Rajasthan Elections 2023: कांग्रेस और बीजेपी की टक्कर, इन सात मुद्दों पर हो रही वोटिंग

Rajasthan Elections 2023: राजस्थान में मतदान शुरू हो चुके हैं। कांग्रेस सत्ता में वापसी कर इतिहास कायम करना चाहती है जहां पिछले 30 साल से किसी भी पार्टी की सरकार में वापसी नहीं हुई है। वहीं बीजेपी सत्ता में वापसी के लिए पूरा जोर लगा रही है। यहां के चुनावी समर में कई पार्टियों की मौजूदगी के बावजूद असली लड़ाई कांग्रेस और भाजपा (BJP) के बीच ही है

अपडेटेड Nov 25, 2023 पर 2:19 PM
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Rajasthan Elections 2023: पिछले पांच वर्षों में कई सरकारी भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक हो गए और अब यह लाखों बेरोजगार युवाओं को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा है।

Rajasthan Elections 2023: राजस्थान में मतदान शुरू हो चुके हैं। कांग्रेस सत्ता में वापसी कर इतिहास कायम करना चाहती है जहां पिछले 30 साल से किसी भी पार्टी की सरकार में वापसी नहीं हुई है। वहीं बीजेपी सत्ता में वापसी के लिए पूरा जोर लगा रही है। यहां के चुनावी समर में कई पार्टियों की मौजूदगी के बावजूद असली लड़ाई कांग्रेस और भाजपा (BJP) के बीच ही है। भाजपा पीएम मोदी के करिश्मे और कांग्रेस अशोक गहलोत की कल्याणकारी योजनाओं पर निर्भर है। इस कड़ी टक्कर में जो सात प्वाइंट्स वोटर्स के मूड को प्रभावित करेंगे, उनके बारे में दिया जा रहा है।

अंदरूनी विरोध

बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही गुटबाजी से जूझ रहे हैं। अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीचे के रिश्ते सुधरे हैं लेकिन उनके झगड़े ने राजस्थान में कांग्रेस की ताकत पर असर डाला है। बीजेपी की बात करें तो पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और आरएसएस में उनके आलोचक शक्ति संघर्ष में उलझे हैं जिसने बीजेपी के असर को फीका कर दिया है। दोनों प्रमुख पार्टियां अंदरूनी चुनौतियों से जूझ रही हैं। ऐसे में वोटर्स स्थायित्व सरकार की उम्मीद में मतदान करेंगे।


भ्रष्टाचार और लाल डायरी

हाई लेवल पर भ्रष्टाचार एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनकर उभरा है। गहलोत सरकार पर घोटाले का कोई बड़ा दाग तो नहीं है लेकिन भाजपा ने पूरे चुनावी कैंपेन में 'लाल डायरी' को बड़ा मुद्दा बना दिया। बीजेपी के मुताबिक इसमें कांग्रेस सरकार के फर्जी सौदों की पूरी डिटेल्स है और इसे प्रमुख हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। वहीं दूसरी तरफ गहलोत ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की साजिश बताकर खारिज कर दिया। बीजेपी ने लाल डायरी का मुद्दा हर रैली में उठाया और सबसे पहले इसे राजेंद्र गुढ़ा ने उठाया था जिन्हें गहलोत मंत्रालय से बर्खास्त कर दिया गया था।

Rajasthan Election 2023: मतदान के लाइव अपडेट्स

पेपर लीक और बेरोजगारी

पिछले पांच वर्षों में कई सरकारी भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक हो गए और अब यह लाखों बेरोजगार युवाओं को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा है। बीजेपी के अलावा कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भी इस संकट पर गहलोत सरकार को आड़े हाथों लिया था। कांग्रेस का तर्क है कि लगभग सभी बड़े राज्यों में पेपर लीक होते हैं। गहलोत सरकार ने पेपर लीक मामलों में दोषियों को आजीवन कारावास की सजा देने का कानून भी पारित कर दिया है लेकिन अब यह मुद्दा बड़ा बन चुका है। 20 और 30 साल के लाखों युवा पेपर लीक की चपेट में आ गए हैं जो युवा मतदाताओं के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय हो सकता है।

कल्याणकारी योजनाएं

अशोक गहलोत सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं कांग्रेस के प्रचार अभियान का मुख्य फोकस हैं। इन योजनाओं में चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, गरीब परिवारों के लिए सस्ती एलपीजी सिलेंडर, सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना के रिवाइवल और सभी वयस्कों के लिए सामाजिक सुरक्षा भत्ता शामिल है। इन योजनाओं में समाज के सभी वर्गों को कवर किया गया है। कांग्रेस ने चुनावी अभियान के दौरान सात नई गारंटियों का ऐलान किया है और वोटर्स के बीच अपनी कल्याणकारी कोशिशों को मुद्दा बनाने की कोशिशों में लगी हुई है। वहीं बीजेपी ने इन योजनाओं/गारंटी को महज दिखावा बताया और कहा कि ये केंद्र की लोकप्रिय योजनाओं की 'कॉपी-पेस्ट' के अलावा और कुछ नहीं हैं। वहीं दूसरी तरफ

कानून व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा

पूरे चुनावी अभियान के दौरान भाजपा ने राज्य की कानून-व्यवस्था को गड़बड़ बताया और इसके लिए गहलोत सरकार को जिम्मेदार ठहराया। गहलोत सरकार के पांच साल के कार्यकाल में महिलाओं के खिलाफ अपराधों का बढ़ता ग्राफ एक प्रमुख मुद्दा बनकर उभरा है। हालांकि कांग्रेस का कहना है कि ऐसे मामलों में दोषियों को तत्काल पकड़ा जा रहा है और राजस्थान में यूपी और एमपी जैसे कई भाजपा शासित राज्यों की तुलना में स्थिति कहीं बेहतर है।

किसानों और पानी से जुड़ा मुद्दा

राज्य के बड़े हिस्से में पानी की भारी कमी और खेती पर संकट बड़ी संख्या में वोटर्स के लिए गंभीर चिंता का विषय है। किसानों से जुड़े मुद्दे राजस्थान के उत्तरी जिलों में प्रभावी हैं, जहां केंद्र के उन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन हुआ था जिसे बाद में वापस लिया था। इसका असर भाजपा पर पड़ सकता है। इसके अलावा कांग्रेस को 2018 के चुनावों में किए गए वादे के अनुसार किसानों के कर्ज को पूरी तरह से माफ करने में विफल रहने का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इसी तरह 13 जिलों की सिंचाई और पीने के पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERSP) को 'राष्ट्रीय परियोजना' का दर्जा देने की मांग ने एक तीखी बहस छेड़ दी है। राजस्थान के गुज्जर-मीणा बेल्ट कहे जाने वाले क्षेत्र में कई वोटर्स के लिए पानी की समस्या और ERSP एक प्रमुख मुद्दा प्रतीत होता है।

ध्रुवीकरण और सांप्रदायिक तनाव

इस चुनावी माहौल में राजनीति और धर्म के मिलन का तड़का लगा है। बीजेपी ने हिंदुत्व पर दांव लगाया है। इसने उदयपुर में कन्हैया लाल का सिर काटने, 2008 के जयपुर बम विस्फोट मामले में सभी आरोपियों को बरी करने और राज्य में सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं को बड़े पैमाने पर उठाया। सनातन धर्म, अल्पसंख्यक तुष्टिकरण और अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का भी जिक्र हुआ। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस का कहना है कि ध्रुवीकरण की राजनीति का उद्देश्य सिर्फ लोगों को धर्म के नाम पर गुमराह करना है।

 

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First Published: Nov 25, 2023 2:16 PM

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