Rajasthan Assembly Elections 2023: हिंदी पट्टी में मोदी मॉडल पर लोगों को सबसे ज्यादा भरोसा

बीजेपी राजस्थान में शानदार जीत के करीब पहुंच चुकी है। इसकी मुख्य वजह राज्य का वह ट्रेंड है, जहां आम तौर पर मौजूदा सरकार को विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ता है। कई लोगों को उम्मीद थी कि निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी कल्याणकारी योजनाओं के कारण इस बार मजबूती से मुकाबला करेंगे। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ने भी सब्सिडी और कैश ट्रांसफर के मजबूत वादों के साथ राजस्थान के चुनाव में एंट्री की और जीत हासिल करने में सफल रही

अपडेटेड Dec 03, 2023 पर 10:02 PM
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राजस्थान में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद यह देखना अहम होगा कि क्या पार्टी वित्तीय चुनौतियों को नियंत्रण में रखते हुए चुनाव में किए गए वादों को पूरा करने में सफल रहेगी?

बीजेपी राजस्थान में शानदार जीत के करीब पहुंच चुकी है। इसकी मुख्य वजह राज्य का वह ट्रेंड है, जहां आम तौर पर मौजूदा सरकार को विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ता है। कई लोगों को उम्मीद थी कि निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी कल्याणकारी योजनाओं के कारण इस बार मजबूती से मुकाबला करेंगे। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ने भी सब्सिडी और कैश ट्रांसफर के मजबूत वादों के साथ राजस्थान के चुनाव में एंट्री की और जीत हासिल करने में सफल रही।

बीजेपी द्वारा किए गए वादों में गेहूं की खरीद के लिए ज्यादा मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP), बेटी पैदा होने पर हर परिवार को 2 लाख रुपये का सेविंग बॉन्ड और उच्च शिक्षा में प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को फ्री स्कूटी देना शामिल हैं। दरअसल, दोनों पार्टियों द्वारा किए वादों में काफी कम अंतर था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि मौजूदा सरकार के खिलाफ माहौल के अलावा बीजेपी को किस चीज का फायदा मिला?

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल के मुताबिक, उनकी पार्टी के पक्ष में फैसला आने की मुख्य वजह 'मोदी गारंटी' और 'फर्जी वादों' को लेकर मतदाओं की समझ थी। उन्होंने कहा, 'लोगों ने कांग्रेस को कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और इससे पहले मध्य प्रदेश में मौका दिया, लेकिन पार्टी काम करने में असफल रही। दूसरी तरफ, मोदी गारंटी स्कीम है, जहां वादों को पूरा करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जाएगी।'


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बहरहाल, राजस्थान में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद यह देखना अहम होगा कि क्या पार्टी वित्तीय चुनौतियों को नियंत्रण में रखते हुए चुनाव में किए गए वादों को पूरा करने में सफल रहेगी? कई एक्सपर्ट्स और संस्थानों ने राजनीतिक पार्टियां कल्याणकारी योजनाओं की आड़ में मुफ्त की रेवड़ियां बांटने को लेकर लंबे समय से चिंता जता रही हैं। रिजर्व बैंक और कई अन्य संस्थानों का जोर लगातार इस बात पर रहा है कि मुफ्त की रेवड़ियां बांटने और जनहित के मामलों को अलग करके देखने की जरूरत है।

सब्सिडी और मुफ्त योजनाओं का सबसे बड़ा जोखिम यह है कि इससे फिस्कल डेफिसिट पर काफी दबाव बढ़ जाएगा। राजस्थान ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 4 पर्सेंट फिस्कल डेफिसिट का टारगेट तय किया है। बहरहाल, बीजेपी की 3-1 जीत से साफ है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सीएम उम्मीदवार घोषित नहीं होने के बावजूद पार्टी ने शानदार सफलता हासिल की और इससे साफ है कि हिंदी पट्टी में ब्रांड मोदी अभी असरदार है। अग्रवाल कहते हैं, 'मोदी मॉडल अभी भी प्रभावकारी है।'

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