तेलंगाना में नई सरकार के आते ही गायब हुईं कई सरकारी फाइलें! बढ़ सकती हैं BRS की मुश्किलें
इस हफ्ते की शुरुआत में, राज्य में कांग्रेस सरकार के कार्यभार संभालने के बमुश्किल कुछ ही दिनों बाद, पशुपालन विभाग में कई महत्वपूर्ण फाइलें या तो गायब या डैमेज पाई गईं। यादव और रेवंत दोनों तेलुगु देशम पार्टी (TDP) में सहयोगी थे। हालांकि, उनके बीच कभी भी सार्वजनिक रूप से मतभेद नहीं हुआ
तेलंगाना में नई सरकार के आते ही गायब हुईं कई सरकारी फाइलें! बढ़ सकती हैं BRS की मुश्किलें
तेलंगाना (Telangana) में हाल ही में नई सरकार ने कामकाज संभाल लिया है। जैसे ही रेवंत रेड्डी (Revanth Reddy) के नेतृत्व वाला कांग्रेस (Congress) प्रशासन तेलंगाना में व्यवस्थित होता दिख रहा है, राज्य में डैमेज हो चुकी और गायब सरकारी फाइलों का एक अजीब मामला सामने आया है। इसका दोष भारत राष्ट्र समिति (BRS) नेता और पूर्व पशुपालन मंत्री तलसानी श्रीनिवास यादव (Talasani Srinivas Yadav) के सहयोगियों पर लगा है, जो सीएम के सबसे पुराने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों में से एक हैं।
क्या है पूरा मामला?
Indian Express के मुताबिक, इस हफ्ते की शुरुआत में, राज्य में कांग्रेस सरकार के कार्यभार संभालने के बमुश्किल कुछ ही दिनों बाद, पशुपालन विभाग में कई महत्वपूर्ण फाइलें या तो गायब या डैमेज पाई गईं।
यादव के ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD) कल्याण कुमार और चार अन्य पर विभाग के एक सुरक्षा गार्ड की शिकायत के बाद मामला दर्ज किया गया था।
चौकीदार ने अपनी शिकायत में पुलिस को बताया कि उसने घटना के समय कार्यालय में कुमार, कंप्यूटर ऑपरेटर मोहन और एलिजा और अटेंडेंट वेंकटेश और प्रशांत को देखा था। रेगुलर जांच के दौरान चौकीदार को डैमेज फाइलें मिलीं।
गायब फाइलों के अलावा, विभाग में कुछ सिक्योरिटी कैमरे भी टूटे हुए पाए गए, जिससे घटना पर शक पैदा हो रहा है। कुमार ने आरोप लगाया है कि उन्हें राजनीतिक कारणों से मामले में फंसाया जा रहा है और उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए तेलंगाना हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
ये कौन सी फाइलें थीं?
सूत्रों ने कहा कि नष्ट की गई और "कुछ चोरी हुई" फाइलें मवेशियों के लिए चारे की खरीद से जुड़ी थीं। रिपोर्ट में नाम न छापने की शर्त पर एक कांग्रेस नेता ने कहा, "भ्रष्टाचार के पैमाने की कल्पना करें कि वे उन फाइलों को नष्ट करने की इतनी जल्दी में थे, जो उनकी कदाचार को उजागर करतीं।"
हालांकि, BRS के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि मंत्री का इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है। एक नेत ने कहा, “अगर मंत्री को कुछ छिपाना था, तो वह कार्यालय खाली करते समय फाइलें ले सकते थे। उनका इससे (घटना से) कोई लेना-देना नहीं है।"
एक पुरानी राजनीतिक लड़ाई
यादव और रेवंत दोनों तेलुगु देशम पार्टी (TDP) में सहयोगी थे। हालांकि, उनके बीच कभी भी सार्वजनिक रूप से मतभेद नहीं हुआ, लेकिन यादव को पार्टी में रेवंत की जबरदस्त ग्रोथ से असहज माना जाता था। ऐसा इसलिए भी क्योंकि यादव सीएम से सीनियर भी हैं।
2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद, यादव उन TDP नेताओं में से थे, जो BRS (तब तेलंगाना राष्ट्र समिति, या TRS) में शामिल हो गए थे। वह धीरे-धीरे के चन्द्रशेखर राव या KCR के करीब हो गए और उनके करीबी सहयोगी के रूप में जाने जाते हैं।
इस बीच, रेवंत ने 2017 में TDP छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए, जहां एक बार फिर वह तेजी से आगे बढ़े और राज्य कांग्रेस प्रमुख बन गए।
दोनों नेता के बीच TDP के दिनों से ही असहज संबंध रहे हैं। हाल के विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान, वे वाकयुद्ध में उलझ गए, जिसमें यादव ने रेवंत को अपनी जीभ पर नियंत्रण रखने के लिए कहा। यादव के खिलाफ अपनी टिप्पणियों के लिए कांग्रेस नेता को गोला-कुरुमा समुदायों से भी विरोध का सामना करना पड़ा।
राजनीतिक प्रभाव
गुम फाइलों का मामला संभावित रूप से BRS के लिए 'भानुमती का पिटारा' हो सकता है। मतलब ये कि आने वाले दिनों में उसकी मुश्किलें बढ़ सकती है।
फिलहाल मामले की जांच अपने शुरुआती चरण में है, किसी भी कथित अनियमितता से कांग्रेस और BJP को लोकसभा चुनाव से पहले एक मौका मिल जाएगा।
BRS के लिए ये मुद्दा लोकसभा चुनावों में पार्टी की संभावनाओं को और नुकसान पहुंचा सकता है। क्योंकि उस पर अपने नौ साल के शासन के दौरान भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था।