीदवार बनाया है। वह 2014 और 2018 में इस सीट से जीत चुके हैं। गुजरात और उत्तर भारत के लोढ़ा समुदाय के अलावा प्रवासी मतदाताओं की इस सीट पर बड़ी संख्या है। इसके अलावा खैरताबाद में बीआरएस के मौजूदा विधायक और पूर्व मंत्री दानम नागेंद्र और बीजेपी के चिंतला रामचंद्र रेड्डी के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है।
पुराने हैदराबाद की 7 सीटें- चारमीनार, नामपल्ली, चंद्रयानगुट्टा, बहादुरपुरा, मलकपेट, याकूतपुरा और कारवां असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM का गढ़ मानी जाती हैं। इस बार कांग्रेस इन सीटों में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है।
रंगा रेड्डी जिले के हयातनगर मंडल में, टैक्सी चलाने वाले बेक्कम यादैया ने कहा, "अलग तेलंगाना राज्य को लेकर लोगों के मन में जो भावनओं, BRS को पिछले 2 चुनावों में इससे जीत मिली है। लेकिन लोग अब असली मुद्दों की ओर देख रहे हैं। बहुत सारे युवा बेरोजगारी से पीड़ित हैं। कांग्रेस के लिए समर्थन इस उम्मीद के साथ बढ़ रहा है कि यह बदलाव उनका अच्छा समय लाएगा।"
मुस्लिम वोटों में इस बार विभाजन दिख सकता है। पिछले चुनाव में मुस्लिम वोट, बीआरएस-एआईएमआईएम गठबंधन के पीछे मजबूती से था। बीआरएस-एआईएमआईएम गठबंधन के पीछे मजबूती से थी
कांटे की टक्कर में फंसे मोहम्मद अजहरुद्दीन
कांग्रेस ने इस बार जुबली हिल्स से चुनाव लड़ने के लिए पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन को उतारा है। अजहरुद्दीन ने 2009 में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से लोकसभा चुनाव जीता था और वह अपने मूल राज्य तेलंगाना से पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें वोट खींचने वाला नेता जाता है। हालांकि उनके खिलाफ AIMIM की ओर से उम्मीदवार उतरने से मुस्लिम वोट बंटने की संभावना है। इससे BRS के मौजूदा विधायक मगंती गोपीनाथ को फायदा होगा, जिन्होंने 2014 में टीडीपी के टिकट पर जीत हासिल की थी।
- मनीकंट्रोल के लिए यह आर्टिकल डेविड बोदापति ने लिखा है। वह कर्नाटक स्थित एक स्वतंत्र पत्रकार हैं।