Rajasthan Elections 2023: राजस्थान का रण सजकर तैयार हो चुका है। विधानसभा चुनाव के आज (25 नवंबर 2023) कई प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी। सूबे में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। सियासी जानकार किसिम-किसम के कयास लगा रहे हैं। दोनों पार्टियों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिए हैं। इस बीच राज्य के सीएम अशोक गहलोत ने बीजेपी पर अपनी योजनाओं के नकल करने का आरोप लगा है। गहलोत ने बीजेपी के घोषणा पत्र के खिलाफ अपनी वादों की गारंटी पेश की है।
वहीं मतदाताओं को लुभाने के लिए भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की योजनाओं के वितरण पर भरोसा कर रही है।
सरकार का प्रदर्शन बनाम विपक्ष के वादे
वैसे चुनावी रणनीति में कोई भी सत्ताधारी दल वादों पर ज्यादा भरोसा नहीं कर सकता है। बल्कि उनकी रणनीति उसकी ओर से किए गए काम पर आधारित होते हैं। अगर वादों को पूरा करने का सत्ताधारी पार्टी का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा रहता है तो उसको वोटर का समर्थन मिलता है। सरकार की विश्वसनीयता बढ़ती है। इस आधार पर देखें तो राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने साल 2018 में किए गए अपने वादों में 96 फीसदी का पूरा करने का दावा कर रहे हैं। हालांकि बेरोजगारी और बेरोजगारों को भत्ता देने में सरकार असमर्थ रही है। वहीं पीएम मोदी की भी वादों का को पूरा करने का ट्रैक रिकॉर्ड काफी अच्छा रहा है। इसके आधार पर बीजेपी उम्मीद कर रही है कि उसको राजस्थान में लोगों का अच्छा समर्थन मिलेगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस पार्टी ने जन घोषणा पत्र जारी किया। इसमें जातिगत जनगणना, 4 लाख लोगों को रोजगार देना और पंचायत लेवल नई नियुक्तियों का वादा किया गया है।
गहलोत की कल्याणकारी योजनाओं की खामियां
अशोक गहलोत ने तमिलनाडु की पूर्व सीएम जयललिता से प्रेरणा लेते हुए युवाओं, महिलाओ, कृषको, मजदूरों, गरीबों के लिए कई लोक लुभावनी स्कीम का ऐलान किया है। लेकिन अगर इस स्कीमों को ध्यान से देखें तो पता चलता है कि इसमें डीबीटी जैसी किसी कैश ट्रांसफर योजना का अभाव है। यही गहलोत की रणनीति की सबसे बड़ी कमजोरी भी है। ऐसे में इनका असर उतना गहरा नहीं हो सकता। जिनता कि डायरेक्ट बेनीफिट योजनाओं का होता है।