Rajasthan Election 2023: राजस्थान में BJP की होगी वापसी या कायम रहेगा गहलोत राज? रेगिस्तानी मतदाताओं ने दिए संकेत
Rajasthan Election 2023: मतदाताओं में महिलाएं कुछ जघन्य अपराधों के बीच कानून-व्यवस्था की स्थिति से परेशान दिखीं। लेकिन फिर भी अशोक गहलोत सरकार द्वारा बांटे गए स्मार्टफोन, लगभग एक साल से 500 रुपये में LPG सिलेंडर और 10,000 रुपये के वार्षिक भत्ते के वादे से उत्साहित हैं। हालांकि, 2018 में कांग्रेस का कर्जमाफी का वादा पूरा नहीं होने से किसान नाखुश दिखे
Rajasthan elections 2023: राजस्थान में कुल 200 विधानसभा सीट में 199 के लिए 25 नवंबर को मतदान होगा
Rajasthan assembly elections 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए जनसभाओं एवं रैलियों का दौर थम चुका है। आत्मविश्वास से लबरेज भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उम्मीद से भरी कांग्रेस में से किस पार्टी ने राजस्थानियों को ज्यादा लुभाया है ये तो 3 दिसंबर को ही पता चलेगा। लेकिन रेगिस्तानी हवाओं में राजस्थान में इस बार BJP की वापसी होगी या गहलोत राज कायम रहेगा इसके संकते मिल गए हैं। राजस्थान में कुल 200 विधानसभा सीट में 199 के लिए 25 नवंबर को मतदान होगा। करणपुर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार गुरमीत सिंह कुन्नर का निधन होने से यहां मतदान नहीं होगा। निर्वाचन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि 25 नवंबर को सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान होगा।
बीजेपी-कांग्रेस में है मुकाबला
राजस्थान में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ कांग्रेस एवं मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी में माना जा रहा है। कांग्रेस ने अपने चुनाव प्रचार अभियान को मुख्य रूप से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार के कामों, उसकी योजनाओं और कार्यक्रमों पर केंद्रित किया। वहीं बीजेपी राज्य में अपराध, तुष्टीकरण, भ्रष्टाचार और पेपर लीक जैसे मुद्दों को लेकर कांग्रेस पर हमलावर रही है।
कांग्रेस की ओर से पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आदि ने चुनावी सभाओं को संबोधित किया। जबकि भगवा पार्टी के प्रचार अभियान की बागडोर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभाली। उनके अलावा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ आदि ने प्रचार किया।
मतदाताओं किससे नाराज और किससे खुश?
मतदाताओं में महिलाएं कुछ जघन्य अपराधों के बीच कानून-व्यवस्था की स्थिति से परेशान दिखीं। लेकिन फिर भी अशोक गहलोत सरकार द्वारा बांटे गए स्मार्टफोन, लगभग एक साल से 500 रुपये में LPG सिलेंडर और 10,000 रुपये के वार्षिक भत्ते के वादे से उत्साहित हैं। हालांकि, 2018 में कांग्रेस का कर्जमाफी का वादा पूरा नहीं होने से किसान नाखुश दिखे। इस बीच, युवा नौकरियों की कमी, 2018 में बेरोजगारी भत्ते का वादा अधूरा रहने और पिछले पांच वर्षों में पेपर लीक के 18 मामलों को लेकर कांग्रेस से सबसे नाखुश दिखे।
बीजेपी ने अपने चुनावी अभियान में कुख्यात 'लाल डायरी' मुद्दे सहित इन सभी मुद्दों को भुनाया था। जबकि कांग्रेस ने अपना पूरा अभियान अपनी '7 गारंटी', योजनाओं और विकास के दावों पर केंद्रित किया है। लेकिन अगर लोग ऐसे मुद्दों पर वोट करते हैं तो यह बहस का मुद्दा बन सकता है।
जातिगत समीकरण में बदलाव
News18 ने अपनी चुनावी यात्रा के दौरान पाया कि 2018 से जातिगत समीकरण बदल गए हैं क्योंकि पूर्वी राजस्थान में गुर्जर अब भगवा पार्टी की ओर वापस जाते दिख रहे हैं। मेवाड़ क्षेत्र में बीजेपी के खिलाफ राजपूतों का गुस्सा 2018 के बाद से कम हो गया है। 2018 में गुर्जर और पूर्वी राजस्थान के मतदाता यह सोचकर कांग्रेस के साथ चले गए कि उनके नेता सचिन पायलट सीएम बनेंगे। तब सचिन पायलट पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और पायलट को 2020 में डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष का पद भी गंवाना पड़ा।
News18 से बात करते हुए कई गुज्जरों ने पूछा कि कांग्रेस को वोट देने का क्या मतलब है? उन्होंने कहा कि पायलट को इस बार भी सीएम के रूप में पेश नहीं किया गया है। हालांकि, कांग्रेस नेताओं को अभी भी विश्वास है कि गुर्जर पायलट की पार्टी के खिलाफ वोट नहीं करेंगे। गुरुवार को जयपुर में अपनी-अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम अशोक गहलोत और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दोनों जीत को लेकर आश्वस्त दिखे। शाह ने कहा कि उन्हें बड़ी जीत का भरोसा है।
कौन होगा राजस्थान का अगला सीएम?
बीजेपी की तरफ से राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को भले ही अब तक सीएम चेहरे के रूप में पेश नहीं किया गया हो, लेकिन उन्होंने अपने वफादार उम्मीदवारों के लिए आक्रामक रूप से प्रचार किया है। अगर उनके 50 या उससे अधिक वफादार चुनाव जीत जाते हैं तो वह फिर से मैदान में आ सकती हैं। राजे के अलावा दीया कुमारी और राजेंद्र राठौड़ जैसे अन्य लोग भी दौड़ में हैं।
वहीं, कांग्रेस खेमे में 72 साल के गहलोत सीएम की कुर्सी छोड़ने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। इस बार पूरा चुनावी अभियान उनके इर्द-गिर्द रहा है। पीएम मोदी ने भविष्यवाणी की है कि गहलोत दोबारा कभी सीएम नहीं बनेंगे। सचिन पायलट की कुछ रैलियों में भारी भीड़ उमड़ी, लेकिन उन्हें अभी भी सीएम उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की कुछ रैलियों को छोड़कर उनके समर्थन में कोई चुनावी अभियान नहीं चलाया गया।
इस सप्ताह जब गहलोत प्रचार के लिए टोंक जिले में गए, तो पायलट मंच पर मौजूद नहीं थे। हालांकि वह उसी जिले से लड़ने वाले चार कांग्रेस उम्मीदवारों में से एक थे। पायलट भले ही अभी महज विधायक हों और उनके पास राज्य में कोई अन्य पद नहीं हो, लेकिन इस चुनाव में उनकी छाया हावी रही।