तेलंगाना में कांग्रेस अपनी शानदार परफॉर्मेंस के साथ सरकार बनाने को तैयार है। अगर राज्य में मुख्यमंत्री चेहरे की बात करें, तो कई ऐसे नेता हैं जिन्हें दावेदार माना जा रहा है। इनमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी, सांसद कैप्टन एन उत्तमकुमार रेड्डी और कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी और मल्लू भट्टी विक्रमार्क जैसे नाम शामिल हैं। इसके अलावा मोहम्मद अजहरुद्दीन भी विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा है।
54 साल के रेड्डी तेलंगाना की मलकाजगिरि लोकसभा सीट से सांसद हैं। अपने दो दशक के राजनीतिक करियर में उन्होंने कई बार पार्टी बदली है। रेड्डी ने अपना करियर बीजेपी के छात्र संगठन अखिल विद्यार्थी परिषद (ABVP) से शुरू किया था और 2007 तक वह भगवा खेमे में बन रहे। इसके बाद उन्हें तेलुगू देसम पार्टी (TDP) का रुख किया।
रेड्डी 2009 में अविभाजित आंध्र प्रदेश में तेलुगू देसम पार्टी के टिकट पर विधायक बने। इसके बाद, 2014 में फिर से वह तेलंगाना से विधायक चुने गए। 2017 में उन्होंने तेलुगू देसम पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए। रेड्डी 2019 के लोकसभा चुनाव में सांसद बने। उनके राजनीतिक करियर में अहम पड़ाव तब आया, जब वह 2021 में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने।
सांसद और तेलंगाना के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर रेड्डी ने राज्य में के. चंद्रेशेखर राव की अगुवाई वाली बीआरएस (BRS) के लिए कड़ी चुनौती पेश की और राज्य में कांग्रेस की मौजूदगी को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। खास तौर पर 2023 के विधानसभा चुनावों के लिए टिकट बंटवारे के समय उन्हें पार्टी के भीतर काफी विरोध का सामना करना पड़ा था। पार्टी के भीतर विरोध और आलोचना के बावजूद उन्हें मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी जैसे केंद्रीय नेताओं का समर्थन हासिल है।
रेड्डी हाई-प्रोफाइल रैलियों और रोडशो को लेकर सक्रिय रहे हैं। जब उन्होंने के. चंद्रशेखर राव के खिलाफ अपना पर्चा भरा था, तो उनके साथ लोगों की भारी भीड़ मौजूद थी। राज्य के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर रेड्डी ने जमीन पर अपनी मौजूदगी दिखाई है और सत्ताधारी बीआरएस सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन आयोजित करने में भी अहम भूमिका निभाई है। एग्जिट पोल में कांग्रेस की जीत का अनुमान व्यक्ति किए जाने को लेकर रेड्डी ने कहा था कि पार्टी शानदार जीत हासिल करेगी और वह 80 सीटें तक जीत सकती है।